‘सनातन संस्था के माध्यम से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी हैं सर्वत्र सदा !
इस पृथ्वी पर भटके हुए जीवों में से हम भी एक थे । हम इस माया के जगत में आनंद ढूंढ रहे थे । प्रत्येक व्यक्ति आनंद की खोज में रहता है; परंतु ‘मूल आनंद किसमें है ?’, इसका भान गुरुदेव सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी, आपने हमें सनातन संस्था के माध्यम से करवाया ।