देवदीपावली

१. तिथि

मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा (इस वर्ष १५ नवंबर २०२४) ।

२. महत्त्व

कुलस्वामी, कुलस्वामिनी एवं इष्टदेवता के अतिरिक्त अन्य देवताओं की पूजा भी वर्ष में किसी एक दिन करना तथा उनको भोग प्रसाद अर्पण करना आवश्यक होता है । यह इस दिन किया जाता है ।

३. पूजन

इस दिन अपने कुलदेवता तथा इष्टदेवता सहित, स्थान-देवता, वास्तुदेवता, ग्रामदेवता और गांव के अन्य मुख्य उपदेवता, महापुरुष, वेतोबा इत्यादि निम्न स्तरीय देवताओं की पूजा कर उनकी रुचि का प्रसाद पहुंचाने का कर्तव्य पूर्ण किया जाता है । देवदीपावली पर पकवानों का महानैवेद्य (भोग) चढाया जाता है ।

(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ – त्योहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र)