रामनाथी (गोवा), २४ जून (वार्ता.) – हिन्दू आक्रामक और विस्तारवादी नहीं थे, यह असत्य है । दशहरे के दिन हमारे अपने पूर्वज केवल गांव की ही नहीं, अपितु देश की सीमा भी लांघते थे । मातृभूमि की संकीर्ण भावना हमें विस्तारवादी होने से रोक रही है । उसके लिए हिन्दुओं को विस्तारवादी होना ही होगा । हिन्दू सतर्क नहीं । ‘आसपास क्या हो रहा है ?’, इस विषय में हिन्दुओं को सतर्क रहना चाहिए । चीटियों से हमें यह सीखना चाहिए । चीटियां किसी भी अन्य प्राणि को अपने घर में घुसने नहीं देतीं । यदि किसी ने उनके बिल में घुसने का प्रयत्न किया, तो वे उसपर आक्रमण कर देती हैं और बिल के बाहर ही उसे नष्ट कर देती हैं । यह सजगता और आक्रामकता हिन्दुओं को भी स्वयं में लानी चाहिए । हिन्दुओं को परिवार, भूमि, राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए सजग रहना चाहिए । अपने धर्म पर यदि कोई आक्रमण करने का प्रयत्न करता है, तो हमें भी आक्रामक होना चाहिए, ऐसा मार्गदर्शन मध्य प्रदेश के इंदौर के श्री स्वामी अखंडानंदजी, गुरुकुल आश्रम के संस्थापक महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वतीजी ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पहले दिन के इस सत्र में ‘धर्मांतरण रोकने के लिए आदिवासी क्षेत्र में किया कार्य’ इस विषय पर बोलते हुए किया ।
We need to sow the seed of Bhagwan Shri Ram in the minds of every Hindu. It is essential to make every home, village and town a Hindu Rashtra – Mahamandaleshwar Swami Acharya Pranavanand Saraswatiji Maharaj
🛑The root cause of conversion is not poverty but lack of Dharmacharan.… pic.twitter.com/XH4wuf4Exw
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 24, 2024
महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वतीजी के मार्गदर्शन के विशेष सूत्र
हिन्दू राष्ट्र के लिए हिन्दू एकता आवश्यक !
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हिन्दू एकता के बिना हिन्दू राष्ट्र का सपना हम साकार नहीं कर सकते । हिन्दुओं का एक होना ही सबसे महत्त्वपूर्ण बात है । सभी हिन्दुओं में एकता की भावना होनी चाहिए । हम भले ही विविध जाति अथवा संप्रदाय के हों, तब भी हममें एकता की भावना होनी चाहिए । हिन्दू एकता की भावना हमें शक्तिशाली करनी चाहिए ।
हिन्दू धर्मानुसार आचरण करना आवश्यक !
हिन्दुओं में नास्तिकता, विद्रोह बढता है । यह बात चिंता की बात है । अधिकांश हिन्दुओं को धर्मशिक्षा नहीं । हिन्दू धर्मांतरण कर रहे हैं, यह भी चिंता का विषय है । निर्धनता, धर्मांतरण का कारण नहीं, अपितु धर्महीनता के कारण हिन्दुओं का धर्मांतरण हो रहा है । हिन्दू धर्म समझकर लेना और उस अनुसार आचरण करना महत्त्वपूर्ण है, तब ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना संभव है । जीवन में नैतिकता को लाए बिना हम भारत को हिन्दू राष्ट्र नहीं बना सकते । हमारा जीवन और व्यवहार, चारित्रसंपन्न होना चाहिए, तब ही हम हिन्दू धर्म का प्रचार प्रभावीरूप से कर सकते हैं । प्रत्येक व्यक्ति तक हमें सनातन धर्म और अपने धर्म का ज्ञान पहुंचाना है ।
सनातन संस्था का कार्य दैवीय !सनातन संस्था के पीछे दैवीय शक्ति है । दैवीय शक्ति के कारण ही सनातन संस्था का कार्य हो रहा है । सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी तपस्वी महापुरुष हैं । उनके कार्य के पीछे भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति है । – महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी प्रणवानंद सरस्वती |