शारीरिक कष्ट बढने के विविध कारण

जब आप अन्न, हवा एवं पानी इन मूल बातों पर निर्भर होते हैं तथा वही यदि मिलावट आ जाती है, तो बीमारी से कोई अछूता नहीं रह सकता ! चिकित्सकीय क्षेत्र के लोग भी ! इसीलिए हमारी दादी जिस प्रकार स्वस्थ रही, उस प्रकार स्वस्थ रहने के लिए हमारी पीढी को बहुत अधिक प्रयास करने पडेंगे, यह निश्चित है !

सनातन की ग्रंथमाला : श्राद्ध (भाग १) महत्त्व एवं अध्यात्मशास्त्रीय विवेचन

श्राद्धकर्म विधि करने से होनेवाले लाभ जानने हेतु पढें सनातन का ग्रंथ !

सनातन का लघुग्रंथ : आध्यात्मिक कष्टों को दूर करने हेतु उपयुक्त दृष्टिकोण

‘आध्यात्मिक कष्ट होना’ भले ही हमारे हाथ में न हो, तब भी ‘आध्यात्मिक उपचारों से कष्टों को नियंत्रण में रखना तथा धीरे-धीरे उन्हें मिटाना’ हमारे हाथ में होता है । ‘आध्यात्मिक उपचारों से हम कष्टों पर निश्चित ही विजय प्राप्त कर सकते हैं’, स्वयं में यह विश्वास उत्पन्न करना पडता है । प्रस्तुत लेखमाला में दिए गए अधिकतर दृष्टिकोण सभी के लिए उपयुक्त हैं ।

गणेशोत्सव का आरंभ श्री गणेश चतुर्थी को ही क्यों ?

गणेश तृतीया, गणेश पंचमी अथवा गणेश सप्तमी के दिन क्यों नहीं मनाई जाती ? तत्त्ववेत्ता पुरुषों की भावना एवं मान्यता यह है कि मनुष्य में सत्त्व, रज एवं तम ये ३ गुण होते हैं । उन्हें सत्ता दिलानेवाला चैतन्य चौथा है ।

मोदक

‘मोद’ का अर्थ है आनंद तथा ‘क’ का अर्थ है छोटा सा अंश ! मोदक का अर्थ है आनंद का छोटा सा अंश !

प्रथम नमन आपको गणेशजी !

श्री गणपति में शक्ति, बुद्धि एवं संपत्ति, ये तीन सात्त्विक गुण हैं । वे भक्तों पर अनुकंपा करनेवाले हैं । श्री गणपति विद्या, बुद्धि एवं सिद्धि के देवता हैं । वे दुखहरण करनेवाले हैं; इसीलिए प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में श्री गणेश की पूजा की जाती है । विद्यारंभ में तथा ग्रंथारंभ में भी श्री गणेश का स्तवन करते हैं ।

तर्पण एवं पितृतर्पण का उद्देश्य और महत्त्व !

किसी भी श्राद्धविधि में ‘तर्पण’ दिया जाता है । ‘तर्पण’ का अर्थ, उसका महत्त्व एवं प्रकार, उसका उद्देश्य, साथ ही उसे करने की पद्धति के विषय में जानकारी इस लेख में दिया है ।

श्राद्ध में भोजन कैसे परोसें ?

पितृपात्र के लिए (पितरों के पत्तल के लिए) उलटी दिशा में (घडी की सुइयों की विपरीत दिशा में) भस्म की रेखा (पिशंगी) बनाएं । श्राद्धीय ब्राह्मणों की थाली में लवण (नमक) न परोसें ।

श्राद्ध कौन करें एवं कौन न करें ?

मृत व्यक्ति के श्राद्ध कुटुंब में कौन कर सकता है एवं उसका अध्यात्मशास्त्रीय कारण इस लेख में देखेंगे । इससे यह स्पष्ट होगा कि हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो प्रत्येक व्यक्ति का उसकी मृत्यु के उपरांत भी ध्यान रखता है ।

नांदीश्राद्ध (वृद्धिश्राद्ध) क्या है ? यह क्यों करते हैं ?

प्रत्येक मंगलकार्य के आरंभ में विघ्ननिवारणार्थ श्री गणपति पूजन करते हैं । उसी प्रकार पितर एवं पितर देवताओं का (नांदीमुख इत्यादि देवताओं का) नांदीश्राद्ध करते हैं ।