वर्ष 2012 में पूरे देश में हिन्दूद्वेषी कांग्रेस का दबदबा था । ऐसी अत्यंत विपरीत परिस्थिति में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने सम्मेलन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष करने की प्रेरणा दी । इसी मंच से, इसी स्थान से वर्ष 2012 से हिन्दू शक्ति को संगठित करने का काम शुरू हुआ । आज वर्ष 2024 में इसके 12 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं । मराठी में १२ वर्ष की अवधि को तप कहते हैं । यह एक तपस्या पूरी होने के समान ही है । संतों की दूरदर्शिता, उनके संकल्प, हम सभी के ईमानदार प्रयासों और सहयोग से, यह अधिवेशन आज एक तपस्या पूरी कर रहा है।
यह हम सभी का दृढ विश्वास है कि भगवान राम ने स्वयं अयोध्या में स्थापित होकर एक तरह से रामराज्य स्थापना के हमारे अभियान को आशीर्वाद दिया है । इस बारे में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी ने कहा कि इस मंदिर से न केवल भारत, अपितु पूरी धरती पर श्रीराम की तरंगें प्रक्षेपित हो रही हैं । प्रभु श्रीराम के अयोध्यापति बनने के बाद धरती पर रामराज्य का अवतरण हुआ था । अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के कारण ही भविष्य के हिन्दू राष्ट्र अर्थात राम राज्य की शुरुआत सूक्ष्म आयाम में हुई है । हम सभी इन ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी बन रहे हैं, इसी की कृतज्ञता है ।
श्रीराम मंदिर की स्थापना हिन्दुओं के मन में बसी एक सोच थी, जिसका वास्तविक स्वरूप हम दो पीढियों के संघर्ष के बाद आज देख रहे हैं । इसी प्रकार वर्ष 2012 में इस सम्मेलन के माध्यम से रोपा गया हिन्दू राष्ट्र का बीज भी आज आकार लेता दिख रहा है । इस सम्मेलन को पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने भी आशीर्वाद दिया । वर्ष 2013 में आयोजित सम्मेलन में पुरी पीठ के प्रतिनिधि उपस्थित थे । आज उन्होंने भी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है । ब्रिटिश अखबार ‘गार्जियन’ ने भी श्री राम मंदिर स्थापना समारोह को ‘भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक कदम’ बताया है । कुल मिलाकर देश-विदेश में रामभक्ति से ओतप्रोत हिन्दू, अबू धाबी में बना हिन्दू मंदिर, विदेश में बढता श्रीकृष्ण भक्ति का वातावरण, नेपाल को फिर से हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए सड़कों पर हो रहा आंदोलन… ये सब किस बात का संकेत हैं? आज भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व हिन्दू बनने को आतुर है । देश-विदेश में चर्चा में रहनेवाले युवा संत बागेश्वर धाम के स्वामी धीरेंद्र शास्त्री ने साफ कहा कि मेरा संकल्प हिन्दू राष्ट्र बनाना है । अगर उसके लिए संविधान में एक और संशोधन करना पड़े, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’ इस तपपूर्ति वर्ष में देश-विदेश में जो हिन्दू राष्ट्र का विचार पनप रहा है, वह इसी अधिवेशन का परिणाम है ।
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में हिन्दुओं का संगठन और समन्वय एक महत्वपूर्ण सूत्र है । इसको लेकर वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं । इस वर्ष थाइलैंड में हिन्दू संगठनों के बीच एकता स्थापित करने और सनातन धर्म के शत्रुओं का विरोध करने के संकल्प के साथ आयोजित ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में 61 देशों के 2 हजार 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मैं स्वयं और धर्म प्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी उपस्थित थे।
नई केंद्र सरकार को शुभकामनाएं !
