विभिन्न क्षेत्रों के मान्यवरों से आध्यात्मिक धागे से जुडे सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी में ऐसा कुछ है कि एक बार उनके पास गया व्यक्ति उन्हीं का हो जाता है ! उसे पुनः-पुनः गुरुदेवजी से मिलने की इच्छा होती है । यह है सभी के प्रति गुरुदेवजी की निरपेक्ष प्रीति ! इसी निरपेक्ष प्रीति के कारण जिज्ञासु अथवा मान्यवर पहली भेंट में ही उनके साथ किस प्रकार जुड जाते हैं, इस उपलक्ष्य में यह देखेंगे !

श्रीविष्णुतत्त्व की अनुभूति देनेवाले कलियुग के दिव्य अवतारी रूप : सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी !

श्रीविष्णुस्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी का जन्मोत्सव तो साधकों के लिए ‘अमृत से भी मधुर’ अनुपम एवं दिव्य पर्व है । इस दिन साधकों के अंतर्मन में भावभक्ति की शीतल धारा प्रवाहित होकर उन्हें आत्मानंद एवं आत्मशांति की अनुभूति होती है । ऐसे इस दैवी पर्व के उपलक्ष्य में श्रीविष्णु स्वरूप गुरुदेवजी की महिमा हम अपने हृदयमंदिर में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित कर लेंगे ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी संबंधी ग्रंथमाला

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीकी गुरुसे हुई भेंट एवं उनका गुरुसे सीखना’ इस ग्रंथ मे पढिये सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजीके प्रथम ग्रन्थ ‘अध्यात्मशास्त्र’ से अधिक चैतन्य प्रक्षेपित होता है, यह दर्शानेवाला वैज्ञानिक परीक्षण

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के छायाचित्रों में दिखाई देनेवाली उनकी असामान्य आध्यात्मिक विशेषताएं और उनका शास्त्र !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के वर्ष २००८ से २०२१ के ६ छायाचित्र आगे दिए हैं । इस छायाचित्र में उनका चेहरा एवं मान की त्वचा, आंखें, चेहरे के भाव आदि १ से २ मिनट तक देखें । इससे विशेषतापूर्ण अनुभव होता है क्या ?’, इसका अध्ययन करें । सभी छायाचित्र की एक समान विशेषताएं एवं प्रत्येक छायाचित्र के निरालेपन का भी अध्ययन करें ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कक्ष की दीवार पर प्रकाश के कारण दिख रहे सप्तरंग

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ‘विश्वगुरु’ हैं । इसलिए उनमें विश्व की समस्त दैवी शक्तियां और सप्तदेवताओं के तत्त्व आवश्यकता के अनुसार प्रकट होकर इच्छा, क्रिया और ज्ञान, इन तीन स्तरों पर कार्यरत होते हैं ।

साधको, ‘अनल संवत्सर’ अर्थात तीनों गुरुओं के प्रति ‘समर्पण’ एवं ‘शरणागति’ का वर्ष होने से इस अवधि में समर्पण भाव एवं शरणागत भाव बढाने के प्रयास करें !

‘अब आरंभ हुए अनल संवत्सर में गुरुभक्ति बढाने के लिए क्या प्रयास कर सकते हैं ?’, यह हम देखेंगे ।

घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के संकलित ग्रंथ शीघ्र ही प्रकाशित होने के लिए साधकों की आवश्यकता !

ग्रंथमालाएं अधिक वेग से होने के लिए अनेक लोगों की सहायता की आवश्यकता है । अपनी रुचि एवं क्षमता के अनुसार ग्रंथ-निर्मिति की सेवा में सहभागी होकर इस स्वर्णिम अवसर का अधिकाधिक लाभ लें !

सद्गुरु डॉ. वसंत बाळाजी आठवलेजी की पू. शिवाजी वटकर द्वारा ली भेंटवार्ता श्रीराम समान आदर्श एवं सर्वगुण संपन्न सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

सद्गुरु डॉ. वसंत बाळाजी आठवले (ती. अप्पाकाका, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के बडे भाई) की पू. शिवाजी वटकर द्वारा ली भेंटवार्ता यहां प्रकाशित कर रहे हैं ।