वास्तुशास्त्र (भवन-निर्माण शास्त्र)

वेदकाल से विकसित वास्तुशास्त्र और विज्ञान के उत्तम उदाहरण, हिन्दुओं के देवालय !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हिन्दुओं को सक्रिय करनेवाली ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ का बढता कार्य !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं को संगठित करनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति का कोरोना महामारी की आपदा के उपरांत बढते दैवीय कार्याें का लेख यहां दिया है ।

वैचारिक युद्ध लडकर हिन्दू पुनरुत्थान संभव ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

१९ अक्टूबर को संपन्न इस कार्यक्रम में २० से भी अधिक देशभक्त विचारकों ने अपने विचार रखे तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य की बाधाएं दूर करने हेतु ‘वैचारिक युद्ध लडकर ही हिन्दुओं का पुनरुत्थान संभव है’, इस सूत्र पर विचारमंथन किया ।

विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेता छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनातन के ग्रंथ एवं लघुग्रंथ दें  !

विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों एवं महाविद्यालयों के प्राचार्यों से विनम्र अनुरोध !

कुंभ पर्व में सेवा के लिए अच्छी स्थिति में दोपहिया तथा चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है !

प्रत्यक्ष धर्मप्रसार की सेवा के लिए १५.१२.२०२४ से ५.३.२०२५ तक कुंभ क्षेत्र में विविध सेवाओं के लिए दोपहिया तथा चारपहिया वाहनों की आवश्यकता है ।

सनातन की ग्रंथमाला : अलंकारशास्त्र

बिन्दी की अपेक्षा कुमकुम लगाना क्यों योग्य है, नथ सदैव मोती की ही क्यों होती है, कान में एक से अधिक कर्णाभूषण क्यों न पहनें इत्यादि की सूक्ष्म स्तरीय अध्यात्मशास्त्रीय कारणमीमांसा स्पष्ट करनेवाला ग्रन्थ !

देवतातत्त्व आकृष्ट करनेवाली सनातन-निर्मित सात्त्विक रंगोलियां तथा सात्त्विक चित्रों में देवताओं के यंत्र की भांति सकारात्मक ऊर्जा (चैतन्य) होना

रंगोली ६४ कलाओं में से एक कला है । यह कला आज घर-घर पहुंच गई है । त्योहारों-समारोहों में, देवालयों में तथा घर-घर में रंगोली बनाई जाती है । रंगोली के दो उद्देश्य हैं – सौंदर्य का साक्षात्कार तथा मांगलिक सिद्धि ।

भक्तों पर अखंड कृपाछत्र बनाए रखनेवाले प.पू. भक्तराज महाराजजी !

सनातन के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा समर्पित भावसुमनांजलि !

प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं परात्पर गुरुदेवजी के चित्र बनाते समय साधक को हुई अनुभूतियां

प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं परात्पर गुरुदेवजी के चित्र बनाते समय श्री. प्रसाद हळदणकर को हुई अनुभूतियां यहां दे रहे हैं

साधक में विद्यमान भाव कैसे कार्य करता है ?

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा बताए अमृत वचन