श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी द्वारा की गई भावपूर्ण पूजा के कारण श्री लक्ष्मीपूजन के घटकों में सकारात्मक ऊर्जा (चैतन्य) अत्यधिक बढ जाना 

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ ने ‘यू.ए.एस. (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण द्वारा किया वैज्ञानिक परीक्षण

‘दिवाली’ वह त्योहार है, जो अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाता है ! दिवाली में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्त्व है । पुराणों में वर्णन है कि कार्तिक अमावस्या की रात को लक्ष्मीजी सर्वत्र भ्रमण करती हैं तथा अपने निवास के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने निकल पडती हैं । जहां स्वच्छता, ईमानदारी, मितव्ययिता होती है, वहीं लक्ष्मीजी आकर्षित होती हैं और जहां चरित्रवान, कर्तव्यपरायण, धर्मनिष्ठ, संयमी, सदाचारी, क्षमाशील लोग होते हैं, वहां लक्ष्मीजी वास करना पसंद करती हैं ।

लक्ष्मीपूजन के समय देवताओं की रचना

श्री महालक्ष्मी देवी की कृपा सभी साधकों पर बनी रहे, अलक्ष्मी (दरिद्रता) दूर हो तथा धार्मिक कार्यों में समृद्धि आए, इसके लिए सप्तर्षि जीवनाडी के माध्यम से मार्गदर्शन करनेवाले महर्षि के आदेश पर २४.१०.२०२२ को रामनाथी आश्रम में सनातन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ने, श्री लक्ष्मी और श्री कुबेर की पूजा की ।

श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी

पूजा के समय श्री कुबेर की मूर्ति, श्री लक्ष्मी देवी के चित्र के साथ सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र और उनके द्वारा गले में धारण किए श्रीवत्स लॉकेट और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी द्वारा गले में धारण किए श्रीं यंत्र की भी पूजा की गई । ‘लक्ष्मीपूजन का पूजा के घटकों पर क्या प्रभाव पडता है ?’, इसका वैज्ञानिक अध्ययन किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ उपकरण का उपयोग किया गया ।

१. लक्ष्मीपूजन के घटकों का निरीक्षण

लक्ष्मीपूजन की रचना के सभी घटकों का, जैसे लेखा की बही, श्री लक्ष्मी देवी का चित्र, कुबेर की मूर्ति, चांदी का सिक्का, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र तथा उनके द्वारा गले में धारण किए श्रीवत्स लॉकेट, श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी द्वारा गले में धारण किए श्रीं यंत्र और पुरोहित साधक, सभी का पूजा से पहले और बाद में परीक्षण किया गया । उनके निरीक्षण नीचे दिए हैं ।

२. परीक्षण के निष्कर्ष  

यू.ए.एस. उपकरण द्वारा परीक्षण करते समय, श्री. आशीष सावंत

अ. पूजा से पहले लक्ष्मीपूजन की रचना के घटकों में नकारात्मक ऊर्जा पाई गई । लक्ष्मीपूजन के पश्चात उनके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो गई ।
आ. पूजा के उपरांत लक्ष्मीपूजन के सभी घटकों में सकारात्मक ऊर्जा अत्यधिक बढ गई ।
इ. पूजा के उपरांत पुरोहित साधकों में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बहुत घट गया और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बहुत बढ गया ।

३. परीक्षण के निरीक्षणों का अध्यात्मशास्त्रीय विश्लेषण

श्री. गिरीश पाटील

३ अ. लक्ष्मीपूजन से पहले पूजा के घटकों में नकारात्मक ऊर्जा पाए जाने का कारण : आजकल वातावरण रज-तमप्रधान है, इसलिए सभी वस्तुओं पर कष्टदायक स्पंदनों का आवरण होने की संभावना है । लक्ष्मी पूजन के घटकों पर आवरण था, इसलिए पूजा से पहले ही उनमें नकारात्मक ऊर्जा पाई गई ।

३ आ. लक्ष्मीपूजन के उपरांत, पूजा के घटकों में सकारात्मक ऊर्जा कई गुना बढ जाना : महर्षि के आदेश के अनुसार, सनातन के आश्रम में २४.१०.२०२२ को आयोजित लक्ष्मीपूजन में एक पूजक के रूप में श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी उपस्थित थीं । महर्षि ने कहा है कि ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिगबाळजी श्री महालक्ष्मी का स्वरूप हैं ।’ उन्होंने स्वयं भावपूर्ण लक्ष्मीपूजन किया, इस कारण पूरे वातावरण में श्री महालक्ष्मी देवी का तत्त्व फैल गया । परीक्षण से पता चला कि इसका लक्ष्मीपूजन के घटकों पर सकारात्मक प्रभाव पडा तथा उनमें सकारात्मक ऊर्जा (चैतन्य) कई गुना बढ गई ।

३ इ. लक्ष्मीपूजन का अनुष्ठान भावपूर्ण करनेवाले पुरोहितों को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होना : ‘पुरोहितों का आध्यात्मिक स्तर, उन्हें आध्यात्मिक कष्ट होना अथवा न होना, पाठ करते समय उनके मन की स्थिति और उनका भाव इत्यादि घटकों से यह निर्धारित होता है कि वे किसी विधि का चैतन्य किस मात्रा में ग्रहण कर सकते हैं ?’ इस परीक्षण में पुजारियों में देवी के प्रति भक्तिभाव है । अपने भक्तिभाव के कारण उन्होंने देवी का चैतन्य बडी मात्रा में आत्मसात कर लिया । इसलिए पूजा के पश्चात उनमें नकारात्मक ऊर्जा बहुत कम हो गई तथा सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल बढ गया । इससे पता चलता है कि पुजारियों के लिए किसी भी अनुष्ठान को भक्तिभाव से करना कितना महत्त्वपूर्ण है ।

३ ई. सनातन संस्था के धर्म और राष्ट्ररक्षा के कार्य के लिए श्री महालक्ष्मी देवी का आशीर्वाद : सनातन के रामनाथी आश्रम में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने अत्यंत भावपूर्ण लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की । पूजा के पश्चात पूजा के सभी घटकों में सकारात्मक ऊर्जा की असाधारण वृद्धि देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि ‘श्री महालक्ष्मी देवी ने सनातन संस्था को आध्यात्म के प्रसारकार्य में आनेवाली बाधाओं को दूर कर सभी प्रकार की समृद्धि का आशीर्वाद दिया ।’

– श्री. गिरीश पंडित पाटील, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (२६.९.२०२३)

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सूक्ष्म : व्यक्ति के स्थूल अर्थात प्रत्यक्ष दिखनेवाले अवयव नाक, कान, नेत्र, जीभ एवं त्वचा, ये पंचज्ञानेंद्रिय हैैं । जो स्थूल पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि के परे है, वह ‘सूक्ष्म’ है । इसके अस्तित्व का ज्ञान साधना करनेवाले को होता है । इस ‘सूक्ष्म’ ज्ञान के विषय में विविध धर्मग्रंथों में उल्लेख है ।

सूक्ष्म परीक्षण : कुछ घटना अथवा प्रक्रिया के विषय में चित्त को (अंतर्मन को) जो अनुभव होता है, उसे ‘सूक्ष्म परीक्षण’ कहते हैं ।

इस अंक में प्रकाशित अनुभूतियां, ‘जहां भाव, वहां भगवान’ इस उक्ति अनुसार साधकों की व्यक्तिगत अनुभूतियां हैं । वैसी अनूभूतियां सभी को हों, यह आवश्यक नहीं है । – संपादक