कुलार्णवतन्त्र, उल्लास १४, श्लोक ३७ के अनुसार मादा कछुआ केवल मन में चिंतन कर भूमि के नीचे रखें अंडों को उष्मा देती है, बच्चों को बडा करती है और उनका पोषण करती है, उसी प्रकार गुरु केवल संकल्प द्वारा शिष्य की शक्ति जागृत करते हैं तथा उसमें शक्ति का संचार करते हैं । ऐसी महान गुरुपरंपरा के चरणों में कोटि-कोटि कृतज्ञता !
प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) द्वारा परात्पर गुरु डॉक्टरजी को दिए आशीर्वाद ‘आगे घर-घर में लोग तुम्हें पूजेंगे’ के अनुसार ही महर्षियों द्वारा बताया जाना और उसकी मिल रही प्रतीति
‘आगे घर-घर के पूजाघर में तुम्हारी प्रतिमा होगी’, ऐसा प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) ने परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को बताया था । चेन्नई में हुए एक नाडीपट्टिका वाचन में महर्षियों ने भी यही बताया, ‘भविष्य में हम इस अवतार का रहस्योद्घाटन करेंगे । आनेवाले काल में अनेक भक्त उनका पूजन करेंगे । इन परम गुरुजी के चरण न छोडें । इनकी कृपादृष्टि सदैव बनी रहे । इसके अतिरिक्त जीवन में अन्य कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है ।’ प.पू. बाबा का आशीर्वाद, साथ ही महर्षियों द्वारा कथन की गई वाणी भी अब सत्य होती प्रतीत हो रही है ।
(‘वर्ष १९९३ में प.पू. भक्तराज महाराजजी ने एक शिष्या कु. सीमा गरुड को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विषय में बताया, ‘‘लोग इसे (डॉक्टरजी को) पूजेंगे !’’ – संकलनकर्ता)
जिन्हें परात्पर गुरु डॉक्टरजी कौन हैं यह ज्ञात नहीं, उनके द्वारा भी परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र देखकर ‘हमें भी ऐसा छायाचित्र दें’, ऐसा कहना
सनातन के साधकों के पूजाघर में परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र होता ही है । साथ ही अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ भी परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र जेब में, साथ ही स्वयं के बैग में रखने के लिए मांगते हैं । जिन्हें परात्पर गुरु डॉक्टरजी कौन हैं ?, यह भी ज्ञात नहीं, ऐसे लोगों को भी परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र दिखाने पर वे कहते हैं, ‘हमें भी ऐसा कोई छायाचित्र दें ।’ ऐसी अनुभूति हमें अन्यत्र यात्रा करते हुए अनेक बार हुई है ।
संकलनकर्त्री : – श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी
अनेक संतों द्वारा भी अपने पूजाघर में परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र पूजन हेतु रखना
पुणे के संत प.पू. आबा उपाध्येजी द्वारा परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र स्वयं मांगना
प.पू. आबा उपाध्येजी ने एक बार परात्पर गुरु डॉक्टरजी के छायाचित्र की मांग की थी । हमने उन्हें दो छायाचित्र दिए । परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने उन्हें संदेश भिजवाया, ‘दोनों में से जो छायाचित्र आपको अच्छा लगे, वह रख लें ।’ दोनों छायाचित्रों को देखकर प.पू. आबाजी ने कहा, ‘‘ये दोनों ही छायाचित्र अच्छे हैं । इनमें से एक मैं अपने पास रखता हूं और एक पूजाघर में रखता हूं ।’’
‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी ही श्रीराम हैं’, ऐसा भाव रखकर प.पू. दास महाराजजी द्वारा अपने पूजाघर में परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र रखा जाना
पानवळ-बांदा (जिला सिंधुदुर्ग), महाराष्ट्र के संत प.पू. दास महाराजजी के पूजाघर में परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र है । ‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी ही श्रीराम हैं और उनके अवतारी कार्य के कारण ही पृथ्वी पर रामराज्य आएगा’, ऐसी उनकी श्रद्धा है ।
तमिलनाडु के वैदिश्वरन् गांव के सूर्यकला नाडी वाचक श्री. सेल्वराजू ने परात्पर गुरु डॉक्टरजी के कार्य की जानकारी नाडीपट्टिका में मिलने पर ‘ऐसे दिव्यात्मा के छायाचित्र हमें दें’ ऐसी मांग कर वह छायाचित्र पूजाघर में रखा ।
उपरोक्त सभी उदाहरणों से ध्यान में आता है कि हीरे को कितना भी छुपाया तब भी उसका प्रकाश न छुपता है, न अल्प होता है । चैतन्य के बल पर यात्रा करनेवाले को परात्पर गुरु डॉक्टरजी का छायाचित्र देखकर प्रथम दृष्टि में ही अनुभव होता है कि ‘इनमें कुछ तो विशेष है’ और वह एक अज्ञात आकर्षण शक्ति द्वारा आकर्षित होता है । वास्तव में अवतारी कार्य करनेवालों की देह का चैतन्य छुपाकर नहीं रख सकते । समय आने पर वह जनसामान्य पर भी अपना प्रभाव दिखाता है । अब हम उस चैतन्य का जनसामान्य पर हुआ परिणाम अनुभव कर सकते हैं ।’
– श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळ, बेंगळूरु, कर्नाटक. (२९.११.२०१५)