इसी माह में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार देश में स्थापित हुई है । नए सरकार को राष्ट्र और धर्म हित के कार्य करने के लिए ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ की ओर से में शुभकामनाएं देता हूं । इस वर्ष का लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ साथ हिंदुत्व के लिए कार्य करनेवाले हम सभी के लिए एक सीख है । हिंदुत्व के लिए जागरूक हिंदूओं में एक वर्ग को लगता है की, अब केंद्र में हमारी सरकार है, तो सबकुछ हो जाएगा । हमें कुछ करने की आवश्यकता नहीं है । दुसरा वर्ग ऐसा है, जिन्हे ध्यान में आता है की, जो होना चाहिए वह नहीं हो रहा है । पर आगे होगा, यह विचार कर वह आशावादी रहता है । कुल मिलाकर हिंदू मानकर चलता है या निर्भर रहता है और अपना दायित्व भूल जाता है – फिर वह मतदान करने में हो या सरकार आने के पश्चात हिंदुहित के कार्य करवाने के लिए हो । इसमें हमें बदलाव करना होगा
जहां हम आस लगाकर बैठे है, वहां सत्ता के तत्त्व और विचार छोडकर समझौते भी होते हम देख रहे है । साथ ही वैश्विक शक्तींयां किस तरह हिंदुत्व को रोकने का प्रयास कर रही है, यह भी हमने देखा । कुल मिलाकर हमें यह बोध लेना होगा की, धर्मकार्य के लिए किसीपर भी निर्भर न रहे । इसलिए इस महोत्सव के माध्यम से हिंदु राष्ट्र के कार्य सरकार से करवाने के लिए हमें क्या रणनीती रखनी होगी । इसपर मंथन करने का प्रयास होगा ।
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में आनेवाली चुनौतियां : हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रयास करते समय हमें चुनौतियों और संकटों के बारे में भी सोचना चाहिए ।
जिहादी आतंकवाद : हिन्दू राष्ट्र के सामने जिहादी आतंकवाद की बड़ी चुनौती है । यह सच है कि एक बार ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ हो गई तो इसका मतलब यह नहीं कि इस देश में आतंकवादी गतिविधियां बंद हो गईं हैं । बेंगलुरु में रामेश्वर कैफे में हुआ विस्फोट, असम से आईएसआईएस के भारतीय नेता की गिरफ्तारी, अनंतनाग में आतंकवादी हमला, पुंछ, कुपवाड़ा, पुलवामा में सेना पर हमले की अनदेखी नहीं की जा सकती । आज भी जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में बड़े-बड़े षड्यंत्र रचनेवाले आतंकवादी मिल रहे हैं । उनका पूरा बंदोबस्त करना होगा । मई 2024 में गुजरात ‘एटीएस’ ने कर्णावती हवाई अड्डे पर 4 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया । ये आतंकी श्रीलंका से चेन्नई होते हुए गुजरात आए थे । नए सरकार के शपथग्रहण से लेकर जम्मू में आतंकी घटनाएं बढ गई है । इसका मतलब यह है कि ये जिहादी जो भारत को इस्लामिस्तान बनाना चाहते हैं, स्लीपर सेल, जो इनकी सहायता करते हैं और बहुसंख्यक कट्टरपंथी, जो इनका समर्थन करते हैं, ये देश के सामने चुनौती हैं । हमास ने इज़राइल पर आक्रमण किया और उसके 1,200 से अधिक नागरिकों की जान ले ली उनमें से कुछ का अपहरण कर लिया गया; लेकिन इजराइल ने हमास को खत्म करने का बीडा उठा लिया है । इजराइल ने हमास को शरण देने वाले ईरान के खिलाफ भी संघर्ष शुरू कर दिया है । इससे सीख मिलती है कि देश की सुरक्षा कैसी होनी चाहिए । भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इजराइल की भूमिका अपनानी चाहिए कि निर्दोष नागरिकों की हत्या करनेवाला हमारा शत्रु दोबारा कभी खड़ा ही न हो पाए ।
