‘भारतीय परंपरा के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात गुडी पडवा नववर्ष का आरंभ है । इस दिन सवेरे अभ्यंगस्नान कर ब्रह्मध्वज का पूजन कर, नववर्ष का स्वागत किया जाता है । गत कुछ दशकों से पश्चिमी संस्कृति के अनुसार ३१ दिसंबर की मध्यरात्रि पश्चिमी पद्धति से भोज, मद्य, नृत्य ऐसे वातावरण में नववर्ष आरंभ करने की रूढि स्थापित हो गई है । इन दोनों पद्धतियों से किए नववर्ष के स्वागत का सम्मिलित व्यक्तियों पर आध्यात्मिक स्तर पर निश्चित क्या परिणाम होता है, इसका महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा आधुनिक वैज्ञानिक प्रणाली ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ (यू.ए.एस.) तथा सूक्ष्म परीक्षण द्वारा अध्ययन किया गया । इस अध्ययन के निष्कर्ष सारांश में यहां दिए गए हैं ।
१. ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ द्वारा किया गया अध्ययन
भूतपूर्व अणु वैज्ञानिक डॉ. मन्नम मूर्ति ने यह उपकरण विकसित किया है । इस उपकरण के माध्यम से किसी वस्तु, वास्तु, वनस्पति, प्राणि अथवा मनुष्य में स्थित सूक्ष्म सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल तथा कुल प्रभामंडल की गणना कर सकते हैं । नकारात्मक ऊर्जा दो प्रकार की होती है । उनमें से ‘इन्फ्रारेड’ नामक नकारात्मक ऊर्जा उस घटक के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा होती है तथा ‘अल्ट्रावॉयलेट’ नामक नकारात्मक ऊर्जा उस घटक के नकारात्मक स्पंदन दर्शाती है । सामान्य व्यक्ति अथवा वस्तु में नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है; परंतु सकारात्मक ऊर्जा होगी ही, ऐसा नहीं है । विगत ५ वर्षों में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा ‘यू.ए.एस.’ उपकरण के माध्यम से व्यापक शोध किए गए हैं । वर्ष २०१४ से २०१९ की अवधि में १० सहस्र से अधिक सजीव और निर्जीव घटकों के निरीक्षण की प्रविष्टियां की गई हैं ।
१ अ. पश्चिमी पद्धति से ३१ दिसंबर की मध्यरात्रि किए गए नववर्षारंभ के परिणामों का परीक्षण : ३१ दिसंबर २०१८ की रात्रि महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के देश-विदेश के १२ साधक पश्चिमी संस्कृति के अनुसार हेयर स्टाइल, रंगभूषा (मेकअप) और वेशभूषा कर गोवा स्थित एक नामांकित होटल में आयोजित ‘न्यू इयर पार्टी’ में सम्मिलित हुए । ये सभी साधक वहां ५ घंटे थे । ३१.१२.२०१८ की रात्रि पार्टी में जाने से पूर्व तथा १.१.२०१९ को सवेरे पार्टी से लौटने पर उन सभी के ‘यू.ए.एस.’ उपकरण द्वारा किए निरीक्षणों की प्रविष्टियां की गईं ।
उक्त सूक्ष्म चित्र से ध्यान में आता है कि पश्चिमी नववर्षारंभ के कार्यक्रम से अधिक मात्रा में कष्टदायक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं । इसलिए सम्मिलित व्यक्तियों पर उनका आवरण आता है । ऐसे स्थान पर सूक्ष्म अनिष्ट शक्तियों का अस्तित्व होता है और वे व्यक्ति और वातावरण, इन दोनों पर बडी मात्रा में नकारात्मक परिणाम करती हैं । इससे स्पष्ट होता है कि पश्चिमी पद्धति से नववर्षारंभ मनाना कितना हानिकारक है ।
१ आ. भारतीय पद्धति से चैैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ब्रह्मध्वज पूजन से किए नववर्षारंभ के परिणामों का परीक्षण : ६.४.२०१९ को रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन के आश्रम में विधिवत ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्ष का स्वागत किया गया । इस पूजन में सूत्र क्रमांक ‘१ अ.’ के १२ में से १० साधक उपस्थित थे । उस समय पूर्व में किए गए परीक्षण के २ साधक विदेश में होने के कारण परीक्षण में उपस्थित नहीं हो सके । ब्रह्मध्वज पूजन से पूर्व और पूजन के पश्चात उन सबके ‘यू.ए.एस.’ उपकरण द्वारा किए निरीक्षण की प्रविष्टियां की गई ।
