केले के पत्ते : पर्यावरणपूरक एवं वैज्ञानिकदृष्टि से उपयुक्त

भाग्यनगर में (हैद्राबाद) एक शास्त्रज्ञ ने खोज की, केले के पेड के तने अथवा केले के पेड मे लगे केलोंके गुच्छे के सिरे पर कमल के आकार का सिरा, पत्तों में जो चिपचिपा द्रव्य पदार्थ होता है, उसे खाने के उपरांत कर्करोग (कैंसर) बढानेवाली ग्रंथी धीरे-धीरे निष्क्रीय होती जाती है । इसलिए पुराने काल के … Read more

अविश्वास (No Confidence) मत के लिए नियमों की क्या आवश्यकता ?

अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर केवल समय एवं संसाधनों का अपव्यय करनेवाले जन प्रतिनिधियों पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए !

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र देहली सरकार (संशोधन) विधेयक २०२३

‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र देहली सरकार (संशोधन) विधेयक २०२३’ कानून की दिशा में अग्रसर !

बॉलीवुड जिहाद : हिन्दुओं के विरुद्ध भयावह षड्‍यंत्र !

ऐसा संदेह हो रहा है कि केंद्रीय चलचित्र परिनिरीक्षण मंडल (सेंसर बोर्ड) पूर्णतः बिक चुका है । उसमें काम करनेवाले अधिकारियों द्वारा धन लेकर दृश्‍य सम्मत एवं रद्द किए जा रहे हैं, यदि किसी को ऐसा लगे, तो उसमें आश्‍चर्य कैसा ?

भारतीय संविधान में सर्वधर्म समभाव की परिभाषा ही नहीं ! – अधिवक्ता सुभाष झा, सर्वाेच्च न्यायालय

वर्ष १९४७ में धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ । मुसलमान बहुसंख्यक थे; इसलिए उन्हें पाकिस्तान दिया । तो फिर जो बचे वे क्या थे ?

फ्रांस संरक्षण करार में पुन: ‘राफेल’ लढाऊ विमान ही क्यों ?

‘भारत-फ्रांस संरक्षण करार भारत के लिए कूटनीति की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है । फ्रांस का राष्ट्रीय दिन अर्थात ‘बास्तील दिवस’ १४ जुलाई को होता है । यह दिन १४ जुलाई १७८९ को फ्रांस में हुई ‘क्रांति का स्मरण’ के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है ।

समान नागरिक कानून एवं ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ की द्वेषपूर्ण भूमिका !

सभी जानते हैं, ‘समान नागरिक कानून के माध्यम से देश के लगभग १० करोड मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, आर्थिक एवं अन्य परिस्थिति का सक्षमीकरण हो सकता है ।’

मणिपुर हिंसाचार : एक षड्यंत्र !

३३ लाख जनसंख्यावाले मणिपुर में ५० प्रतिशत से कुछ अधिक हिन्दू, ४४ प्रतिशत ईसाई एवं अन्य सब मुसलमान तथा बौद्ध हैं । मणिपुर में वर्तमान में नागरिक युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई है तथा बडी संख्या में लोग भ्रमित अवस्था में हैं ।

दूध एवं दुग्धजन्य पदार्थ : उनके लाभ, मान्यताएं एवं अनुचित धारणाएं

अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के प्रति अनगिनत चिंतायुक्त विचार एवं समस्याएं लेकर आते हैं, जैसे ‘डॉक्टर देखिए न, ये दूध ही नहीं पीता है । यदि दूध नहीं पीएगा, तो उसे ‘कैल्शियम’ कैसे मिलेगा ? इसकी हड्डियां कैसे सुदृढ (मजबूत) होंगी ? आज के इस लेख में हम दूध एवं दुग्धजन्य पदार्थाें के संदर्भ में जानकारी लेंगे ।

नागपंचमी का इतिहास एवं नागपूजन का महत्त्व

नागपंचमी के दिन हलदी से अथवा रक्तचंदन से एक पीढे पर नवनागों की आकृतियां बनाते हैं एवं उनकी पूजा कर दूध एवं खीलों का नैवेद्य चढाते हैं । नवनाग
पवित्रकों के नौ प्रमुख समूह हैं ।