‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ‘आभूषणों का व्यक्ति पर होनेवाला प्रभाव’ विषय पर फ्रांस में ‘ऑनलाइन’ पद्धति से शोधनिबंध का प्रस्तुतीकरण !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक हैं तथा श्री. शॉन क्लार्क सहलेखक हैं !

सात्त्विक आकार के आभूषण स्त्री के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी ! – कु. मिल्की अगरवाल, फोंडा, गोवा

फोंडा (गोवा) – आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक आकार के आभूषण सात्त्विक स्पंदनों को आकर्षित कर सकते हैं तथा स्त्री को उसकी आध्यात्मिक प्रगति में लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं, तो दूसरी ओर आध्यात्मिक दृष्टि से नकारात्मक आकार के आभूषण रज-तमात्मक स्पंदनों को आकर्षित कर स्त्री के प्रभामंडल पर नकारात्मक प्रभाव करा सकते हैं । आभूषण धारण करनेवाला व्यक्ति, आभूषण बनानेवाले कारीगर की आध्यात्मिक स्थिति, आभूषण बनाने के लिए उपयोग किया गया धातु तथा आभूषणों के आकार, इन घटकों पर उनकी सकारात्मक अथवा नकारात्मक स्पंदनों को आकर्षित करने की क्षमता निर्भर होती है । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से कु. मिल्की अगरवाल ने ऐसा प्रतिपादित किया । फ्रांस में ‘आइकॉन एलएलसी’ समूह की अेार से प्रत्यक्ष रूप से एवं ऑनलाइन पद्धति से आयोजित ‘फैशन, ब्यूटी एवं कॉस्मेटोलॉजी एक्स्पो (एफ.बी.सी. २०२२)’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय परिषद में वे ऐसा बोल रही थीं । कु. अगरवाल ने इस परिषद में ‘आभूषण हमारे प्रभामंडल पर किस प्रकार परिणाम करते हैं ?’ विषय पर शोधनिबंध प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक हैं तथा श्री. शॉन क्लार्क (आध्यात्मिक स्तर ६५ प्रतिशत) सहलेखक हैं । इस परिषद में कु. मिल्की अगरवाल ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ (यू.ए.एस.) एवं ‘पॉलिकॉन्ट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी’ (पीआइपी), इन उपकरणों का उपयोग कर किया गया शोध प्रस्तुत किया ।

कु. मिल्की अगरवाल द्वारा रखे गए सूत्र

कु. मिल्की अगरवाल

१. महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोधकार्य में ३ प्रकार के आभूषणों की सूक्ष्म ऊर्जा तथा उसे धारण करनेवाली स्त्री के प्रभामंडल पर उसके होनेवाले परिणाम के संदर्भ में परीक्षण किया गया ।

२. इसमें पहला आभूषण ‘फैशन ज्वेलरी’ श्रेणी का, दूसरा आभूषण २२ कैरट सोने से बना हुआ आध्यात्मिक दृष्टि से अनुचित आकार का तथा तीसरा आभूषण २२ कैरट सोने से बना; परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से उचित आकार का था ।

३. इस परीक्षण में ऐसा दिखाई दिया कि पहले तथा दूसरे आभूषण से प्रमुखता से रज-तम स्पंदनों का प्रक्षेपण हुआ तथा उसका स्त्री के प्रभामंडल पर नकारात्मक परिणाम हुआ । तीसरी माला से सात्त्विक स्पंदन प्रक्षेपित हुए तथा स्त्री के प्रभामंडल पर उसका सकारात्मक परिणाम हुआ ।

४. इसका यदि सारांश बताना हो, तो आभूषण बनानेवाले कारीगरों तथा खरीददारों ने यदि आभूषणों के संदर्भ में मूलभूत संकल्पनाओं का पालन किया, तो उससे आभूषणों का वास्तविक मूल्य बढेगा तथा वह स्त्री की आध्यात्मिक प्रगति के लिए लाभकारी सिद्ध होगा ।