जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ! – श्री. गुरुराज प्रभु, हिन्दू जनजागृति समिति
हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गुरुराज प्रभु ने बताया कि ‘‘जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ।
हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गुरुराज प्रभु ने बताया कि ‘‘जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ।
अमेरिका एवं ब्रिटेन के एक नए भूराजनीतिक पारी का उदय हुआ तथा वह था ‘भारत का विभाजन’ ! शीघ्रता में डिकी माउंटबेटन को भारत का ‘वाइसराय’ बनाया गया । उसे एक धारिका दी गई, जिस पर लिखा था ‘ऑपरेशन मैड हाउस’ !
वीर सावरकरजी के समकालीन साम्यवादियों के दृष्टीकोण से सावरकरजी का महत्त्व क्या था तथा उनके वंशजों ने सावरकर जी को किस प्रकार अपमानित किया, इस विषय पर यह विशेष विचारणीय लेख हमारे पाठकों के लिए प्रसारित कर रहे हैं ।
अंग्रेजों की वृत्ति लेकर बनी नई भारतीय पीढियों ने ब्रिटिशों की किस प्रकार सहायता की ? तथा वे भारत के रक्तरंजित विभाजन का कारण कैसे बने, यह आज के इस लेख से समझ लेंगे ।
ज्योतिषशास्त्र में ग्रहदोषों के निवारण के लिए रत्नों का उपयोग किया जाता है । रत्न धारण करने के पीछे का उद्देश्य एवं उनका उपयोग इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।
‘लव जिहाद’ अर्थात भारत की हिन्दू युवतियों को धर्मांतरित करने हेतु शत्रु राष्ट्रों द्वारा रचा गया अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र ! इसमें इस्लामी राष्ट्र बडी संख्या में सहभागी होकर यह षड्यंत्र रच रहे हैं ।
वर्ष २०१४ में इंग्लैंड में सिखों के अकाल तख्त ने ‘लव जिहाद’ को गंभीरता से लिया । वहां यह विषय ‘रोमियो जिहाद’ एवं ‘ग्रूमिंग जिहाद’ के नाम से पहचाना जाता है ।
कुछ मुसलमान इतने क्रूर होते हैं कि वे दुबई, अफगानिस्तान, सउदी जैसे मुसलमानबहुल देशों में हिन्दू लडकियों की बिक्री करते हैं । ध्यान रहे, ऐसी बिक्री होने पर आपके जीवन में केवल नरकयातनाएं ही होंगी; क्योंकि ये वासनांध मुसलमान आपका उपभोग करने के पश्चात किसी दूसरे मुसलमान को बेच देगें ।
‘बॉलीवुड की फिल्मों एवं वेबसीरीज में विवाहपूर्व एवं विवाहबाह्य शारीरिक संबंध सामान्य होते हैं’, ऐसा दिखाया जा रहा है । हिन्दू धर्म के पंडित, संस्कार एवं परंपराएं पुरानी तथा पिछडी हैं, तो अन्य पंथों के धार्मिक कृत्य पवित्र हैं तथा उनके धर्मगुरु उच्च विचारधारावाले हैं, ऐसा भी दिखाया जाता है ।
‘लव जिहाद’ के संकट के विषय में विद्यालयों-महाविद्यालयों, महिला समूहों, व्यावसायिक केंद्रों, धार्मिक कार्यक्रमों आदि माध्यमों से समाज में जागृति लाना आवश्यक है ।