विद्यालयों में भगवद्गीता न सिखाई न जाए, इसलिए ‘जमियत-उलेमा-ए-हिन्द’ द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका !

न्यायालय ने राज्यशासन से स्पष्टीकरण मांगा !

कर्णावती (गुजरात) – राज्य की सर्व पाठशालाओ में श्रीमद्भागवद्गीता सिखाने के राज्यशासन के निर्णय पर गुजरात उच्च न्यायालय ने शासन से स्पष्टीकरण मांगा है । गुजरात के भाजपा शासन ने मार्च माह में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत राज्य की छठी से बारहवीं कक्षा तक के सर्व विद्यार्थियों को ‘श्रीमद्भागवद्गीता सार’ सिखाने के लिए घोषणा की थी । इस निर्णय के विरुद्ध ‘जमियत-उलेमा-ए-हिन्द’ ने आवाहन दिया और उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस प्रकरण में न्यायालय ने शासन से स्पष्टीकरण मांगा है; परंतु यह निर्णय स्थगित नहीं किया है ।

न्यायालय ने शासन को १८ अगस्त तक पक्ष प्रस्तुत करने की अवधि दी है । ‘जमियत-उलेमा-ए-हिन्द’ ने याचिका में कहा है कि भारतीय संस्कृति के मूल्य और सिद्धांत, तथा ज्ञान की प्रणाली पाठशाला के पाठ्यक्रम में ली जा सकती है; परंतु उसमें केवल एक ही धर्म के पवित्र ग्रंथ के सिद्धांतों को प्राधान्य देना, किस सीमा तक उचित है ?

संपादकीय भूमिका

गढवा (झारखंड) के एक विद्यालय में ७५ प्रतिशत मुसलमान विद्यार्थी हैं । इसलिए पाठशाला में इस्लामी नियम लागू करने के लिए मुसलमानों ने प्रधानाध्यापक पर दबाव डाला, तथा विद्यार्थियों को हाथ जोडकर प्रार्थना करने से रोका । क्या ‘जमियत-उलेमा-ए-हिन्द’ ने कभी इसके विरुद्ध याचिका प्रविष्ट की है ?