बढती जिहादी गतिविधियां : केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश की गई NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 3 वर्षों में देशभर से 10 लाख लड़कियाँ लापता हो गईं । लड़कियों के गायब होने के मुख्य कारणों में से एक है ‘लव जिहाद’; लेकिन कई आंदोलनों के बावजूद, कई राज्यों में अभी भी लव जिहाद विरोधी कानून नहीं हैं । ‘नारकोटिक’ जिहाद के माध्यम से हिन्दू युवाओं को नशा देकर हिन्दू युवा पीढी को नष्ट किया जा रहा है । सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 37 करोड़ लोग नशे के आदी हैं । इनमें 17 साल से कम आयु के 20 लाख बच्चे हैं । पिछले 10 वर्षों में मादक पदार्थाें की बिक्री 180 प्रतिशत बढी है । इस पैसे का इस्तेमाल जिहादी गतिविधियों के लिए किया जाता है ।
गैर-हिन्दुओं की बढती संख्या भी देश और हिन्दू धर्म के लिए खतरे की घंटी है । इस संबंध में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने 1950 से 2015 तक 65 वर्षों की एक रिपोर्ट दी । इसमें कहा गया कि भारत में हिन्दू जनसंख्या 8 प्रतिशत से घटकर 78 प्रतिशत हो गई है और मुस्लिम जनसंख्या 10 प्रतिशत से बढकर 14 प्रतिशत पर पहुंच गई है । 2015 के बाद ये संख्या और बढ जाएगी । आज देश के 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं । ब्रिटेन का उदाहरण हमारी आंखों के सामने है । वहां के नगर परिषद चुनाव में 40 कट्टर गाजा समर्थक उम्मीदवार पार्षद चुने गए हैं । अगले कुछ वर्षों में न केवल ब्रिटेन, बल्कि पूरे यूरोप का इस्लामीकरण हो जाएगा, इसमें कोई आश्चर्य न होगा ! यदि मुसलमानों की जनसंख्या इसी दर से बढती रही, तो वर्ष 2060 तक विश्व में मुसलमानों की संख्या ईसाइयों से अधिक हो जाएगी और वर्ष 2070 में भारत विश्व में सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला देश बन जाएगा । इस दृष्टि से समान नागरिक संहिता लागू करने के महत्व आपको समझ में आएगा ।
भाईयो, कांग्रेस ने ‘वक्फ एक्ट’ पास करके मुसलमानों के हाथ में लैंड जिहाद के लिए किसी की भी जमीन पर दावा करने का हथियार दे दिया है । एक बार जब वक्फ बोर्ड द्वारा किसी भूमि पर दावा किया जाता है, तो अपील केवल ‘वक्फ कोर्ट’ में ही की जा सकती है । यह चोरी करने वाले चोर से न्याय मांगने जैसा है । भारतीय रेलवे और सेना के बाद करीब 8 लाख एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में है । लेकीन ऐसे स्थिती में भी महाराष्ट्र सरकार वक्फ बोर्ड को १० करोड रुपये क्यों दे रही है ? इसलिए हमें इस वक्फ कानून को रद्द कराने के लिए संगठित होकर संघर्ष करना चाहिए ।
शहरी नक्सलवाद : भाईयो, जिहादी आतंकवाद ही हमारे सामने एकमात्र संकट नहीं है, बल्कि ‘शहरी नक्सलवाद’ भी उतना ही गंभीर और व्यापक है । अब तक नक्सलियों द्वारा मारे गए निर्दोष लोगों की संख्या 14 हजार से अधिक है । अब तक के युद्धों में इतने सैनिक नहीं मारे गए । ये नक्सलवाद है । स्थापित व्यवस्था को पलटना ही इनका मुख्य ‘एजेंडा’ है । आप सोच सकते हैं कि नक्सलवाद गडचिरोली के जंगलों या प्रायद्वीपों में है, लेकिन ऐसा नहीं है । ये नक्सलवाद कबका शहरों में फैल चुका है ।
