मंदिरों में अर्पण के रूप में आनेवाले धन का उपयोग मंदिरों के ही जीर्णोद्धार तथा रखरखाव के लिए करना आवश्यक ! – गिरीश शाह, न्यासी, महाजन एन्.जी.ओ., मुंबई  

मंदिर संस्कार, संस्कृति तथा सुरक्षा का मुख्य केंद्र होता है । काल के प्रवाह में जो मंदिर जीर्ण हुए हैं, उनका पुनर्निर्माण तथा रखरखाव आवश्यक है ।

बांदिवडे गांव के (फोंडा, गोवा) सरपंच रामचंद्र नाईक का वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में सम्मान !

बांदिवडे गांव के सरपंच श्री. रामचंद्र नाईक २८ जून को रामनाथ मंदिर में हो रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में उपस्थित थे । इस अवसर पर सनातन के सद्गुरु सत्यवान कदम ने श्री. रामचंद्र नाईक को व्यासपीठ पर सम्मानित किया ।

कानून बनाने हेतु अनेक देशों ने मनुस्मृति का संदर्भ लिया ! – भारताचार्य पू. प्रा. सु.ग. शेवडेजी, राष्ट्रीय प्रवचनकार तथा कीर्तनकार, मुंबई, महाराष्ट्र

धर्म समझ लेने हेतु भगवान ने वेदों की निर्मिति की । सोना पुराना भी हुआ, तब भी उसका मूल्य न्यून नहीं होता । उसी प्रकार वेद भले ही प्राचीन हों; परंतु उनमें विद्यमान ज्ञान कालबाह्य नहीं होता । वेदों का ज्ञान शाश्वत है, यह बतानेवाले मनु पृथ्वी के पहले व्यक्ति थे मनु राजा थे । जब पाश्चात्त्यों को कपडे पहनने का भी ज्ञान नहीं था, उस समय मनु ने ‘मनुस्मृति’ लिखी ।

हिन्दू धर्मविरोधियों के द्वारा किए जानेवाले दुष्प्रचार के विरुद्ध आक्रामक नीति आवश्यक ! – डॉ. भास्कर राजू वी., न्यासी, धर्ममार्गम् सेवा ट्रस्ट, तेलंगाना

ईसाई तथा इस्लामी पाखंडी हैं, जबकि वामपंथी देशद्रोही हैं । इन लोगों की विचारधारा को अस्वीकार किया जाना चाहिए । हमने उनकी झूठी कथाओं को खारीज करनेवाला ‘नैरेटिव’ तैयार करना चाहिए ।

धर्मप्रसार हेतु अधिकाधिक संत बनने आवश्यक ! – बाल सुब्रह्मण्यम्, निदेशक, मंगलतीर्थ इस्टेट एवं ब्रुकफील्ड इस्टेट, चेन्नई, तमिलनाडू

वेद, पुराणों, उपनिषदों, गीता, रामायण, महाभारत आदि धर्मग्रंथों में एक शब्द का भी परिवर्तन हुए बिना वे हम तक पहुंचे हैं । यह केवल गुरु-शिष्य परंपरा के कारण संभव हुआ है; इसलिए हमें गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करना चाहिए ।

हिन्दुओं के विरोध में झूठी कथाएं तैयार की जा रही हैं ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

एक ओर ‘आतंकियों का धर्म नहीं होता’, ऐसा कहा जाता है; जबकि दूसरी ओर हिन्दू आतंकवाद की झूठी कथाएं तैयार की जाती हैं ।

हिन्दुत्वनिष्ठों को ‘डिजिटल’ योद्धा बनना चाहिए ! – स्वप्नील सावरकर, संपादक, हिन्दुस्थान पोस्ट (डिजिटल मीडिया हाऊस), मुंबई, महाराष्ट्र

माध्यमों में हिन्दुत्व के प्रति नकारात्मकता है । आज का युग ‘डिजिटल’ युग है । क्या हम इस ‘डिजिटल’ युग की नई क्रांति में सम्मिलित होने के लिए तैयार हैं ?

कश्मीर में सेना की ओर से धर्मांधों द्वारा तोडे गए कुछ मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है ! – मेजर सरस त्रिपाठी

एक बार अटलबिहारी वाजपेयी के पास एक पाकिस्तानी अधिकारी आकर कश्मीर का मानचित्र देकर उन्हें कहने लगा, ‘आप यह टोपी निकाल कर दें’ उस समय उन्होंने कहा, ‘‘यह टोपी नहीं, अपितु हमारा मस्तक है तथा मस्तक कोई निकालकर नहीं देता ।

अश्‍लीलता फैलाकर समाज पर आघात करनेवालों पर बलात्कार का अपराध प्रविष्ट करना चाहिए ! – उदय माहुरकर, संस्थापक, सेव कल्‍चर सेव भारत फाउंडेशन, देहली

ऐसे व्‍यभिचार दिखानेवालों की जगह कारागृह में होनी चाहिए । इसे रोकने के लिए हम योजना निश्चित कर रहे हैं । ऐसों को ३ वर्षों तक जमानत नहीं मिलनी चाहिए । संस्कृति पर इस आक्रमण को राष्ट्रद्रोह माना जाए, ऐसा कठोर कानून इसके विरोध में होना अपेक्षित है ।

संस्कृति पर आक्रमण करनेवालों के मुखौटों को पहचानकर उनके विरुद्ध लडना चाहिए ! – अभिजीत जोग, प्रबंध निदेशक, ‘प्रतिसाद’ कम्युनिकेशन

धर्मसंस्था, राष्ट्रवाद एवं शिक्षाव्यवस्था संस्कृति के आधार हैं; इसलिए उन्हें नष्ट करने का प्रयास किया गया । हमारी संस्कृति यदि नष्ट हुई, तो हमारा अस्तित्व मिट जाएगा । इसलिए इस आक्रमण को समझ लेना पडेगा ।