गुरुकृपा से सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा की जा रही सेवाओं की गहराइ

‘मुझे विविधांगी सेवाएं मिलने का मुख्य कारण – मेरा गुण ‘जिज्ञासा’ और मुख्यत: ‘गुरुकृपा’ है’, ऐसा लगना, आध्यात्मिक कष्टों पर नामजप आदि उपचार बताना तथा दूसरों के लिए नामजपादि उपचार करना ।’ अब इस लेख का अगला भाग दे रहे हैं ।(भाग २)

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘हिन्दू’ शब्द की व्युत्पत्ति है, ‘हीनान् गुणान् दूषयति इति हिंदुः ।’ अर्थात ‘हीन, कनिष्ठ, रज एवं तम गुणों का नाश करनेवाला ।’ कितने हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन अपने कार्यकर्ताओं को यह सिखाते हैं ?’

Mohan Bhagwatji : हिन्दुओ, दुर्बल एवं असंगठित न रहो, संगठित हों !   

यह हिन्दुओं के ध्यान में आना चाहिए, दुर्बल रहना अपराध है । हम दुर्बल, असंगठित हैं, इसका अर्थ है हम अत्याचार को निमंत्रित कर रहे हैं ।

Canada PM’s Unabashed Acceptance : हमने सबूतों के अभाव में भारत पर आरोप लगाया !

ट्रूडो के आरोपों से भारत पर दबाव बनाने वाले अमेरिका को अब भारत से क्षमा मांगनी चाहिए ! भारत को भी यही मांग करनी चाहिए !

संपादकीय : विनाशकारी संघर्ष : वास्तविकता एवं भविष्य !

परमाणु हथियारों के लालच में विश्व के अनेक राष्ट्र विनाश की खाई में गिरते जा रहे हैं, इस वास्तविकता को जानें !

‘ओपिनियन पोल’ एवं ‘एक्जिट पोल’

‘ओपिनियन पोल’ एवं ‘एक्जिट पोल’ कैसे किए जाते हैं ? उसके लिए प्रतिष्ठान क्या करते हैं ?, इस विषय में कौतुहल होता है । इस लेख के माध्यम से इस विषय पर प्रकाश डालने का किया गया प्रयास !

­व्यायाम करने के लिए आयु का कोई बंधन नहीं है !

आपकी आयु चाहे कितनी भी हो; परंतु व्यायाम का आनंद उठाने में विलंब नहीं हुआ है । अपनी स्वयं की क्षमता के अनुसार व्यायाम करना आरंभ करें तथा कोई शारीरिक कष्ट हो, तो व्यायाम का नया प्रकार आरंभ करने से पूर्व डॉक्टर से परामर्श लें !

व्यायाम करना उबाऊ लग रहा है ? तो यह करें !

किसी भी कार्य के लिए समय सुनिश्चित करने से ‘उसी समयावधि में हमें वह कृति करनी है’, इसका स्मरण रहता है तथा प्रतिदिन उन कृतियों को करने से हम उसके अभ्यस्त हो जाते हैं ।

छठ पूजा (७ नवंबर)

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाई जाती है । यह चार दिवसीय त्योहार होता है, जो चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है । इसे कार्तिक छठ पूजा कहा जाता है ।

देवदीपावली

कुलस्वामी, कुलस्वामिनी एवं इष्टदेवता के अतिरिक्त अन्य देवताओं की पूजा भी वर्ष में किसी एक दिन करना तथा उनको भोग प्रसाद अर्पण करना आवश्यक होता है । यह इस दिन किया जाता है ।