अमेरिका में ‘बंदूक संस्कृति’ के विरुद्ध नीचे के सदन में विधेयक सम्मत !
अमेरिका के ‘सीनेट’ में विधेयक सम्मत होना कठिन !
अमेरिका के ‘सीनेट’ में विधेयक सम्मत होना कठिन !
मेडिकल शिक्षा ग्रहण करनेवाले विद्यार्थी भविष्य में डॉ. बन कर जनता को मेडिकल सेवा देनेवाले हैं; परंतु उन पर कौन से संस्कार हुए हैं । इस घटना से यह ध्यान में आता है । शिक्षा केवल पुस्तकीय नहीं, अपितु संस्कारयुक्त होनी चाहिए ।
पहले दंगे में सम्मिलित होना, तत्पश्चात मूलभूत अधिकार का हनन हो रहा है कहना, यह उचित नहीं । ऐसा कहते हुए न्यायालय ने धर्मांध की देहली पुलिस के विरुद्ध की याचिका अस्वीकार की ।
भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी अभिनेता अक्षय कुमार के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट करनेवाले हैं । आगामी हिन्दी चित्रपट में अयोग्य पद्धति से रामसेतु के सूत्र प्रस्तुत किए गए हैं, डॉ. स्वामी ने ऐसा दावा किया है ।
ऐसे भ्रष्ट लोगों को नौकरी से निकाल कर दंड भुगतने के लिए उन्हें इसी कारागृह में रखना चाहिए; इसी कारण अपराधियों को यह ‘दंड’ नहीं लगता । इसमें कोई संदेह नहीं कि देश के लगभग सभी कारागृहों में अल्पाधिक प्रमाण में ऐसी ही स्थिति होगी !
२ पैलेस्टाईन आतंकवादियों ने इस्रायल के सुरक्षारक्षकों की हत्या की थी । तदुपरांत इस्रायल ने इन दोनों आतंकवादियों को बंदी बनाकर उनके करावत बानी हसन गांव में स्थित घर गिरा दिए ।
‘अपराधियों में डर कैसे निर्माण करना चाहिए ?’, यह इजिप्त के न्यायालय से सीखें ! भारत में भी ऐसा होने के लिए शासनकर्ताओं को प्रयत्न करने चाहिए, यह अपेक्षा !
राजस्थान में चूंकि कांग्रेस की सरकार इस्लामिक देशों की तरह ही शासन कर रही है, इसलिए देखा जा सकता है कि धार्मिक संगठनों ने कितना आतंक मचा रखा है ! इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने देवभाषा संस्कृत को मृत भाषा घोषित कर उसका तिरस्कार किया है और ऐसा करती ही जा रही है ! इस तथ्य से यह सिद्ध होता है । इस परिस्थिति को बदलने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही एकमात्र विकल्प है !
श्रवण कुमार ने बताया कि इस्लाम धर्म में अधिक मात्रा में अपने-पराए का भाव है । यहां भाई भाई का नहीं होता । लोग स्वार्थ तथा संपत्ति हेतु हत्या भी कर देते हैं । इन बातों से मैं अधिक परेशान था और मैंने निश्चय किया कि मैं हिन्दू धर्म अपनाऊंगा ।
बचपन से बच्चों को साधना न सिखाने का परिणाम ! ऐसे संस्कारहीन बच्चे आगे जाकर गुनहगार बनें, तो इसमें आश्चर्य नहीं ! अभिभावकों बच्चों को बचपन से ही योग्य साधना करना सिखाएं !