सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजीे के ८१ वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाए गए ‘ब्रह्मोत्सव’ के संदर्भ में किया गया शोधकार्य !
‘रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में सप्तर्षि की आज्ञा के अनुसार वर्ष २०१५ से परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्मोत्सव समारोह मनाया जा रहा है । महर्षियों की आज्ञा से ११.५.२०२३ को फर्मागुडी, गोवा में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ८१ वें जन्मोत्सव निमित्त उनका ‘ब्रह्मोत्सव’ मनाया गया । इस संदर्भ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ उपकरण की सहायता से विशेषतापूर्ण शोधकार्य किया गया है । इन शोधकार्याें में से यहां सनातन के ३ गुरुओं के द्वारा ब्रह्मोत्सव में धारण किए गए वस्त्राभूषणों में विलक्षण चैतन्य उत्पन्न होने के संबंध में शोध दिया गया है ।
१. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा ब्रह्मोत्सव में धारण किए गए वस्त्राभूषणों में विलक्षण चैतन्य उत्पन्न होना
ब्रह्मोत्सव से पूर्व वस्त्राभूषणों में १.५ से ३.३ सहस्र मीटर तक सकारात्मक ऊर्जा थी । परात्पर गुरु डॉक्टरजी के द्वारा ब्रह्मोत्सव में इन वस्त्राभूषणों को धारण किए जाने के उपरांत उनमें विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा ४२ सहस्र से लेकर १ लख मीटर से भी अधिक हुई । यह बहुत ही विशेषतापूर्ण है । पिछले वर्ष (मई २०२२ में) परात्पर गुरु डॉक्टरजी के द्वारा जन्मोत्सव में धारण किए गए वस्त्राभूषणों में अधिक से अधिक २८६१ मीटर सकारात्मक ऊर्जा दिखाई दी थी; किंतु इस वर्ष (मई २०२३ में) वस्त्राभूषणों में अधिक से अधिक १,१६,९०० मीटर, इतनी प्रचंड सकारात्मक ऊर्जा दिखाई दी । इससे ‘श्रीविष्णुस्वरूप परात्पर गुरु डॉक्टरजी’ का ‘ब्रह्मोत्सव’ समारोह एक असामान्य एवं अद्वितीय दैवीय समारोह था’, यह समझ में आता है ।
२. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी द्वारा ब्रह्मोत्सव में धारण किए गए वस्त्राभूषणों में बहुत चैतन्य उत्पन्न होना
श्री महालक्ष्मीस्वरूप सद्गुरुद्वयियों द्वारा ब्रह्मोत्सव में धारण किए गए वस्त्राभूषणों में बहुत सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होने का ध्यान में आया ।
पाठकों के लिए सूचना
इस लेख में दी सारणियों के कुछ घटकों की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कॅनर’ उपकरण द्वारा नापते समय वह २,३३७ मीटर से भी अधिक था; परंतु वह पूर्ण नापने के लिए आगे जाना स्थान के अभाववश संभव नहीं था । इसलिए उन घटकों की सकारात्मक ऊर्जा अचूक नापने के लिए वह लोलक (पेंडुलम) से नापा गया । |