पुणे के प्रसिद्ध तबलावादक तालयोगी ‘पद्मश्री’ पं. सुरेश तलवलकर तथा गायनगुरु पं. डॉ. विकास कशालकर द्वारा महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्यालय के संशोधन केंद्र को भेंट !

‘गंधर्व महाविद्यालय’ के निबंधक (रजिस्ट्रार) श्री. विश्‍वास जाधव तथा तबलावादक पं. अमोद दंडगे ने भी संशोधन केंद्र को भेंट दी

पूजाविधि में समाहित घटकों पर भूमिपूजन अनुष्ठान का सकारात्मक परिणाम होना !

भूमि खरीदने के उपरांत ‘भूमि की शुद्धि होकर स्थानदेवता का आशीर्वाद मिले’, इस उद्देश्य से सर्वप्रथम भूमि का विधिवत पूजन किया जाता है ।

साधना द्वारा व्यसनाधीनता (मादक पदार्थाें की लत) पर अल्प कालावधि में मात कर सकते हैं ! – शॉन क्लार्क, फोंडा, गोवा

आध्यात्मिक शोध से दिखाई दिया है किसी व्यसन का ३० प्रतिशत कारण शारीरिक होता है, अर्थात मादक पदार्थाें पर निर्भर होता है, तथा ३० प्रतिशत मानसिक तथा ४० प्रतिशत आध्यात्मिक होता है ।

व्यक्ति के चेहरे के परिवर्तित हावभाव के अनुसार उसके द्वारा प्रक्षेपित स्पंदनों में भी परिवर्तन आना

व्यक्ति का चेहरा, विशेषतः उसकी आंखों के भाव मानो उसके मन के दर्पण होते हैं । उसके मन के विचारों का प्रतिबिंब उसके चेहरे पर दिखनेवाले हावभाव के रूप में स्पष्टता से दिखाई देता है ।

‘संगीत को पशु किस प्रकार प्रतिसाद देते हैं ?’ इस विषय पर महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध के समय किन्नीगोळी (कर्नाटक) के प.पू. देवबाबा के आश्रम के गाय एवं बैल ने दिया प्रतिसाद !

‘जब गायन हो रहा था, उस समय चिटणीसजी के पीछे की सभी गाएं उठकर खडी हुईं तथा उनकी ओर देखने लगी । स्वर विस्तार सुनते समय ‘गौरी’ नामक गाय उनकी ओर मुडी एवं उनकी ओर जाने का प्रयास करने लगी । उसे बांधकर रखा था, इसलिए वह आगे नहीं जा पाई । गायन सुनते समय ‘गौरी’ की आंखों में आंसू निकल आएं ।

भगवान को नमस्कार करने की उचित पद्धति तथा उससे संबंधित शोध

‘देवालय में देवता के दर्शन करते समय हम दोनों हाथ जोडकर भगवान को नमस्कार करते हैं । दोनों हाथों के तलुओं को एक-दूसरे पर रखने से (अर्थात एक-दूसरे को चिपकाकर) जो मुद्रा बनती है, उसे ‘नमस्कार’ कहते हैं ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत ‘हस्त एवं पाद समुद्रशास्त्र’ के संदर्भ के शोध कार्य में सम्मिलित होकर साधना के स्वर्णिम अवसर का लाभ लें !

व्यक्ति की हथेलियों एवं तलवों की रेखाएं, उनका एक-दूसरे से संयोग, चिन्ह, उभार एवं आकार से व्यक्ति का स्वभाव, गुण-दोष, आयुर्दाय (दीर्घायु), भाग्य, प्रारब्ध इत्यादि ज्ञात कर सकते हैं ।

आंतरिक आनंद, संतुष्टि एवं ‘श्रीकृष्ण की सेवा’ भाव से नृत्य करनेवालीं देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना तथा नृत्यगुरु पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् !

देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना एवं कर्नाटक शैली की गायिका पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् से भेंट की । इस भेंट में श्रीमती गीता चन्द्रन् द्वारा वर्णित उनकी नृत्यसाधना की यात्रा यहां दी गई है ।

भावविभोर होकर नृत्य करनेवालीं तथा नृत्यकला से दैवी आनंद का अनुभव करनेवालीं देहली की कत्थक नृत्यांगना श्रीमती शोभना नारायण !

‘४०-५० वर्षाें से अधिक संगीत के लिए समर्पित इन कलाकारों की ‘संगीत साधना’ अगली पीढी के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो’, इस उद्देश्य से महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से इन कलाकारों के साथ संवाद किया गया ।

व्यक्ति जो आहार ग्रहण करता है, उसका व्यक्ति पर आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाला परिणाम

पहले प्रयोग में व्यक्ति को उपाहार गृह में बनाए गए शाकाहारी (मिक्स वेज) एवं मांसाहारी (फिशफ्राई एवं चिकनफ्राई) पदार्थ खाने के लिए दिए गए । दूसरे प्रयोग में उसे सात्त्विक स्थान पर (सनातन के आश्रम में) बनाई गई सब्जी खाने के लिए दी गई ।