हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ताओं को हिन्दूविरोधी ‘नैरेटिव’ के (कथानक के) विरुद्ध एकत्रित लडना आवश्यक ! -अधिवक्ता संजीव पुनाळेकर, सचिव, हिन्दू विधिज्ञ परिषद

वर्ष २००८ के मालेगांव बमविस्फोट प्रकरण की कथित आरोपी साध्वी प्रज्ञासिंह जब कारागार में थी, उस समय एक मुसलमान महिला ने उन पर कारागार में आक्रमण किया ।

हिन्दू संस्कृति पर हो रहे आक्रमणों का विरोध करने के लिए अधिवक्ता हिन्दू धर्मग्रंथों का अध्ययन करें ! – अधिवक्ता श्रीधर पोतराजू, सर्वोच्च न्यायालय, देहली

स्वतंत्रता से पूर्व भारत में न्यायालयीन कामकाज में वेद-शास्त्र का संदर्भ दिया जाता था; परंतु अब कानून के पाश्‍चात्त्यीकरण के कारण उनके संदर्भों का उपयोग नहीं किया जाता है । स्वतंत्रताप्राप्ति के उपरांत साम्यवादियों की बौद्धिक विकृति ने भारत में मजबूत जाल बनाया है ।

‘हिन्दू राष्ट्र से लेकर हिन्दू विश्व तक’ इस ‘फोटो पांईंट’ पर हिन्दुत्वनिष्ठों ने खींचे छायाचित्र !

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के स्थान पर ‘हिन्दू राष्ट्र से हिन्दू विश्व तक’ इस संकल्पना पर आधारित ‘फोटो पाईंट’ (छायाचित्र खींचने का विशिष्टतापूर्ण कक्ष) का निर्माण किया गया था । इस स्थान पर अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों ने ‘जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम्’ जयघोष करते हुए उत्साह से छायाचित्र खींचे !

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के लिए आए हिन्दुत्वनिष्ठों को साधना का महत्त्व समझाने का अवसर मिलना !

आज के समय में बहुत ही अल्प लोग साधना करते हैं । अधिकतर लोगों को ‘साधना करनी होती है’, यही ज्ञात नहीं है । हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुत्व का कार्य मन से करते हैं; परंतु उनकी साधना न होने से वह कार्य बहुत कुछ प्रभावी सिद्ध नहीं होता । उसके कारण उनकी शक्ति का व्यय तो होता है; किंतु उससे कुछ लाभ नहीं होता ।

सनातन के मराठी एवं हिन्दी ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी के करकमलों से ३ जुलाई २०२३ अर्थात गुरुपूर्णिमा के दिन सनातन के मराठी एवं हिन्दी भाषा के ‘ई-बुक’ ‘अध्यात्मका प्रस्तावनात्मक विवेचन’ का लोकार्पण किया गया ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ का अर्थ क्या है ?

भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के पश्चात, उसके द्वारा विश्वकल्याण का कार्य होगा, यह आज तक का इतिहास है । इसलिए ‘सनातन भारत’ कहें, अथवा ‘हिन्दू राष्ट्र’ कहें अथवा ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र’ कहें, इन सभी का अर्थ एक ही है ।

साम्यवादी विचारधारा राष्ट्रहित के लिए हानिकारक ! – डॉ. एस्.आर्. लीला, भूतपूर्व विधायक, तथा लेखक, बेंगळुरू, कर्नाटक

साम्यवादियों की नकारात्मक विचारधारा के प्रभाव के कारण देश में हत्याकांड हुए । कार्ल मार्क्स के ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ की विचारों की बलि चढे लोग भारत में साम्यवाद लाए । साम्यवादी विचारधारा राष्ट्रहित के लिए हानिकारक है ।

सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की एकत्रित ‘हिन्दू हेल्पलाइन’ होना आवश्यक ! – डॉ. विवेक शील अगरवाल, देहली

हिन्दुओं के लिए भले ही स्वर्णिम काल लगता हो, तब भी हमारे शत्रु की तैयारी हमसे अनेक गुना अधिक है, इसे हमें ध्यान में लेना होगा । आज सभी बाजुओं से हिन्दुओं पर आघात हो रहे हैं ।

गंगाजल में संपूर्ण भारत को रोगमुक्त करने की क्षमता है । इसलिए उसका अधिक शोध होना आवश्यक ! – अधिवक्ता अरुण गुप्ता, न्याय मित्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश

ऋषि-मुनि एवं वैज्ञानिकों ने गंगानदी का बहुत वर्णन किया है । गंगा नदी में प्राणवायु का स्तर सब से अधिक है । गंगाजल में ‘बैक्टेरिया फॉस’ नामक विषाणु होता है । जिसके कारण गंगाजल खराब नहीं होता ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी के विचारों से कार्य करना चाहिए ! – रणजीत सावरकर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक

आज का संघर्ष तलवार के जोर पर नहीं है, अपितु आर्थिक संघर्ष चल रहा है । ‘हलाल जिहाद’ मुसलमानों का आर्थिक संघर्ष है । हिन्दुत्व केवल उपासना-पद्धति नहीं, अपितु हिन्दुत्व राष्ट्रीयत्व है ।