१२ ज्योतिर्लिंगों से यह प्रथम ज्योतिर्लिंग है । गुजरात के काठियावाड में स्थित इस सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव सोमराज ने ऋग्वेद में बताए अनुसार किया था । चुंबकीय प्रभाव के कारण यहां का शिवलिंग हवा में डोलता था । वास्तुकला का यह एक अद्भुत उदाहरण तथा वहां सोना-चांदी का प्रचुर भंडार था । इसी स्थान पर प्राचीन मंदिर पर एक शिलालेख है, जो यह सूचित करता है कि यहां से दक्षिण ध्रुव तक बिना किसी बाधा के पहुंचा जा सकता है । कुछ समय उपरांत महासागर वैज्ञानिकों ने इसे सटीक पाया । इससे ध्यान में आता है कि हमारे ऋषि-मुनियों को संपूर्ण विश्व का भौगोलिक ज्ञान प्राप्त था !
कुछ दिन पूर्व ही आई.आई.टी. गांधीनगर, ४ अन्य संस्थाओं तथा पुरातत्त्व विशेषज्ञों ने मंदिर के नीचे अंग्रेजी अक्षर ‘एल’ आकार के तीन तल्ले का भवन होने की बात कही है ।
वर्ष १०२५ में लुटेरे गजनी ने ५ सहस्र सैनिकों के साथ इस मंदिर पर आक्रमण किया । मंदिर पर संकट आया देखकर शहर के सहस्रों हिन्दू नि:शस्त्र ही मंदिर की रक्षा हेतु दौडे चले आए । गजनी ने इनमें से ५० सहस्र नागरिकों को मारकर केवल मंदिर ही ध्वस्त नहीं किया, अपितु यहां की सहस्रों टन संपत्ति भी लूट ली ! मुसलमान आक्रांताओं ने १७ बार इस मंदिर को ध्वस्त किया तथा अनेक बार विभिन्न राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण किया !