सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘अनेक पति-पत्नी पूरा जीवन लडते-झगडते रहते हैं और आगे बुढापे में उन्हें समझ में आता है कि ‘इस कष्ट का उपाय केवल साधना करना ही है ।’ उस समय ‘पूरे जीवन में कभी साधना नहीं की’, इसका पश्चाताप करने के अतिरिक्त उनके पास कोई विकल्प नहीं होता ।’