साम्यवादी विचारधारा राष्ट्रहित के लिए हानिकारक ! – डॉ. एस्.आर्. लीला, भूतपूर्व विधायक, तथा लेखक, बेंगळुरू, कर्नाटक

डॉ. एस्.आर्. लीला

साम्यवादियों की नकारात्मक विचारधारा के प्रभाव के कारण देश में हत्याकांड हुए । कार्ल मार्क्स के ‘कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो’ की विचारों की बलि चढे लोग भारत में साम्यवाद लाए । साम्यवादी विचारधारा राष्ट्रहित के लिए हानिकारक है । वर्ष १९८० के दशक में अनेक देशों में साम्यवाद का अंत हुआ । रूस से भी साम्यवाद लुप्त हो गया । चीन ने यदि साम्यवाद पर आधारित राज्यपद्धति शुरू रखी है, तब भी उसने अपनी मूल संस्कृति संजोकर रखी है । साम्यवादी विचारधारा भारतीय आचार-विचारों के विरुद्ध है । भारत के साम्यवादी, भारतीय संस्कृति के बैरी हैं । साम्यवादियों ने मुसलमानों से हाथ मिलाकर हिन्दुओं का नरसंहार करवाया । उन्होंने भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयत्न किया । डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि साम्यवाद जंगल में लगी आग समान है । डॉ. आंबेडकर वास्तव में राष्ट्रवादी थे । सर्वप्रथम उन्होंने ही हिन्दू राष्ट्र का विचार प्रस्तुत किया था । मुसलमान मूलत: ही अत्यंत आक्रमक होते हैं । हिन्दू-मुसलमानों का एकत्र रहना असंभव है । डॉ. आंबेडकर ने कहा था, ‘भारत का विभाजन करना है, तो १०० प्रतिशत मुसलमान पाकिस्तान जाएं और हिन्दुस्थान हिन्दुओं के लिए रहने दें !’ हमारे साथ जो सद्भाव से बर्ताव करता है, उसके साथ हमें सद्भाव से ही बर्ताव करना चाहिए । दुष्टप्रवृत्तियों से सज्जनों की रक्षा करनी चाहिए, यही रामायण की सीख है ।