फिल्म जगत में कार्यरत ‘लव जिहाद’ के दलालों का षड्यंत्र !
१. मामूली खानों के साथ हिन्दू नायिकाओं के साथ जानबूझकर प्रेमदृश्य दिखाना : फिल्म जगत में कार्यरत ‘लव जिहाद’ के दलाल ‘आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, अरबाज खान जैसे मामूली खानों के साथ जानबूझकर हिन्दू नायिकाओं के प्रेमदृश्य दिखाकर हिन्दू युवतियों के मन में अनैतिक प्रेमभावना जागृत करने का षड्यंत्र कर रहे हैं ।
२. हिन्दू युवती अपने ही परिसर के मुसलमान युवक में बडे परदे पर दिखाई देनेवाला खान खोजने का प्रयास करती है, यह हम हिन्दू धर्मियों का दुर्भाग्य !
३. अधिकांश हिन्दू दर्शकों द्वारा ही देखे जानेवाले इन मामूली खानों के फिल्मों से मिलनेवाले आर्थिक लाभ में से कुछ प्रतिशत पैसों का ‘लव जिहाद’ जैसे वांशिक आक्रमण में उपयोग किया जाता है ।
(साभार : साप्ताहिक राष्ट्रपर्व)
‘लव जिहाद’ हिन्दू लडकियों की समझ में न आनेवाला धर्मांतरण का बडा षड्यंत्र तथा बॉलीवुड के द्वारा उसका खुलेआम महिमामंडन ! – श्रीमती रति हेगडे, लेखिका, स्तंभलेखिका एवं शोधकर्त्री
‘बॉलीवुड की फिल्मों एवं वेबसीरीज में विवाहपूर्व एवं विवाहबाह्य शारीरिक संबंध सामान्य होते हैं’, ऐसा दिखाया जा रहा है । हिन्दू धर्म के पंडित, संस्कार एवं परंपराएं पुरानी तथा पिछडी हैं, तो अन्य पंथों के धार्मिक कृत्य पवित्र हैं तथा उनके धर्मगुरु उच्च विचारधारावाले हैं, ऐसा भी दिखाया जाता है । साथ ही ऐसा दिखाया जाता है कि ‘हिन्दू लडकी के मुसलमान लडके के साथ के संबंध ही आदर्श प्रेम है तथा केवल ये लडके ही हमारा सम्मान करने के साथ हमें स्वतंत्रता दिला सकते हैं ।’ वास्तव में यह धर्मांतरण का एक बडा षड्यंत्र है, जो हिन्दू लडकियों की समझ में नहीं आता । उसके कारण वे ‘लव जिहाद’ के जाल में फंस जाती हैं ।
‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन देनेवाली बॉलीवुड की फिल्मों का बहिष्कार करें ! – तान्या, ‘संगम टॉक्स’ की संपादिका
विगत कुछ वर्षाें से इस्लाम को महत्त्व देनेवाली तथा हिन्दू धर्मविरोधी फिल्में बनाई जा रही हैं । उनमें नायक को मुसलमानप्रेमी, तथा हिन्दुओं को खलनायक दिखाया जाता है । हिन्दी फिल्मों के द्वारा ‘लव जिहाद’ को प्रोत्साहन दिया जा रहा है; परंतु आज के समय में हिन्दू जागृत होकर ऐसी फिल्मों का बहिष्कार कर रहे हैं, जिससे बॉलीवुड की आर्थिक हानि हो रही है । अभी भी बॉलीवुडवाले हिन्दुओं की क्षमा मांगने के लिए तैयार नहीं हैं । इसमें बडी मात्रा में पैसों का खेल छिपा हुआ है । बॉलीवुड ने उन्हें पैसों की आपूर्ति करनेवाले गिरोह को ही अपना माता-पिता माना है । वास्तव में ‘दर्शक ही माता-पिता होते हैं’, यह बात वे भूल गए हैं; इसीलिए उन्हें इसका भान होने तक फिल्मों का बहिष्कार जारी रखना चाहिए ।