नवजात बालिका के नाम पर १० सहस्त्र रुपये ; बालिकाओं के सर्वांगीण विकास हेतु अभिनव योजना !

मुंबई में श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट का बड़ा निर्णय !

श्री सिद्धिविनायक मंदिर

मुंबई – श्री सिद्धिविनायक भाग्यलक्ष्मी योजना यहां श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट द्वारा कार्यान्वित की जा रही है और इसे न्यास की प्रबंधन समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है। महाराष्ट्र के सरकारी चिकित्सालय में जन्म लेने वाली बालिका के नाम पर उसकी मां के बैंक खाते में १० सहस्त्र रुपये जमा करने की योजना प्रस्तावित की गई है। सिद्धिविनायक ट्रस्ट ने बताया है कि योजना के मानदंडों की घोषणा सरकार की मंजूरी के बाद की जाएगी।

१. राज्य में लड़कियों के जन्म को प्रोत्साहित करना, उनकी शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा लडकियों को सशक्त बनाने का प्रयास करना। इन उद्देश्यों में योगदान दें , इसके लिए श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर की ओर से एक नई पहल शुरू की गई है।

२. श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट की ट्रस्टी समिति की बैठक ३१ मार्च को संगठन के अध्यक्ष सदानंद सरवणकर की अध्यक्षता में हुई।

३. इस बैठक में श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट की वर्ष २०२४-२५  की वार्षिक रिपोर्ट तथा वर्ष २०२५-२६  के लिए बजट अनुमान प्रस्तुत किए गए। वर्ष २०२४ – २५ के लिए ट्रस्ट की आय ११४ करोड रुपये होने की उम्मीद थी। यह १३३ करोड रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। पिछले वर्ष की तुलना में यह १५ प्रतिशत की वृद्धि है।

४. अब अगली आय रु.१५४ करोड मानी गयी है। संगठन के बजट में, महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में ८ मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जन्म लेने वाली नवजात लड़कियों के सर्वांगीण विकास के लिए ‘श्री सिद्धिविनायक भाग्यलक्ष्मी योजना’ को लागू करने के लिए सरकार की मंजूरी के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने की घोषणा अध्यक्ष सदानंद सरवणकर की उपस्थिति में की गई।

संपादकीय भूमिका 

  • मंदिरों के सरकारीकरण के परिणाम जानिए! चिंता की बात यह है कि सरकारीकरण के कारण श्रद्धालुओं का पैसा श्रद्धालुओं और मंदिरों के विकास के लिए उपयोग नहीं किया जाता, अपितु उन योजनाओं पर खर्च किया जाता है जिन्हें सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जाना आवश्यक है !
  • ऐसी योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक अपनी बेटियों के लिए भी उठा सकते हैं। इसलिए भक्तों को ऐसी योजना का कड़ा विरोध करना चाहिए और इस योजना को रोकने तथा मंदिर के सरकारीकरण के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए दृढ़ संकल्प होना चाहिए !