आचार ही धर्म की नींव है !

‘सनातन हिन्दू संस्कृति में आचार को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है । ‘प्रत्येक को श्रुति-स्मृतियों द्वारा प्रतिपादित आचारधर्म का पालन करना चाहिए’, इस पर धर्मशास्त्र बल देता है ।’

स्नान पूर्व करने योग्य प्रार्थना एवं स्नान करते समय उपयुक्त श्लोकपाठ

‘हे जलदेवता, आपके पवित्र जल से मेरे स्थूलदेह के सर्व ओर निर्माण हुआ रज-तम का कष्टदायक शक्ति का आवरण नष्ट होने दें । बाह्यशुद्धि के समान ही मेरा अन्तर्मन भी स्वच्छ एवं निर्मल बनने दें ।’

तिलक धारण करने के संदर्भ में आचार

स्नान के उपरान्त अपने-अपने सम्प्रदाय के अनुसार मस्तक पर तिलक अथवा मुद्रा लगाएं, उदा. वैष्णवपंथी मस्तक पर खडा तिलक, जबकि शैवपंथी आडी रेखाएं अर्थात ‘त्रिपुण्ड्र’ लगाते हैं ।

शाकाहार एवं सात्त्विक आहार का सेवन करें !

मांसाहार तथा तमोगुणी आहार का सेवन न करें ! : अधिक तले एवं मसालेदार पदार्थ, बासी पदार्थ तथा पोषक-मूल्य रहित एवं पचनेमें भारी पिज्जा, चिप्स, वेफर्स जैसे ‘फास्ट फूड’ का सेवन न करें ।

नामजप के माध्यम से कर्म ‘अकर्म कर्म’ बनना

नामजप के माध्यम से कर्म ‘अकर्म कर्म’ बनने से यथार्थ आचार-पालन कर पाना : दैनिक जीवन का प्रत्येक कृत्य नामजप सहित करनसे वह कर्म ‘अकर्म कर्म’ बनता है । प्रत्येक कृत्य ‘अकर्म कर्म’ हो, तो उसका अच्छा-बुरा कोई भी फल नहीं मिलता । इस प्रकार यथार्थ आचारपालन सम्भव होता है और ईश्वर से एकरूप हो पाते हैं ।

अलंकार धारण करने का महत्त्व व लाभ

सौभाग्यालंकारों के माध्यम से स्त्री को तेजदायी तरंगों का स्पर्श होता है । उन्हें पतिव्रत-धर्म का निरंतर भान रहे, इसके लिए यह व्यवस्था की गई ।

साधना अच्छी होने के लिए आयुर्वेद के अनुसार अध्ययन करने की आवश्यकता

ईश्वरप्राप्ति करने के लिए प्रत्येक साधक को ‘शरीर होगा, तब ही धर्म अथवा साधना करना संभव होता है’, यह सूत्र ध्यान में रखना चाहिए । साधना के लिए शरीर निरोगी चाहिए । इसलिए आयुर्वेदानुसार आचरण करना चाहिए ।

चीनी फिल्में तथा औषधियां बनानेवाले प्रतिष्ठानों द्वारा लूटमार !

चीन में ‘वो बू शी याओ शेन’ (‘डाइंग टू सर्वाइव’ – जीने के लिए मरना) फिल्म को दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं । व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगानेवाली यह फिल्म चीन में प्रदर्शित हो सकी, यह भी एक चमत्कार ही है !

रामराज्य के समय की पितृसत्ता एवं आधुनिक लोकतंत्र !

प्रा. भरत गुप्त देहली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राध्यापक हैं । वे प्राचीन भारतीय शास्त्रीय तत्त्वज्ञ, संगीत विशेषज्ञ, स्तंभ लेखक एवं लेखक हैं । यू ट्यूब वाहिनी ‘मानुषी इंडिया’ की संपादक मधुपूर्णिमा किश्वर ने उनसे संवाद किया ।