विश्व की समस्याओं का समाधान आध्यात्मिक माध्यमों से संभव है ! – प्रा. डॉ. शशि बाला, अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक, ‘जी २०´

  • गोवा में २७ मई को ‘विविधता, समावेशिता एवं पारस्परिक सम्मान’ पर ‘जी २०’ सम्मेलन !

  • सम्मेलन में सहभागी होने का आवाहन !

बाएं से डॉ. (श्रीमती) अमृता देशमाने, प्रा. डॉ. शशि बाला और श्रीमती श्वेता

वास्को (गोवा), २५ मई (समाचार) – विश्व के अनेक  देश भारत से अधिक समृद्ध, धन, आयुध तथा विकास की दृष्टि से बहुत आगे हैं, किंतु अध्यात्म के क्षेत्र में भारत गुरु है। अध्यात्म भारत की महान शक्ति है। अध्यात्म के द्वारा संसार की सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय ‘जी-२०’ के अंतर्गत  ‘जी-२०’ के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है । गोवा में प्रथम बार होने वाला ‘जी-२०’ सम्मेलन ‘विविधता, समावेशिता एवं परस्पर सम्मान’ के विषय पर होगा । सम्मेलन का समापन २७ मई, २०२३ को दिन में १० बजे से संध्या ५ बजे तक ‘राजहंस नवसेना सभागृह ‘, डाबोली, वास्को में किया जा रहा है । जी-२० सम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय समन्वयक तथा नई देहली में अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र की अध्यक्षा प्रा. डॉ. शशि बाला ने यह सूचित किया । वे पणजी के होटल डेलमैन में आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रही थीं । इस अवसर पर ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की शोध समन्वयक श्रीमती श्वेता तथा डॉ. (श्रीमती) अमृता देशमाने भी उपस्थित थीं ।

१. ‘जी-२० परिषद’ का आयोजन गोवा सरकार, ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’, ‘सांस्कृतिक अध्ययन के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र’ तथा ‘भारतीय विद्या भवन, नई देहली’ के सहयोग से किया गया है । ‘माता अमृतानंदमयी मठ’ की संस्थापक परम पूज्य माता अमृतानंदमयी को ‘जी-२०’ परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है । गोवा के पर्यटन मंत्री श्री. रोहन खानवटे एवं संस्कृति मंत्री श्री. गोविंद गावडे भी परिषद में उपस्थित रहेंगे, ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की शोध समन्वयक श्रीमती श्वेता क्लार्क ने यह सूचित किया । जी-२० का अध्यक्षपद विश्व को उपाय, सुसंवाद एवं आशादायी रहे इस उद्देश्य से सभी को एकत्र आकर उसका समर्थन करना चाहिए , प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा संदेश दिया है ।

२. प्रा. डॉ. शशि बाला ने आगे कहा कि वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, महामारी जैसी वैश्विक समस्याओं से लडने के साथ-साथ खाद्य, उर्वरक, चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को राजनीति के प्रभाव से हटाना, भू-राजनीतिक तनाव से बचना, मानवता के लिए काम करना तथा युद्ध एवं आतंकवाद को रोकने के लिए इन उद्देश्यों के साथ जी-२० का गठन किया गया था । इसलिए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ (अखंड पृथ्वी परिवार है) जी-२० का आदर्श वाक्य है । इस वर्ष भारत जी-२० सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है । ‘जी-२० ‘ के अंतर्गत ‘जी-२०’ अर्थात ‘सिविल २०’ का आदर्श वाक्य ´#यू आर दि लाईट’ (‘#YouAreTheLight’) है । इस ‘जी-२०’ सम्मेलन के अंतर्गत स्वास्थ्य, पर्यावरण, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, पारंपरिक कला एवं संस्कृति के संरक्षण जैसे विषयों पर १४ विभिन्न समूह काम कर रहे हैं । इनमें भारत में केवल देहली, बिलासपुर, रांची, हमीरपुर, इंदौर, नागपुर, बेंगलुरू आदि में ‘विविधता, समावेशिता तथा परस्पर सम्मान’ विषय पर ‘सी २०’ सम्मेलन का आयोजन किया गया है एवं इंडोनेशिया, थाइलैंड तथा अन्य देशों में ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किए गए हैं । इसके अतिरिक्त १० से अधिक स्थानों पर ये सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे । इन सभी १४ विषयों पर जी २० के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों में २,००० से अधिक संस्थानों एवं संगठनों ने भाग लिया है ।