वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव : बीजवक्तव्य

इस वर्ष का महोत्सव मुख्य रूप से सनातन धर्म की वैचारिक सुरक्षा, हिन्दू समाज की सुरक्षा के उपाय, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संवैधानिक प्रयास, मंदिर सुरक्षा के प्रयास, वैश्विक स्तर पर हिन्दुत्व की सुरक्षा पर केंद्रित होगा । ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ एक प्रकार का लोकमंथन है!  यहां एकत्र हुई हिन्दू शक्ति हिन्दू राष्ट्र निर्माण के विश्वकल्याणकारी कार्य में शामिल होगी ।

Vaishvik Hindu Rashtra Mahotsav Special : आध्यात्मिक संस्थाओं के माध्यम से धर्मजागरण

धर्मकार्य में योगदान से ही हमारा जीवान सार्थक होगा ! – महामंडलेश्वर नर्मदा शंकरपुरी महाराज, निरंजनी आखाडा, जयपुर, राजस्थान

भारतीय ज्ञान पर आधारित पश्चिमी वैज्ञानिक प्रगति ! – डॉ. नीलेश ओक, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज, यूएसए

सनातन धर्म शब्दप्रमाण्य पर आधारित है; परंतु प्रत्यक्ष अनुपात भी महत्त्वपूर्ण है । हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रत्यक्ष अनुभव किया, उसी को उन्होंने शब्दबद्ध किया ।

Anti-Sanatan DMK : छात्रों को अंगूठियों, माथेपर कुमकुम लगाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा !

ऐसे रजाकारी शासकों को, जो हिन्दुओं की जड़ों को नष्ट कर रहे हैं,अगले चुनाव में हिंदू संगठन बनाकर प्रति करना चाहिए !

Pandit Dhirendra Krishna Shastri : जब तक हिंदू राष्ट्र नहीं बन जाता, हम शांत नहीं बैठेंगे ! -पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री

अयोध्या में लोकसभा चुनाव में मिली पराजय पर चर्चा करते हुए पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री ने कहा कि हिंदुत्व कभी प्राजित नहीं होता, हिंदुत्व सीखता है। वह हार को ‘सीखने के अवसर’ के रूप में देखते हैं।

हिन्दुओं के संगठित प्रयत्नों के कारण हिन्दू राष्ट्र के विरूद्ध हो रहे षड्यंत्र सफल नहीं होंगे ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य को गति देने के लिए प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’, अर्थात ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ आयोजित किया गया है। यह महोत्सव २४ से ३० जून २०२४ तक की कालावधि में गोवा में संपन्न होगा।

श्रीराम मंदिर के उपरांत अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ के लिए संगठित प्रयत्न आवश्यक ! – राजन बुणगे, हिन्दू जनजागृति समिति

गोवा में २४ जून से आरंभ होनेवाले ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में सोलापुर (महाराष्ट्र) के हिन्दुत्वनिष्ठ भी सहभागी होंगे

प्राचीन भारतीय मंदिरों की अलौकिक धरोहर !

सौर किरणें मूर्ति पर पडें; इसके लिए मंदिर सदैव पूर्व-पश्चिम दिशा में होते हैं; क्योंकि सूर्यप्रकाश में अधिक मात्रा में पवित्रक होते हैं ।

दक्षिण ध्रुव तक बिना किसी बाधा के मार्ग दिखानेवाला सोमनाथ मंदिर !

चुंबकीय प्रभाव के कारण यहां का शिवलिंग हवा में डोलता था । वास्तुकला का यह एक अद्भुत उदाहरण तथा वहां सोना-चांदी का प्रचुर भंडार था ।

कालगणना का निर्माणस्थल, समय का केंद्रबिंदु एवं सृष्टि का प्रथम स्थल उज्जैन का महाकाल मंदिर !

एक ‘त्रुटि’ अर्थात सेकेंड का ३३ सहस्र ७५० वां भाग, यहां से लेकर १ दिन तक की कालगणना, सप्ताह के सात वार, युगों से समय का सबसे बडा भाग, अर्थात ४३२ करोड वर्ष अर्थात एक कल्प तक आदि सबकुछ भास्कराचार्यजी ने विश्व को इस स्थान से प्रदान किया !