सनातन धर्म ‘हिन्दू राष्ट्र’ का प्राण है ! – बबिता गांगुली, हिन्दू जनजागृति समिति
‘‘सनातन धर्म ‘हिन्दू राष्ट्र’ का प्राण है । अनादि काल से भारत की राजव्यवस्था सनातन हिन्दू धर्म के सिद्धांतों के अनुसार चल रही थी ।
‘‘सनातन धर्म ‘हिन्दू राष्ट्र’ का प्राण है । अनादि काल से भारत की राजव्यवस्था सनातन हिन्दू धर्म के सिद्धांतों के अनुसार चल रही थी ।
‘‘भारत एक स्वयंभु हिन्दू राष्ट्र है । संपूर्ण विश्व में किसी भी देश में वहां के बहुसंख्यक समाज के हित को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाते हैं तथा उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया जाता है; परंतु हमारे देश में बहुसंख्यक समाज के लिए न कोई आयोग है और न ही उनके कल्याण के लिए कोई मंत्रालय है ।
हिन्दुओं पर प्रतिदिन होनेवाले आघातों के विषय में जागृति निर्माण कर, हिन्दू राष्ट्र लाने के लिए सभी को संगठित करने के उद्देश्य से अयोध्या के मिल्कीपुर तहसील के कुमारगंज गांव में सरस्वती शिशु मंदिर में धर्मसभा का आयोजन किया गया था ।
सनातन संस्था जो कार्य कर रही है उसका हिन्दू राष्ट्र की निर्मिती में बहुत बडा योगदान है । सभी में अच्छे संस्कार निर्माण करना और सभी का जीवन संस्कारमय हो, इसके लिए सनातन संस्था के साधक निरंतर प्रयास कर रहे हैं ।
‘‘कालमहिमा के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होकर रहेगी, परंतु सूर्यास्त के उपरांत अंधेरा दूर करने के लिए जिस प्रकार से एक दीपक भी अपना योगदान देता है, उसी प्रकार से हम हिन्दुओं को भी हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में प्रतिदिन न्यूनतम एक घंटा समय देने का संकल्प करना होगा’
‘‘कुछ लोग श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय पढते हैं; परंतु जीवन की प्रतिकूल परिस्थिति में वे गीता के ज्ञान के आधार पर लड नहीं सकते । इसलिए गीता में बताए ज्ञान को प्रत्यक्ष जीवन में उतारना आवश्यक है ।
‘‘किसी भी राष्ट्र का प्राण धर्म होता है । दुर्भाग्यवश भारत देश की शासन व्यवस्था धर्मनिरपेक्ष बनाई गई । यहां के बहुसंख्यक समाज को धर्मशिक्षा से वंचित किया गया ।
भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ और पाकिस्तान नाम के इस्लामी देश का निर्माण हुआ । उसने धर्म के आधार पर प्रत्येक काम किए, ध्वज भी धर्म के आधार पर हरा रखा । भारत धर्म के आधार पर हिन्दू राष्ट्र होना अपेक्षित होते हुए भी तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं ने इसे धर्मनिरपेक्ष कर भारत के पुरातन भगवा ध्वज को पीछे डालकर तिरंगा चुना । यदि उस समय भारत हिन्दू राष्ट्र हो जाता, तो भगवा ही राष्ट्रध्वज होता !
‘‘भारत में राज्य व्यवस्था हिन्दुओं के लिए अनुकूल होने हेतु वैधानिक मार्ग से भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना आवश्यक है । इसलिए हिन्दू संगठित होकर लोकतांत्रिक मार्ग से हिन्दू राष्ट्र आंदोलन को सशक्त बनाएं ।’’,