कुछ महीने पहले, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे और मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि ‘सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया की तरह फैल रहा है और इसे खत्म किया जाना चाहिए ।’ ‘2जी स्पेक्ट्रम’ घोटाले में जेल में समय बिता चुके डीएमके के ए. राजा, कर्नाटक कांग्रेस के प्रियांक खड़गे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जितेंद्र आव्हाड ने उनका समर्थन किया । इतना सब कुछ होने के बाद भी उन पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई । आज रामचरितमानस, मनुस्मृति को जलाकर हिन्दू मान्यताओं पर प्रहार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर टीपू सुल्तान की जयंती, महिषासुर जयंती, रावण, शूर्पणखा के प्रति स्नेह प्रदर्शित करनेवाले कार्यक्रम आयोजित कर समाज को भ्रमित किया जा रहा है । यह ‘शहरी नक्सलवाद’ का प्रकार है । ‘शहरी नक्सलियों’ का एक चेहरा; लेकिन मुखौटे बहुत हैं । वे हर संभव तरीके से हिन्दू धर्म और हिन्दुओं को ‘टारगेट’ करने की कोशिश कर रहे हैं । अब हमारा कर्तव्य है कि हम उन लोगों को संवैधानिक तरीके से जवाब दें, जो हिन्दू धर्म को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।’
‘हेट स्पीच’ की आड़ में हिन्दुओं का गला घोंटना : सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में कहा था कि अब से किसी दूसरे धर्म के बारे में विवाद पैदा करने वाले बयान देना अपराध है । पुलिस को ऐसे अपराधों का स्वयं संज्ञान लेना चाहिए; अन्यथा यह न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी । लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सनातन द्वेषियों द्वारा सनातन धर्म के विरुद्ध दिए गए अपमानजनक बयानों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती; लेकिन शहरी नक्सली तिस्ता सीतलवाड़ की सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस ने हिन्दुओं के खिलाफ शिकायतों पर कार्रवाई की गई । सुदर्शन वाहिनी के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने अपनी सभा में लोगों से हिन्दवी स्वराज्य की शपथ लेने को कहा; इसलिए उनके खिलाफ ‘हेट स्पीच’ का मामला दर्ज किया गया । भाग्यनगर में विधायक टी. राजासिंह, हिन्दू जनजागृति समिति के कुछ वक्ताओं पर भी ऐसे अपराध दर्ज किए गए । इसलिए अब हमें अपने खिलाफ हो रहे अन्याय के बारे में बताते समय सावधान रहना होगा । हमें यह अध्ययन करना होगा कि कानून के पचड़े में फंसे बिना हिन्दुओं के खिलाफ अन्याय को प्रभावी ढंग से कैसे संबोधित किया जाए।
हिन्दू विरोधी दलों की तुष्टिकरण और उत्पीड़न की भूमिका ! : विभिन्न राज्यों में सत्ता में आई हिन्दू विरोधी राजनीतिक दलों की सरकारें हिन्दुओं पर अत्याचार कर रही हैं । इसके कई उदाहरण दिए जा सकते हैं ,जैसे कर्नाटक चुनाव में घोषणापत्र में ‘बजरंग दल’ पर प्रतिबंध का उल्लेख, तमिलनाडु-बंगाल राज्यों में फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ पर प्रतिबंध । मई में बंदूकों से लैस तृणमूल कार्यकर्ताओं ने रामकृष्ण मिशन के साधु-संतों पर हमला कर दिया था । उन्हें पीटा गया, आश्रम से बाहर निकाल दिया गया, कुछ का अपहरण कर लिया गया और फिर छोड दिया गया । इन सबके बाद संन्यासियों के विरुद्ध ही गैर जमानती मामला दर्ज किया गया, जबकि जिसने ये सब शुरू किया उसके खिलाफ जमानती अपराध दर्ज किया गया । हिन्दू समर्थक समाचार साइट ‘ऑप इंडिया’ की प्रधान संपादक नूपुर शर्मा ने बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई भीषण हिंसा पर कहा,‘‘2021 की हिंसा उतनी ही अमानवीय थी, जितनी 1946 के प्रत्यक्ष कार्रवाई दिवस की थी ।’’ इस काल में अन्य राजनीतिक दलों ने स्पष्ट रूप से हिन्दूविरोधी भूमिका अपनाई है । वे आज तक राम मंदिर में दर्शन करने भी नहीं गए । दूसरी ओर, कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेनेवाले 300 हिन्दुओं के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया । हमें याद रखना चाहिए कि इसी सिद्धारमैया सरकार ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) के 1,600 सदस्यों के खिलाफ 175 मामले वापस ले लिए थे ।
अराजकता की ओर बढती राजनीति : यह वर्तमान समय की सबसे गंभीर चुनौती है । यह माना जा रहा था कि ‘भाजपा की राजनीतिक जीत हिन्दू राष्ट्र की ओर बढता पहला कदम है’; लेकिन हमें भावुक होने के बजाय तथ्यों को समझना चाहिए। ‘यदि हम आज भारत की व्यवस्था का अध्ययन करें तो कौन सी व्यवस्था, कौन सा कानून हिन्दुओं के हित में है? मन्दिरों के अधिग्रहण का कानून यहां बन जाता है; लेकिन मस्जिदों और चर्चों के अधिग्रहण के लिए नहीं ! संविधान के अनुच्छेद 48 में कहा गया है कि सरकार को गोवंश वध पर रोक लगानी चाहिए । यह देश की आजादी के लिए लड़नेवाले कई क्रांतिकारियों की मांग थी; लेकिन आज देश भर में गोहत्या पर प्रतिबंध लगानेवाला कोई कानून नहीं है! आज भी हिन्दुओं को इसके लिए आंदोलन करना पड़ता है । हिन्दुओं को शिक्षा में गीता-महाभारत नहीं पढाया जा सकता; संविधान इस पर रोक लगाता है; लेकिन मुसलमान मदरसों और ईसाई कॉन्वेंट में अपने पंथ का अध्ययन कर सकते हैं । हिन्दुओं पर अन्याय करनेवाले इस अनुच्छेद को कौन और कब बदलेगा? जनसंख्या में तेजी से हो रहे बदलाव देखते हुए जनसंख्या नियंत्रण के लिए केंद्रीय कानून की आवश्यकता है, वह कब बनेगा? संक्षेप में कहें तो यहां के कानून और व्यवस्था आज भी हिन्दुओं के पक्ष में नहीं हैं । जब तक देश के संविधान में अवैध रूप से डाले गए ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को हटाकर वहां हिन्दू राष्ट्र को जगह नहीं दी जाती, तब तक ‘हम ड्राइवर बदलते रहेंगे; लेकिन ध्यान रहे कि कार वही रहेगी ।
बहुत से लोग सोचते हैं कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता में वापस आ गए हैं, इससे हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा; लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि हिन्दूहित की राज्यव्यवस्था होनी चाहिए । एक राजा व्यवस्था को केवल नियंत्रित करता है । यदि हमारा राष्ट्र एक धार्मिक राष्ट्र होना चाहिए, तो राज्य व्यवस्था भी वैसी ही होनी चाहिए । इसलिए यदि हमारा पहला लक्ष्य भारत को संवैधानिक रूप से हिन्दू राष्ट्र बनाना है, तो अगला लक्ष्य हिन्दू राष्ट्र के अनुकूल व्यवस्था बनाने का प्रयास करना होगा, यानी राम राज्य के लिए प्रयास करना होगा । वर्तमान ध्रुवीकरण के समय में हिन्दू जागृत हो रहे हैं; लेकिन हिन्दुओं की राजनीतिक पार्टियों को जगाने की आवश्यकता है ।
अधिवेशन का परिणाम
