हिन्दू त्योहारों के विषय में प्रशासन और न्यायव्यवस्था द्वारा किया गया पक्षपात !

मार्च-अप्रैल २०२१ में कोरोना की दूसरी लहर आ रही थी तब बंगाल, तमिलनाडु, केरल ऐसे कुछ राज्यों में चुनाव हुए । इस निमित्त सभी दलों ने लाखों लोगों को रास्ते पर एकत्रित किया और शोभायात्राएं निकाली । जिसके परिणाम स्वरूप कोरोना संक्रमण में वृद्धि हुई ।

कोरोना प्रतिबंधक टीके फेंकने के प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का गंभीर दृष्टिकोण !

प्रतिभू (जमानत) आवेदन का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि २ विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस प्रकरण की जांच की है । इस जांच में पाया गया कि परिचारिका ने जानबूझकर कोरोना की बहुमूल्य २९ डोस फेंकी है ।

जनप्रतिनिधियों का विधिमंडल में आचरण और न्यायसंस्था की सजगता !

हाल ही में महाराष्ट्र में दो दिवसीय वर्षाकालीन अधिवेशन हुआ । सभापति को गालियां देना और धमकियां देना आदि घटनाएं घटित हुईं । इसलिए सभापति ने विरोधी दल के १२ विधायकों की सदस्यता एक वर्ष के लिए निलंबित की ।

बलात्कार के प्रकरणों में आरोपियों को दी जानेवाली प्रतिभू (जमानत), न्यायाधीशों द्वारा पीडिताओं पर की गई अनुचित टिप्पणियां और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय !

उत्तर प्रदेश में २९ फरवरी २०२० को एक अवयस्क (नाबालिग) युवती पर बलात्कार करने के प्रकरण में वासनांध कामिल को बंदी बनाया गया । उस पर भा.दं.वि. की धारा ३७६ और ‘पॉक्सो’ कानून के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट कर अभियोग चलाया गया ।

बंगाल हिंसाचार प्रकरण में उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया आश्‍वासक निर्णय !

हाल ही में बंगाल के विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैैं । इन चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ ।