शरीयत कानून में संपत्ति के विभाजन में महिलाओं के साथ भेदभाव !

मुसलमान महिला ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की !

नई देहली – शरीयत कानून में संपत्ति के विभाजन से महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है । महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिलते हैं, ऐसा आरोप करते हुए बुशरा अली नामक एक महिला ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । बुशरा अली ने इस याचिका में कहा है ‘यह असमानता दूर करने की आवश्यकता है । देश के संविधान में महिलाओं को समानता का अधिकार होते हुए भी मुसलमान महिला भेदभाव की बलि चढती है’ । इस याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने उसके ११ भाई एवं बहनों को नोटीस भेजी है । केरल उच्च न्यायालय ने ६ जनवरी को इस प्रकरण में बुशरा अली के विरुद्ध निर्णय दिया था । उस पर उसने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है ।  बुशरा अली के पिताजी का वर्ष १९८१ में निधन हुआ था । उन्होंने मृत्यु के पूर्व संपत्ति का विभाजन नहीं किया था ।

संपत्ति का विवाद शरीयत कानून १९३७ के अंतर्गत सुलझाया जाता है । इस कानून के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति बेटा, बेटी, पत्नी एवं माता-पिता में विभाजित की जाती है । कानून के अनुसार बेटी को बेटे की तुलना में आधी संपत्ति देने का प्रावधान है । पति की मृत्यु के उपरांत पत्नी को संपत्ति का छठा भाग दिया जाता है । उसी के साथ अभिभावकों के लिए भी उसमें से एक निश्चित भाग निर्धारित है ।

संपादकीय भूमिका 

ध्यान दें ! महिलाओं के संगठन, महिला आयोग अथवा मानवाधिकार संगठन ऐसी घटनाओं में कभी भी मुसलमान महिलाओं की सहायता करने के लिए आगे नहीं आते !