बूंदी (राजस्थान) के सरकारी विद्यालय में धर्मांध कट्टरपंथियों ने तीसरी भाषा के रूप में देवभाषा संस्कृत की जगह उर्दू पढ़ाने के लिए दी धमकी !

  • ‘ऊपर’ से आदेश दिए जाने के कारण विद्यालय ने देवभाषा संस्कृत पढ़ाना बंद कर दिया !

  • प्रधानाध्यापिका ने भयग्रस्त हो पुलिस में आरोप प्रविष्ट करना टाला !

बूंदी (राजस्थान) – यहां सामाजिक माध्यमों पर एक वीडियो तीव्रता से प्रसारित हो रहा है । इसमें ऐसा प्रतीत होता है कि ”कुछ धर्मांध कट्टरपंथी एक सरकारी विद्यालय की प्रधानाध्यापिका को संस्कृत के स्थान में उर्दू को तीसरी भाषा के रूप में सम्मिलित करने की धमकी दे रहे हैं और ऐसा नहीं करने पर विद्यालय को बंद करवाने की धमकी दे रहे हैं । ” घटना आलोड गांव की है । यह घटना ´ गांधी राजकीय विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) ´से संबंधित है, ऎसा कहा जाता है । यद्यपि इस प्रकरण को डर के कारण पुलिस में प्रविष्ट नहीं किया गया था, तथापि पुलिस ने अन्वेषण प्रारंभ किया है ।

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने कहा, मैं इस गांव में नौकरी करना चाहती हूं, इसलिए मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहती । मुझे धमकी देने वलों की भाषा अति गलिच्छ थी । उन्होंने मुझे धमकी दी और चले गए । उनकी धमकी के कारण विद्यालय में देवभाषा संस्कृत नहीं पढ़ाई जाती । यह आदेश हमारे पास ‘ऊपर से’ आया है । यदि हमें ‘ऊपर से’ उर्दू पढाने का आदेश दिया जाता है तो हम उर्दू पढ़ाएंगे। अभी तक उर्दू पढ़ाने का कोई आदेश नहीं है । (पुलिस इसकी जांच करे और ‘ऊपर से’ ऐसे आदेश देने वालों के नाम जनता के सामने लाएं ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका

राजस्थान में चूंकि कांग्रेस की सरकार इस्लामिक देशों की तरह ही शासन कर रही है, इसलिए देखा जा सकता है कि धार्मिक संगठनों ने कितना आतंक मचा रखा है ! इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने देवभाषा संस्कृत को मृत भाषा घोषित कर उसका तिरस्कार किया है और ऐसा करती ही जा रही है ! इस तथ्य से यह सिद्ध होता है । इस परिस्थिति को बदलने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही एकमात्र विकल्प है !