फेरी के मार्ग पर मस्जिद और चर्च होने के कारण रा.स्व. संघ को अनुमति न देना धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध !

मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की द्रमुक सरकार को फटकार लगाई !

(द्रमुक अर्थात द्रविड मुन्नेत्र कडगम – ड्रविड प्रगति संघ) 

चेन्नई (तमिलनाडु) – यदि सडक के बीच में मस्जिद, चर्च हो सकती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को फेरी निकालने के लिए अथवा सभा आयोजित करने की अनुमति क्यों नहीं दी जाती ? यदि ऐसे कारणों से अनुमति नहीं दी जाती होगी, तो यह हमारे धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के विरुद्ध है । अन्य धर्मियों के धार्मिक स्थल होने से अथवा किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यालय होने से अनुमति नकारी नहीं जा सकती । इस प्रकार का आदेश धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विरुद्ध है । भारतीय संविधान की मूल भावनाओं का यह उल्लंघन है, ऐसे शब्दों में मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई । साथ ही संघ को फेरी निकालने की अनुमति देने का आदेश भी सरकार को दिया । साथ ही न्यायालय ने फेरी निकालते समय शांति बनाए रखने के लिए प्रयास करने को भी कहा । २२ और २९ अक्टूबर के दिन फेरी निकाली जाएगी । रा. स्व. संघ को फेरी की अनुमति न देने से संघ ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी ।

न्यायालय ने आगे कहा कि तमिलनाडु पुलिस रा. स्व. संघ द्वारा मांगी अनुमति पर अनेक दिनों से निर्णय नहीं ले रही । जब यह प्रकरण उच्च न्यायालय में पहुंचता है उसके कुछ समय पहले यह अनुमति नकार दी जाती है । अनुमति नकारते समय पुलिस फेरी के मार्ग पर मस्जिद और चर्च होने का कारण देती है । साथ ही ‘इस मार्ग पर भारी यातायात होता है’, ऐसा भी बताती है । फेरी की अनुमति नकारने के लिए इस प्रकार के कारण योग्य नहीं, इसे स्वीकारा नहीं जाएगा ।

संपादकीय भूमिका

हिन्दूद्वेष और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को दबाना अर्थात धर्मनिरपेक्षता’ ऐसी व्याख्या देश में तथाकथित निधर्मीवादी और आधुनिकतावादियों की है । इस पर ही न्यायालय का बोलना सोनार द्वारा कान छेदने समान है ! ऐसा होने पर भी ऐसे गेंडे की खाल वाले लोगों में बदलाव होने की संभावना नहीं, यह भी उतना ही सत्य है !