भारतीय संविधान में सर्वधर्म समभाव की परिभाषा ही नहीं ! – अधिवक्ता सुभाष झा, सर्वाेच्च न्यायालय

अधिवक्ता सुभाष झा, सर्वाेच्च न्यायालय

‘हिन्दू राष्ट्र ही क्यों ? हिन्दू राष्ट्र इसलिए कि हम सभी जानते हैं,

वर्ष १९४७ में धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ । मुसलमान बहुसंख्यक थे; इसलिए उन्हें पाकिस्तान दिया । तो फिर जो बचे वे क्या थे ? यदि धर्म के आधार पर विभाजन हुआ था एवं मुसलमानों को पाकिस्तान मिल गया, तो फिर शेष हिन्दुस्थान हिन्दुओं को ही मिलना चाहिए न ? क्या उस प्रकार हिन्दुओं को वह मिला है ? यदि नहीं, तो क्यों नहीं मिला ? कारण एक ही है, हमारा सर्वधर्म समभाव के प्रति विश्वास ! तब से लेकर आज तक सर्वधर्म समभाव का उद्घोष जारी है; परंतु सर्वधर्म समभाव क्या है, यह आज तक कोई नहीं जान पाया । भारतीय संविधान में सर्वधर्म समभाव शब्द की परिभाषा ही कहीं नहीं दी है ।’ (३.८.२०२३)