रायगड के प्रख्यात वैद्य, सनातन के ३५ वें संत आयुर्वेद प्रवीण पू. वैद्य विनय भावेजी का देहत्याग !

मूलतः वसई जिला रायगड के प्रख्यात वैद्य तथा सनातन के ३५ वें संत आयुर्वेद प्रवीण पू. वैद्य विनय नीळकंठ भावेजी (आयु ६९ वर्ष) ने २५ जून को रात १० बजे रत्नागिरी में देहत्याग किया । वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे ।

अपेक्षा करना अहं है !

अपेक्षा करना’ अहं का लक्षण है । अपेक्षापूर्ति होने पर तात्कालिक सुख मिलता है; परंतु इससे अहं का पोषण होता है और यदि अपेक्षा के अनुरूप नहीं होता तो दुःख होता है, अर्थात दोनों ही प्रसंगों में साधना की दृष्टि से हानि ही होती है ।’

गुरुकार्य हेतु अर्पण स्वरूप में प्राप्त धन का अपव्यय करनेवालों की जानकारी सूचित करें !

अनेक शुभचिंतक समय-समय पर सनातन के राष्ट्र और धर्म कार्य हेतु धन अथवा वस्तु अर्पण करते हैं । यह अर्पण उचित स्थान पर पहुंचाना प्रत्येक साधक का कर्तव्य है; परंतु ऐसा देखने में आया कि एक स्थान पर अर्पण का अपव्यय हुआ है ।

साधको प्रत्येक क्षण साधना के लिए उपयोग कर साधना की फलोत्पत्ति बढाएं और आध्यात्मिक उन्नति का ध्येय शीघ्र प्राप्त करें !

साधक द्वारा साधना में उन्नति कर मन के संस्कार न्यून करना अपेक्षित है । सामाजिक माध्यमों पर विनोद, मनोरंजन, समाचार इत्यादि देखने के कारण साधक के मन पर नए संस्कार अंकित होते हैं ।

‘निर्विचार’, ‘ॐ निर्विचार’ एवं ‘श्री निर्विचाराय नमः ।’ नामजप भाव के स्तर के होना

साधक को निर्गुण स्थिति प्राप्त होने तक उसके मन में भाव होता ही है तथा मन को भाव का अभ्यास होता ही है । इसका लाभ लेकर यह नामजप भाव के स्तर पर करने से इस नामजप का फल अधिक मात्रा में मिलता है ।

देवद, पनवेल निवासी सनातन आश्रम की ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधिका श्रीमती चंद्ररेखा जाखोटिया का निधन

सनातन के आश्रम में रहनेवाली ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त साधिका श्रीमती चंद्ररेखा नटवरलाल जाखोटिया (उपाख्य जीजी) (आयु ६१ वर्ष) का दीर्घकालीन अस्वस्थता से १६ जून २०२१ को सवेरे ११.५५ पर निधन हुआ ।

धर्मसंस्थापना हेतु सर्वस्व का त्याग करें !

सर्वस्व का त्याग किए बिना मोक्षप्राप्ति नहीं होती; इसीलिए आध्यात्मिक प्रगति करने की इच्छा रखनेवालों को सर्वस्व का त्याग करना चाहिए ।

आपातकाल में गुरु का प्रीतिमय कृपाछत्र अनुभव करने के लिए शिष्य बनें !

आपातकाल में रक्षा होने के लिए अनन्य भाव से श्रीमन्नारायणस्वरूप परात्पर गुरु डॉक्टरजी की शरण लें और उनका खरा शिष्य बनने के लिए साधना हेतु पराकाष्ठा के प्रयत्न करें ।’ – श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी. (२८.४.२०२१)

धर्मसंस्थापना के दैवी कार्य में सम्मिलित होकर जीवन का कल्याण करें !

भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्ट कौरवों को पराजित कर धर्मराज्य स्थापित किया । कलियुग में भी श्रीमन्नारायणस्वरूप परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने धर्मसंस्थापना का महान कार्य आरंभ किया है । जिस प्रकार श्रीराम के कार्य में सहभागी होकर वानरसेना ने स्वयं का उद्धार किया, उसी प्रकार परात्पर गुरु डॉक्टरजी के धर्मस्थापक दैवीय कार्य में सहभागी होकर जीवन का कल्याण कर लें !’

‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सव २०२१

गुरुपूर्णिमा पर १,००० गुना सक्रिय रहनेवाले गुरुतत्त्व का लाभ सभी को मिले, इसलिए ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं । सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सव हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, कन्नड, तमिल, तेलुगु, मलयालम, बांग्ला, पंजाबी, ओडिया, इन ११ भाषाओं में है ।