श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी द्वारा की गई भावपूर्ण पूजा के कारण श्री लक्ष्मीपूजन के घटकों में सकारात्मक ऊर्जा (चैतन्य) अत्यधिक बढ जाना 

दिवाली में लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्त्व है । पुराणों में वर्णन है कि कार्तिक अमावस्या की रात को लक्ष्मीजी सर्वत्र भ्रमण करती हैं तथा अपने निवास के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने निकल पडती हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कक्ष की दीवार पर प्रकाश के कारण दिख रहे सप्तरंग

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ‘विश्वगुरु’ हैं । इसलिए उनमें विश्व की समस्त दैवी शक्तियां और सप्तदेवताओं के तत्त्व आवश्यकता के अनुसार प्रकट होकर इच्छा, क्रिया और ज्ञान, इन तीन स्तरों पर कार्यरत होते हैं ।

रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘सनातन प्रभात’ के कार्यालय के चैतन्यमय वास्तु में लगाए गए जानकारी फलक पर अंकित परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कृपाशीर्वाद से इस कार्यालय का चैतन्यमय एवं पवित्र वास्तु में रूपांतरण हुआ ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एवं श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के भ्रूमध्य पर दैवी चिन्ह अंकित होने का अध्यात्मशास्त्र !

आध्यात्मिक गुरुओं का कार्य जब ज्ञानशक्ति के बल पर चल रहा होता है, तब उनके सहस्रारचक्र की ओर ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह आता है और वह उनके आज्ञाचक्र के द्वारा वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है ।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सात्त्विक वातावरण में ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्ष का स्वागत करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक !

‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ और सूक्ष्म चित्रों के माध्यम से किए अध्ययन तथा सम्मिलित साधकों के व्यक्तिगत अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय पद्धति से ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्षारंभ मनाना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है तथा पश्चिमी पद्धति से नववर्षारंभ मनाना हानिकारक है ।

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग में सीखनेवाली कु. वेदिका मोदी द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम् का कु. मधुरा भोसले द्वारा किया गया सूक्ष्म परीक्षण !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग में सीखनेवाली ५७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. वेदिका मोदी (आयु १४ वर्ष) द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम् का कु. मधुरा भोसले द्वारा किया गया सूक्ष्म परीक्षण ! नृत्यसाधना के विषय में अद्वितीय शोधकार्य करनेवाला महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय      ‘६.२.२०२२ को महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की नृत्य विभाग में सीखनेवाली जोधपुर … Read more

शृंगदर्शन के लाभ

शृंगदर्शन करने से व्यक्ति का भाव जागृत होता है । वह शिवपिंडी के प्रत्यक्ष दर्शन करता है, उस समय उसकी आत्मशक्ति (कुछ क्षणोंके लिए) जागृत होती है तथा उसका ध्यान भी लगता है ।

सनातन के ज्ञान-प्राप्तकर्ता साधकों को होनेवाले विविध प्रकार के कष्ट एवं मिलनेवाले ज्ञान की विशेषताएं !

विष्णुस्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के धर्मसंस्थापना के कार्य को ज्ञानशक्ति का समर्थन मिलने के लिए ईश्वर सनातन संस्था की ओर ज्ञानशक्ति प्रवाहित कर रहा है ।

अभ्यंगस्नान करने से होनेवाले सूक्ष्म परिणाम और लाभ दर्शानेवाला सूक्ष्म चित्र !

दीपावली के तीन दिनों पर अभ्यंगस्नान करते हैं । अभ्यंगस्नान के कारण रज-तम गुण एक लक्षांश अल्प होकर उसी मात्रा में सत्त्वगुण में वृद्धि होती है और उनका प्रभाव सदैव के स्नान की तुलना में अधिक होता है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में साधकों को ‘श्रीसत्यनारायण’ रूप में दिए दर्शन का एसएसआरएफ की साधिका श्रीमती योया वाले द्वारा बनाया सूक्ष्मचित्र और उसका विश्लेषण !

११.५.२०१९ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी का ७७ वां जन्मोत्सव समारोह भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया । पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से मयन महर्षि की आज्ञानुसार इस समारोह में परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने सनातन के साधकों को ‘श्रीसत्यनारायण’ रूप में दर्शन दिए ।