पुस्‍तक में जानकारी दी है, ‘पुराणकाल में भारत में विमान एवं अन्‍य वाहन आकाश में उडते थे’ !

‘चंद्रयान-३’ अभियान की सफलता छात्रों को बताने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एन.सी.ई.आर.टी.) ने प्रकाशित की पुस्‍तक !

स्थानांतरित भारतीय !

आज विदेश में भौतिक सुख भले ही मिलता है, किंतु मन की शांति नहीं, यह स्पष्ट दिखाई दे देती है । नैतिकता का भी ह्रास हुआ है । ये दोनों बातें हिन्दू धर्म में हैं । भौतिक सुविधाएं निर्मित करने में भारत को अनेक वर्ष लग सकते हैैं; किंतु साधना के माध्यम से भारत विश्वगुरु हो सकता है ।

श्रीराममंदिर के निर्माण के समय चल रही खुदाई में मिली देवताओं की मूर्तियां और स्तंभ !

यहां परदेवताओं की अनेक मूर्तियां और स्तंभ अधिक रहे हैं । इस विषय में अधिक जानकारी अभी नहीं दी गई है । श्रीराममंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरांत खुदाई के समय मिले अवशेष दर्शन के लिए रखे जाएंगे ।

नामांतरण की आवश्यकता !

सरकार तथा नागरिकों को विदेशी संस्‍कृति के चिह्न मिटाने का कोई भी अवसर नहीं छोडना चाहिए ! हिन्दू महारक्षा अघाडी द्वारा सामने रखा गया यह सूत्र देशभक्त गोमंतकीय तथा भाजपा सरकार द्वारा अपनाकर भारत के इस भाग से एक और विदेशी जुए को उखाड कर संस्‍कृति को विकसित करने का प्रयास करेगी !

६०० वर्ष पूर्व कश्मीर में सभी लोग हिन्दू थे; धर्मांतरण के कारण वे मुसलमान हुए !

पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद का स्पष्टीकरण !

भारतीयों की तपस्या से निर्माण होगा १ सहस्त्र वर्षों का स्वर्णिम इतिहास !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ७७ वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से देशवासियों को संबोधित किया !

मुस्लिम समुदाय को इस ऐतिहासिक चूक को स्वीकार कर लेना चाहिए !

उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट कथन !
ज्ञानवापी में त्रिशूल क्यों ? यह प्रश्न भी पूछा !

मथुरा की श्रीकृष्णजन्मभूमि का भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण करें !

भविष्य में लोकतंत्र मार्ग से इन सभी मंदिरों को प्राप्त करने के पश्चात उनके रक्षणार्थ हिन्दुओं के पास क्या कोई दूरगामी योजना है ? सरकार पर निर्भर न रहते हुए मंदिरों की रक्षा के लिए हिन्दुओं को स्वतंत्र एवं सक्षम यंत्रणा खडी करनी भी उतनी ही आवश्यक है  !

(और इनकी सुनिए…) ‘पंडितों के स्त्रियों को भ्रष्ट करने से औरंगजेब द्वारा ज्ञानव्यापी मंदिर की तोडफोड !’ – भालचंद्र नेमाडे

‘शिवाजी का मुख्य सेनापति मुसलमान था । उन्हें अपने लोगों पर (हिन्दुओं पर) विश्वास नहीं था । उस समय हिन्दू मुसलमान भेद ही नहीं था ।’ ऐसा छत्रपति शिवाजी महाराजजी का एकेरी उल्लेख करते हुए विषवमन !