किशनगंज (बिहार) में १९ पाठशालाएं रविवार की अपेक्षा ‘शुक्रवार’ के दिन बंद !

हिन्दु बहुसंख्यक होते हुए भी उन्होंने पिछले ७५ वर्षाें में धर्म के आधार पर इस प्रकार का कोई भी निर्णय नहीं अपनाया है । किंतु जहां मुसलमान बहुसंख्यक हैं, वहां त्वरित उनके धर्मानुसार इस प्रकार का निर्णय अपनाया जाता है । हिन्दू यह बात ध्यान में रखें, वही सुदिन होगा !

बूंदी (राजस्थान) के सरकारी विद्यालय में धर्मांध कट्टरपंथियों ने तीसरी भाषा के रूप में देवभाषा संस्कृत की जगह उर्दू पढ़ाने के लिए दी धमकी !

राजस्थान में चूंकि कांग्रेस की सरकार इस्लामिक देशों की तरह ही शासन कर रही है, इसलिए देखा जा सकता है कि धार्मिक संगठनों ने कितना आतंक मचा रखा है ! इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने देवभाषा संस्कृत को मृत भाषा घोषित कर उसका तिरस्कार किया है और ऐसा करती ही जा रही है ! इस तथ्य से यह सिद्ध होता है । इस परिस्थिति को बदलने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही एकमात्र विकल्प है !

विद्यालय में आते समय पगडी, कृपाण और कडा धारण कर न आएं !

ऐसे विद्यालयों का पंजीकरण रद्द कर सबंधितों को सिक्खों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कारागृह में बंद कर देना चाहिए; इससे उन पर धाक रहेगी ।

कोटा (राजस्थान) की एक निजी अंग्रेजी माध्यम की पाठशाला में गैर-मुस्लिम बच्चों को ‘अम्मी’ और ‘अब्बू’ बोलना सिखाया जाता है !

अब यही बाकी बचा था ! हिन्दुओं को उनके धर्म के अनुसार शिक्षा मिलने के लिए हिन्दू राष्ट्र का कोई विकल्प नहीं है !

विद्यालयों में भगवद्गीता न सिखाई न जाए, इसलिए ‘जमियत-उलेमा-ए-हिन्द’ द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका !

गढवा (झारखंड) के एक विद्यालय में ७५ प्रतिशत मुसलमान विद्यार्थी हैं । इसलिए पाठशाला में इस्लामी नियम लागू करने के लिए मुसलमानों ने प्रधानाध्यापक पर दबाव डाला, तथा विद्यार्थियों को हाथ जोडकर प्रार्थना करने से रोका । क्या ‘जमियत-उलेमा-ए-हिन्द’ ने कभी इसके विरुद्ध याचिका प्रविष्ट की है ?

मैंने भावुक होकर वापस किये अपने वेतन के २४ लाख रुपये ! – डॉ. लालन कुमार

सहायक प्राध्यापक डॉ. लालन कुमार ने २३ लाख ८२ सहस्र २२८ रुपयों का संपूर्ण वेतन धनादेश (cheque ) के रूप में महाविद्यालय को वापस किया था ।

जामताडा (झारखंड) जिले के १०० से अधिक उर्दू विद्यालयों में रविवार की जगह शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है !

यदि ऐसा है, तो पूरे देश में जहां अधिकांश छात्र हिन्दू हैं, गुरुवार को अवकाश घोषित करें ! रविवार का साप्ताहिक अवकाश भारत में ईसाई अंग्रेज़ों द्वारा लाई गई परंपरा है !

हिन्दू धर्म के प्रसार के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए ! – संतोष केचंबा, संस्थापक, राष्ट्र धर्म संगठन, बेंगलुरू

ज्ञान और आध्यात्मिकता के कारण हिन्दू पहचाना जाता है । आज के समय में हम अस्थिर, अनिश्चित,जटील और अस्पष्ट भविष्यवाले विश्व में जी रहे हैं, यह युक्रेन-रुस युद्ध, कोरोना महामारी और विभिन्न स्थानों पर हिन्दुत्वनिष्ठों की हो रही हत्याओं से ध्यान में आता है ।

हिन्दू राष्ट्र संसद में पाठ्यपुस्तकों में भारत का तेजस्वी इतिहास अंतर्भूत करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित !

गोवा में चल रहे दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन की हिन्दू राष्ट्र संसद में ‘पाठ्यपुस्तकों में भारत का तेजस्वी इतिहास अंतर्भूत किया जाए’, यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया । संसद के अधिकांश सदस्यों ने पाठ्यपुस्तकों में भारत का इतिहास बनानेवाले संतों, राष्ट्रपुरुष और क्रांतिकारियों का समावेश करने की मांग की ।

आदर्श चरित्र निर्माण करनेवाली शिक्षा आवश्यक ! – पू. (डॉ.) शिवनारायण सेन, उपसचिव, शास्त्र धर्म प्रचार सभा, बंगाल.

पूर्व काल में भारत में विद्यालय मंदिरों में ही चलाए जाते थे । सामान्यत: प्रत्येक गांव में एक मंदिर था एवं प्रत्येक गांव में एक विद्यालय ! एक अंग्रेज अधिकारी थॉमस मुन्रो के ब्योरे के अनुसार वर्ष १८२६ में दक्षिण भारत में १ लाख २८ सहस्र विद्यालय थे ।