सनातन धर्म का अस्तित्व बनाए रहने हेतु प्रयासरत सनातन संस्था !

वैदिक काल के ऋषि-मुनियों ने भौतिक एवं आध्यात्मिक, इन दोनों जीवनों का अच्छा मेल कर स्व-अनुशासित मानवीय समाज का निर्माण किया । ऐसे मानवीय समाज के निर्माण हेतु स्थल-काल का बंधन नहीं है, यह धर्म का मूलभूत सिद्धांत है ।

दिव्य, अलौकिक एवं एकमेवाद्वितीय सनातन संस्था !

‘आनंद (ईश्वर) प्राप्ति हेतु साधना सिखाना’ अध्यात्म का ज्ञान अगाध एवं अनंत है । सामान्य लोगों को वह कठिन लग सकता है अथवा उसमें दी गई उपासनाओं में से निश्चित रूप से कौनसी उपासना करनी चाहिए ?, यह प्रश्न उठता है ।

साधक की व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही सनातन संस्था का उद्देश्य है ! – (पू.) अधिवक्ता हरि शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

‘भारतीय गणराज्य के क्षितिज पर वर्ष १९९० में जब अंधकार छाया हुआ था, उस समय सूरज की किरणें दिखने का आभास युगद्रष्टा परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने देश के कलुषित धर्मनिरपेक्षतावाद के विरोध में जनता को हिन्दू राष्ट्रवाद दिखलाने का कार्य किया ।

सनातन संस्था धर्म की रक्षा हेतु निरंतर संघर्ष करने का जो कार्य कर रही है, वह केवल अद्भुत एवं अद्वितीय !

भारत की आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करते हुए भारतीयों को सदैव कार्यरत अथवा जागृत बनाए रखने के लिए संघर्ष करनेवाली ‘सनातन संस्था’ रजत-महोत्सव मना रही है । हम सभी के लिए यह अत्यंत आनंद एवं सम्मान का क्षण है ।

सनातन संस्था है साधक को उसके ध्येय की ओर ले जानेवाली संस्था तथा सनातन के साधक हैं विभिन्न गुणों का संगम !

प.पू. भक्तराज महाराजजी के भक्तों द्वारा रामनाथी के आश्रम में कुछ दिन निवास करने के उपरांत उनके न्यास के अध्यक्ष श्री. शरद बापट द्वारा प.पू. डॉ. आठवलेजी को भेजा गया पत्र !

मैं एक ‘उद्यमी से साधक उद्यमी’ !

‘पितांबरी उद्योग समूह’ का नाम आज महाराष्ट्र के उद्योग जगत में एक सुप्रतिष्ठित हो चुका है । विगत ३५ वर्षाें से अत्यंत स्थिरतापूर्वक प्रगति करते हुए आज ‘पितांबरी उद्योग समूह’ ने वार्षिक ३०० करोड के कारोबार का चरण पार किया है ।

सनातन के आश्रम : रामराज्य की (हिन्दू राष्ट्र की) प्रतिकृति !

हिन्दू राष्ट्र के प्रेरणास्रोत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में तैयार सनातन के आश्रमों में अनेक साधकों को चैतन्य, आनंद एवं शांति की अनुभूतियां होती हैं ।

सनातन के आश्रमों की छायाचित्रात्मक विशेषताएं !

सनातन के आश्रमों में विविध जाति-पंथों के साधक आनंद से आश्रमजीवन व्यतीत कर रहे हैं । यहां आध्यात्मिक प्रगति हेतु पोषक वातावरण होता है ।

सनातन संस्था के कार्य हेतु ज्ञानबल एवं चैतन्यबल की आपूर्ति करनेवाली सनातन की ग्रंथसंपदा !

सनातन के ग्रंथों में दिए ज्ञानामृत का कार्यान्वयन कर १.२.२०२४ तक १२२ साधकों ने ‘संतपद’ प्राप्त किया है तथा १,०५४ साधक ‘संतपद’ प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं । सनातन के अनेक संत एवं उन्नत साधक धर्मप्रचारक के रूप में सेवारत हैं ।

सनातन संस्था के विषय में मान्यवरों के अभिमत

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी तथा मेरा परिचय बहुत पुराना है । बहुत पहले वे एक बार मेरे साथ बद्री-केदारनाथ यात्रा में भी आए थे । उस समय मेरा यात्रा करानेवाला प्रतिष्ठान था तथा इस माध्यम से हमारा एक सुंदर संयोग घटित हुआ था ।