चालीस के उपरांत घुटनों में वेदना न हो, इसलिए घुटनों पर नियमित तेल लगाएं !

‘सामान्य तौर पर घुटनों के दर्द पर उपचार स्वरूप तेल लगाएं कहते ही अधिकांश लोग केवल घुटनों के सामने ही तेल लगाते हैं, अर्थात घुटने के ‘नीकैप’ को ही तेल लगाते हैं । घुटनों को तेल लगाते समय उसे घुटनों के सर्व ओर लगाएं ।’

‘स्नेक्स इन दी गंगा : ब्रेकिंग इंडिया 2.0’ पुस्तक से उजागर भारतविरोधी चौंकानेवाली सच्चाई !

अमेरिका स्थित ‘फोर्ड फाउंडेशन’ की ओर से भारतविरोधी संगठनों को करोडों रुपए की सहायता दी जाना तथा इनमें से किसी की भी भारत की प्रगति की इच्छा न होना

आंखों की सुरक्षा के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान दें !

आंखों पर निरंतर आनेवाले तनाव को कम करने हेतु २०-२०-२० का नियम उपयोग में लाएं, जिससे प्रति २० मिनट उपरांत लगभग २० फुट लंबाईवाली वस्तु की ओर २० सेकेंड तक देखें ।

जीवामृत कैसे बनाएं ?

प्रत्येक पूर्णिमा एवं अमावस्या, इन तिथियों पर फव्वारा करें । एक बार बनाया हुआ जीवामृत २-३ दिनों में उपयोग कर समाप्त करें ।

स्टॉलिन का हिन्दीद्वेष !

संसदीय समिति के अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ दिन पूर्व ही राष्ट्रभाषा के विषय में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को प्रतिवेदन दिया था ।

इस ग्रहणकाल में २४ घंटे कैसे उपवास रखें ?

धर्म के अनुसार आचरण करने से स्वास्थ्य की रक्षा होती है, अतः ८.११.२०२२ के चंद्र ग्रहण के समय धर्मशास्त्रानुसार बिना अन्न ग्रहण किए उपवास कीजिए !

८.११.२०२२ को भारत में दिखाई देनेवाला संपूर्ण चंद्रग्रहण (ग्रस्तोदित), ग्रहण की अवधि, उसके नियम तथा राशि के अनुसार ग्रहण का फल !

यह चंद्रग्रहण भारत में सर्वत्र ग्रस्तोदित स्वरूप में दिखाई देनेवाला है; इसका अर्थ ग्रस्त चंद्रबिंब उदित होगा । उसके कारण भारत में कहीं भी ग्रहणस्पर्श दिखाई नहीं देगा । भारत के पूर्व के कुछ प्रदेशों में संपूर्ण अवस्था दिखाई दे सकती है; परंतु महाराष्ट्र एवं अन्य प्रदेश में यह ग्रहण आंशिक स्वरूप में दिखाई देगा ।’

#Exclusive : कुमकुम लगाने का मह‌त्त्व और वह क्यों लगाएं ?

‘कुमकुम लगाते समय भ्रूमध्य एवं आज्ञाचक्र पर दबाव दिया जाता है एवं वहां के बिंदु दबाए जाने से मुखमंडल के (चेहरे के) स्नायुओं को रक्त की आपूर्ति भली-भांति होने लगती है ।

हिन्दू जनजागृति समिति की यशोगाथा

हिन्दुओं का जाति-दल-संप्रदाय रहित एक विशाल संगठन खडा रहे; इसके लिए समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर महानगरों तक १ सहस्र ३०० से अधिक ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं’ लीं ।