अभियोगों का निपटारा शीघ्रता से होने के लिए तकनीक का अधिकाधिक उपयोग करेंगे ! – नये कानून मंत्री मेघवाल

यह जानकारी केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कानून मंत्रालय के सूत्र हाथ में लेने पर, ‘आपके काम का प्राधान्यक्रम क्या होगा’, इस प्रश्न के उत्तर में दी है ।

शरिया कानून में एकतरफा तलाक की प्रक्रिया को समाप्त करें ! – क्रिकेटर मोहम्मद शमी की पत्नी

समलैंगिक विवाहों की अपेक्षा ‘तलाक’ देने की कुप्रथा के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहा अन्याय एक बहुत ही गंभीर विषय है एवं न्यायालय को इस विषय को शीघ्रातिशीघ्र सुलझाना चाहिए, संवेदनशील जनता का ऐसा विचार है !

प्रसव से संबंधित लाभ का कानून १९६१ (मैटर्निटी बेनिफिट एक्ट) तथा उसकी जानकारी

जो महिलाएं काम पर हैं तथा वे उक्त शर्तें पूर्ण करती हों, वे इस जानकारी का लाभ उठाकर इस कानून का लाभ उठाएं ।

पाकिस्तान में हिन्दुओं के विवाह के संबंध में कानून पारित

इस अधिनियमानुसार अब हिन्दू उनकी परंपरा के अनुसार विवाह कर सकेंगे । साथ ही पाकिस्तान के पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान राज्यों में यह कानून अधिसूचित किया जाने वाला है ।

सर्वाेच्च न्यायालय को आधुनिकतावादियों की याचिकाओं का लगता है महत्त्व !

‘तहसीन पूनावाला’ प्रकरण में अपराध पंजीकृत कर इसका अन्वेषण अगले स्तर पर पहुंच गया है, साथ ही आवाज के उदाहरण भी न्याय-चिकित्सकीय प्रयोगशाला को भेजे गए हैं तथा वे शीघ्र ही अन्वेषण विभाग को मिलेंगे ।

शरीयत कानून में संपत्ति के विभाजन में महिलाओं के साथ भेदभाव !

महिलाओं के संगठन, महिला आयोग अथवा मानवाधिकार संगठन ऐसी घटनाओं में कभी भी मुसलमान महिलाओं की सहायता करने के लिए आगे नहीं आते ! 

न्यायपालिका एवं विधिपालिका के बीच की अहंकार की लडाईयां ?

२९ जनवरी २०२३ को प्रकाशित लेख में हमने ‘अधिकारों का वितरण तथा संसद के द्वारा न्यायालय के अधिकारों पर लगाई गई मर्यादाएं, संविधान में कितने परिवर्तन संभव हैं ?

दारुल उलूम देवबंद शिक्षा संस्था ने दाढी साफ करने के कारण ४ विद्यार्थियों को निकाल दिया !

‘जो विद्यार्थी पढने के लिए आए हैं वे दाढी न साफ करें । जो विद्यार्थी दाढी साफ करेगा, उसे निकाल दिया जाएगा । जो विद्यार्थी बिना दाढी के प्रवेश लेने आएगा, उसे प्रवेश नहीं दिया जाएगा ।’ दाढी साफ किए गए ४ विद्यार्थियों को निकालने के उपरांत यह आदेश निकाला गया है ।

न्यायपालिका एवं विधिपालिका के बीच की अहंकार की लडाइयां ?

‘हे न्यायदेवता, मैं आपको पुनः पत्र लिख रहा हूं । उसे देखकर आप क्षुब्ध नहीं होंगे, ऐसी यदि मैंने अपेक्षा रखी, तब भी पत्र पढकर आप कुछ करेंगे नहीं, ऐसा मुझे लगने न दें; क्योंकि देखा जाए, तो विषय थोडा गंभीर है और कहा जाए, तो व्यंगात्मक भी ! किसी ने पहले ही कह डाला था कि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है । पहले वह शोकांतिका होती है तथा उसके पश्चात वह व्यंग होता है ।

‘समान नागरिक कानून संविधान विरोधी होगा !’

कोई भी मुसलमान अथवा उनका संगठन कभी भी समान नागरिक कानून का समर्थन नहीं करेगा; कारण वर्तमान में उन्हें मिलने वाली सभी सुविधाएं इस कानून के आने से समाप्त हो जाएंगी, यह स्पष्ट है !