१ इ. पश्चिमी और भारतीय पद्धति से किए नववर्षारंभ के परिणामों की तुलना : दोनों परीक्षणों में निरीक्षण की प्रविष्टियों का विश्लेषण करने पर आगे दिए गए सूत्र प्रमुखता से दिखाई दिए ।
१ इ १. पश्चिमी पद्धति से मनाए गए नववर्षारंभ का परिणाम
अ. साधकों में स्थित ‘इन्फ्रारेड’ और ‘अल्ट्रावॉयलेट’ इन दोनों प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा में कार्यक्रम से पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्चात लगभग तीन गुना वृद्धि हुई ।
आ. साधकों की सकारात्मक ऊर्जा कार्यक्रम से पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्चात लगभग आधे से अधिक घट गई ।
१ इ २. भारतीय पद्धति से मनाए नववर्षारंभ का परिणाम
अ. साधकों में स्थित दोनों प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा कार्यक्रम के पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्चात लगभग आधे से अधिक घट गई ।
आ. साधकों की सकारात्मक ऊर्जा कार्यक्रम से पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्चात लगभग डेढ गुना बढ गई ।
सूक्ष्म परीक्षण के माध्यम से किया गया अध्ययन
‘स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन’ की पू. श्रीमती योया वाले ने पश्चिमी पद्धति से ३१ दिसंबर की मध्यरात्रि किए गए नववर्षारंभ तथा महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की श्रीमती प्रियांका गाडगीळ (पूर्वाश्रम की कु. प्रियांका लोटलीकर) ने भारतीय पद्धति से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सवेरे ब्रह्मध्वज पूजन से किए नववर्षारंभ के परिणामों का सूक्ष्म परीक्षण किया । इसे उनके द्वारा बनाए सूक्ष्म चित्रों के माध्यम से समझ लेते हैं ।
ब्रह्मध्वज पूजन के पश्चात ब्रह्मध्वज से शक्ति, चैतन्य और आनंद प्रक्षेपित होता है तथा सूक्ष्म कष्टदायक शक्तियां दूर होती हैं, यह पास के चित्र से स्पष्ट होता है ।
संक्षेप में ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ और सूक्ष्म चित्रों के माध्यम से किए अध्ययन तथा सम्मिलित साधकों के व्यक्तिगत अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय पद्धति से ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्षारंभ मनाना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है तथा पश्चिमी पद्धति से नववर्षारंभ मनाना हानिकारक है ।’
– डॉ. (श्रीमती) नंदिनी सामंत, महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय, गोवा. (१९.३.२०२०)
सूक्ष्म ज्ञान संबंधी चित्र : कुछ साधकों को किसी विषय से संबंधित जो अनुभव होता है, उसके रेखांकन को (कागज पर बनाए चित्र को) ‘सूक्ष्म ज्ञान संबंधी चित्र’ कहते हैं ।
सूक्ष्म परीक्षण : किसी घटना के विषय में अथवा प्रक्रिया के विषय में चित्त को (अंतर्मन को) जो अनुभव होता है, उसे ‘सूक्ष्म परीक्षण’ कहते हैं । बुरी शक्ति : वातावरण में अच्छी तथा बुरी (अनिष्ट) शक्तियां कार्यरत रहती हैं । अच्छे कार्य में अच्छी शक्तियां मानव की सहायता करती हैं, जबकि अनिष्ट शक्तियां मानव को कष्ट देती हैं । प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों के यज्ञों में राक्षसों ने विघ्न डाले, ऐसी अनेक कथाएं वेद-पुराणों में हैं । ‘अथर्ववेद में अनेक स्थानों पर अनिष्ट शक्तियां, उदा. असुर, राक्षस, पिशाच को प्रतिबंधित करने हेतु मंत्र दिए हैं ।’ अनिष्ट शक्ति के कष्ट के निवारणार्थ विविध आध्यात्मिक उपाय वेदा आदि धर्मग्रंथों में वर्णित हैं । |