हमने अपने सामने चुनौतियां देखी हैं । चुनौतियाँ अनेक हैं; लेकिन ईश्वर की कृपा से हम एक एक चुनौती से पूरी कर रहे हैं, यह भी हमें याद रखना चाहिए । यह अधिवेशन हम सभी के निरंतर और गंभीर प्रयासों की उपलब्धि है । इन अधिवेशनों ने पाकिस्तानी-बांग्लादेशी शरणार्थी हिन्दुओं के लिए कानून बनाने से लेकर काशी-ज्ञानवापी की मुक्ति तक कई संघर्ष लड़े और जीत हासिल की । इन अधिवेशनों ने हिन्दू राष्ट्र के लिए हर राज्य और क्षेत्र में हिन्दू शक्ति (बल) को संगठित किया । हिन्दू संगठनों, धर्मनिष्ठ अधिवक्ताओं, बुद्धिजीवियों, संतों, व्यवसायियों, मीडिया आदि का एक हिन्दू ‘इको-सिस्टम’ स्थापित किया है। पिछले सत्र से इस इको-सिस्टम को मजबूत करने के लिए किए गए कार्यों को हम आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं।
हिन्दू विचारक संघ यानी ‘हिन्दू इन्टेलेक्चुल फोरम’की स्थापना: आज हम देख रहे हैं कि वामपंथी स्थिति के अनुसार व्यवस्थित रूप से चयन कर रहे हैं कि किस नैरेटिव का उपयोग करना है, कैसे उपयोग करना है और इसके लिए टूल किट का उपयोग कैसे करना है । वे झूठ को सच करने और मीडिया, राजनेताओं और सभी के माध्यम से समाज को भ्रमित करने के लिए व्यवस्थित रूप से नैरेटिव का उपयोग करते हैं; लेकिन हम सच्चाई को, अपने साथ हुए अन्याय को, तार्किक ढंग से, प्रमाणों के साथ समाज तक पहुंचाने में चूक जाते हैं । इस कमी को पूरा करने के लिए सम्मेलन में आए कुछ विचारकों के सहयोग से ‘हिन्दू इन्टेलेक्चुल फोरम’ की स्थापना की गई है । इसकी तीन बैठकें मुंबई, दिल्ली और रांची में हुईं । भविष्य में इस उपक्रम को और तेज करने का प्रयास किया जा रहा है । आज हिन्दू विरोधियों द्वारा हिन्दू राष्ट्र, सनातन धर्म पर अनेक आरोप लगाये जाते हैं । इन आरोपों का जवाब भी इसी ‘इन्टेलेक्चुल फोरम’ के माध्यम से दिया जाएगा ।
हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति: पिछले अधिवेशन में हमने हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति का गठन किया । कुछ राज्यों में इस पर बहुत कम प्रयास किया गया है; लेकिन अधिकांश स्थानों पर हम इस संबंध में प्रयास करने में विफल रहे हैं । जिन चीजों को हम यहां निश्चित करते हैं, उनके लिए पूरे वर्ष प्रयास करने की आवश्यकता है । इस कमी को हमें इसी वर्ष पूरा करना है।
मंदिर मुक्ति अभियान : मंदिर मुक्ति अभियान हिन्दू राष्ट्र की नींव है! केवल अयोध्या का राम मंदिर ही नहीं , अपितु काशी-मथुरा-भोजशाला जैसे सभी इस्लामी अतिक्रमित मंदिरों की मुक्ति के लिए यह अधिवेशन प्रतिबद्ध होगा । सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णुशंकर जैन इस लड़ाई को बड़ी लगन से लड़ रहे हैं । उनकी प्रशंसा जितनी करें, कम है । साथ ही, मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इस वर्ष ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की पहल पर महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में ‘मंदिर महासंघ’ की स्थापना की गई है और इस महासंघ ने मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने की घोषणा की है, और प्रयास भी किए जा रहे हैं जैसे मन्दिर को धार्मिक शिक्षा का केन्द्र बनाना ।
भाईयो, इस वर्ष का महोत्सव मुख्य रूप से सनातन धर्म की वैचारिक सुरक्षा, हिन्दू समाज की सुरक्षा के उपाय, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संवैधानिक प्रयास, मंदिर सुरक्षा के प्रयास, वैश्विक स्तर पर हिन्दुत्व की सुरक्षा पर केंद्रित होगा । ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ एक प्रकार का लोकमंथन है! यहां एकत्र हुई हिन्दू शक्ति हिन्दू राष्ट्र निर्माण के विश्वकल्याणकारी कार्य में शामिल होगी ।