‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत ‘वास्तुओं की सात्त्विकता का अध्ययन’, इससे संबंधित शोधकार्य में सम्मिलित हों !

वर्तमान काल में समाज में वास्तुशास्त्र बहुत ही प्रचलित है । प्रत्येक व्यक्ति को लगता है कि अपना घर वास्तुशास्त्र के अनुसार होना चाहिए । घर में वास्तुदोष हों, तो वहां निवास करनेवालों पर उसके विपरीत परिणाम होते हैं ।

अध्यात्म का महत्त्व वैज्ञानिक शोधों से भी सिद्ध हो चुका है ! – शॉन क्लार्क

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा आध्यात्मिक विषयों का विशिष्टतापूर्ण वैज्ञानिक शोध किया जाता है । ‘यूनिवर्सल ऑरा’ एवं ‘एनर्जी स्कैनर’ जैसे उपकरणों की सहायता से किया हुआ यह शोध प्राचीन भारतीय शिक्षा के अनुरूप है ।

‘दोनों हथेलियों की एकत्रित मुद्रा’ कर शरीर पर से कष्टदायक शक्ति का आवरण निकालने की पद्धति !

गुरुकृपा से ही शरीर पर से आवरण निकालने की इन पद्धतियों को ढूंढ पाए । इसके लिए हम साधक श्री गुरु के श्रीचरणों में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।

विविध कलाओं में प्रवीण विद्यार्थियों को अध्यात्म एवं कला एक-दूसरे से जोडकर साधना कैसे करनी है, यह सिखानेवाला महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय !

‘संगीत वर्ग में अथवा रेडियो पर वार्तालाप के माध्यम से अनके लोगों तक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधकार्य का विषय पहुंचा है । आगे विविध गुरुकुल, इन्स्टिट्यूट, एकेडमी में भी यह इसी प्रकार पहुंचेगा और यह विषय समझने पर उनमें से जो जिज्ञासु होंगे, उन्हें इस विषय का महत्त्व समझ में आएगा

भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने के लिए अध्यात्म द्वारा मन प्रज्वलित करना आवश्यक – गोविंद गावडे, कला व संस्कृति मंत्री, गोवा

‘‘प्रत्येक व्यक्ति का मन प्रज्वलित करने के लिए अध्यात्म की आवश्यकता है । यह कार्य सामूहिक सहभाग से होने से भारत को विश्वगुरु बनाया जा सकेगा । इस संदेश को धरातल पर प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया जाना चाहिए ।’’ गोवा के कला एवं संस्कृति मंत्री श्री. गोविंद गावडे ने यह आवाहन किया ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के साधकों ने नृत्यादि सेवाओं द्वारा श्रीविष्णु की भावपूर्ण आराधना की !

रथारूढ महाविष्णु का गायन, वादन एवं नृत्य द्वारा महिमा का गुणगान ही ब्रह्मोत्सव ! श्रीविष्णु रूप में रथ में विराजमान सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के श्रीचरणों में इस ब्रह्मोत्सव के उपलक्ष्य में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के साधकों द्वारा कला के माध्यम से भाव अर्पण किया ।

विश्व की समस्याओं का समाधान आध्यात्मिक माध्यमों से संभव है ! – प्रा. डॉ. शशि बाला, अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक, ‘जी २०´

विश्व के अनेक  देश भारत से अधिक समृद्ध, धन, आयुध तथा विकास की दृष्टि से बहुत आगे हैं, किंतु अध्यात्म के क्षेत्र में भारत गुरु है। अध्यात्म भारत की महान शक्ति है।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने गोवा में होने वाले ‘जी-२०’ सम्मेलन की सूचना पुस्तिका का विमोचन किया !

इस प्रकाशन के उपरांत मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे विभिन्न आध्यात्मिक शोधों और देश-विदेश में किए गए कार्यों की सराहना की।

पुणे के प्रसिद्ध तबलावादक तालयोगी ‘पद्मश्री’ पं. सुरेश तलवलकर तथा गायनगुरु पं. डॉ. विकास कशालकर द्वारा महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संशोधन केंद्र को भेंट !

‘गंधर्व महाविद्यालय’ के निबंधक (रजिस्ट्रार) श्री. विश्‍वास जाधव तथा तबलावादक पं. अमोद दंडगे ने भी संशोधन केंद्र को भेंट दी

पूजाविधि में समाहित घटकों पर भूमिपूजन अनुष्ठान का सकारात्मक परिणाम होना !

भूमि खरीदने के उपरांत ‘भूमि की शुद्धि होकर स्थानदेवता का आशीर्वाद मिले’, इस उद्देश्य से सर्वप्रथम भूमि का विधिवत पूजन किया जाता है ।