चैन्नई (तमिलनाडु) में अनधिकृत रूप से निर्माण की गई मस्जिद से नाम की पट्टी हटाई !
हिन्दू संगठन केवल पट्टी हटाने तक रूकें नहीं, अपितु वे अवैध मस्जिद पर कार्रवाई होने के लिए भी प्रयास करें !
हिन्दू संगठन केवल पट्टी हटाने तक रूकें नहीं, अपितु वे अवैध मस्जिद पर कार्रवाई होने के लिए भी प्रयास करें !
सेंथमराई के भाई उदयनिधी ने ‘सनातन धर्म को नष्ट करने के वक्तव्य से सेंथमराई मंदिर में राजनीतिक स्तर पर चर्चा की होने लगी है ।
हिन्दुओं के मंदिरों की भूमि ईसाई जनप्रतिनिधि हडपते हैं, यह ध्यान में लें ! ऐसों पर तत्काल अपराध प्रविष्ट कर उन्हें कारागार में डालना आवश्यक है !
अब ऐसा प्रश्न उठ रहा है, ‘हिन्दुओं के देवताओं का अनादर करनेवाले चलचित्रों को इस मंडल द्वारा प्रमाणपत्र दिए जातें हैं एवं हिन्दुओं के विरोध करने पर उसकी प्रविष्टि भी नहीं की जाती, क्या उस समय भी इसी प्रकार घूस लेकर इन चलचित्रों को सम्मति दी जाती है ?’ !
देश के हिन्दुओं की अपेक्षा है कि देश के मंदिरों का सरकारीकरण रोक कर सभी मंदिर सरकारीकरण मुक्त करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार को कानून बनाना चाहिए !
प्रत्येक बात को सनातन धर्म से जोडने का प्रयास करनेवाले उदयनिधि को सनातन धर्म द्वेष की चिंता हुई है, ऐसा ही इससे दिखाई देता है !
तमिलनाडु राज्य में ‘प्लास्टर ऑफ पैरिस’की श्री गणेशमूर्ति बनाने पर प्रतिबंध कायम रहेगा, ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया । मद्रास उच्च न्यायालय ने इससे पूर्व इस पर प्रतिबंध लगाया था । उसके विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में आवाहन किया गया था ।
सनातन धर्म शाश्वत कर्तव्यों का समूह है । इसमें देश, राजा, माता, पिता एवं गुरु के प्रति कर्तव्य के साथ-साथ निर्धन सेवा सहित अन्य कर्तव्य भी समाहित हैं । अत: सनातन धर्म का विनाश करना अर्थात कर्तव्यों का विनाश, मद्रास उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ऐसा विचार व्यक्त किया है ।
सनातन धर्म को नष्ट करने का ध्येय रखनेवाली तमिलनाडु की द्रमुक सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर जानबूझकर ऐसी कार्रवाई की जा रही है, तो उसमें आश्चर्य लगने जैसा कुछ नहीं है !
तमिलनाडू में सनातन निर्मूलन परिषद का आयोजन किया जाता है तथा उसमें राज्य के मंत्री उपस्थित रहते हैं, क्या यही उनकी धर्म निरपेक्षता है ? संविधान के सच्चे रक्षक होने का कहनेवाले राजनीतिक दलों को क्या यह स्वीकार है ?