‘जयतु जयतु हिन्‍दुराष्‍ट्रम्’ के उद्घोष में वैश्विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव का  प्रारंभ !

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव, संतों के करकमलों से दीपप्रज्‍वलन द्वारा उत्साहपूर्ण वातावरण में शुभारम्भ !

रामनाथी (गोवा), २४ जून (समाचार) – ‘जयतु जयतु हिन्‍दुराष्‍ट्रम्’ के उत्‍साहवर्धक जयघोष एवं संत-महंतों की वंदनीय उपस्थिति में २४ जून को रामनाथी, फोंडा स्थित श्री रामनाथ देवस्‍थान के विद्याधिराज सभागृह में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित वैश्विक हिन्दू राष्‍ट्र महोत्‍सव का अर्थात ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ का प्रारंभ हुआ ।

इस प्रकार हुआ उद़्‍घाटन समारोह  !

धर्मसंस्‍थापना के देवता भगवान श्रीकृष्‍ण के चरणों में वंदन कर तथा श्री गणेश से प्रार्थना कर अधिवेशन का प्रारंभ हुआ । तदनंतर महामंडलेश्वर नर्मदा शंकरपुरीजी महाराज, स्‍वामी निर्गुणानंद पुरीजी, महामंडलेश्वर आचार्य स्‍वामी प्रणवानंद सरस्‍वतीजी, श्रीवासदास वनचारीजी, संत रामज्ञानीदास महात्‍यागी महाराजजी, रस आचार्य डॉ. धर्मयशजी, प.पू. संत संतोष देवजी महाराज, संतवीर ह.भ.प. बंडातात्‍या कराडकरजी एवं सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी के करकमलों द्वारा दीपप्रज्‍वलन किया गया । तदनंतर सनातन की वेदपाठशाला के पुरोहित श्री. सिद्धेश करंदीकर एवं श्री. अमर जोशी ने वेदपठन किया ।

उद्घाटन समारोह के सत्र में हिन्दू राष्ट्र की आगामी दिशा कैसे होगी, इस विषय में हिन्दू जनजागृति समिति के सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी द्वारा बताए महत्त्वपूर्ण सूत्र यहां दे रहे हैं ।

१. अभी तक 

वर्ष 2012 में पूरे देश में हिन्दूद्वेषी कांग्रेस का दबदबा था ।  ऐसी अत्यंत विपरीत परिस्थिति में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने सम्मेलन के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष करने की प्रेरणा दी ।  इसी मंच से, इसी स्थान से वर्ष 2012 से हिन्दू शक्ति को संगठित करने का काम शुरू हुआ ।  आज वर्ष 2024 में इसके 12 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं ।  मराठी में १२ वर्ष की अवधि को तप कहते हैं ।  यह एक तपस्या पूरी होने के समान ही है ।  संतों की दूरदर्शिता, उनके संकल्प, हम सभी के ईमानदार प्रयासों और सहयोग से, यह अधिवेशन आज एक तपस्या पूरी कर रहा है।

यह हम सभी का दृढ विश्वास है कि भगवान राम ने स्वयं अयोध्या में स्थापित होकर एक तरह से रामराज्य स्थापना के हमारे अभियान को आशीर्वाद दिया है ।  इस बारे में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले जी ने कहा कि इस मंदिर से न केवल भारत, अपितु पूरी धरती पर श्रीराम की तरंगें प्रक्षेपित हो रही हैं । प्रभु श्रीराम के अयोध्यापति बनने के बाद धरती पर रामराज्य का अवतरण हुआ था ।  अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा के कारण ही भविष्य के हिन्दू राष्ट्र अर्थात राम राज्य की शुरुआत सूक्ष्म आयाम में हुई है ।  हम सभी इन ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी बन रहे हैं, इसी की कृतज्ञता है ।

श्रीराम मंदिर की स्थापना हिन्दुओं के मन में बसी एक सोच थी, जिसका वास्तविक स्वरूप हम दो पीढियों के संघर्ष के बाद आज देख रहे हैं ।  इसी प्रकार वर्ष 2012 में इस सम्मेलन के माध्यम से रोपा गया हिन्दू राष्ट्र का बीज भी आज आकार लेता दिख रहा है । इस सम्मेलन को पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने भी आशीर्वाद दिया ।  वर्ष 2013 में आयोजित सम्मेलन में पुरी पीठ के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।  आज उन्होंने भी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है ।  ब्रिटिश अखबार ‘गार्जियन’ ने भी श्री राम मंदिर स्थापना समारोह को ‘भारत को हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक कदम’ बताया है ।  कुल मिलाकर देश-विदेश में रामभक्ति से ओतप्रोत हिन्दू, अबू धाबी में बना हिन्दू मंदिर, विदेश में बढता श्रीकृष्ण भक्ति का वातावरण, नेपाल को फिर से हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए सड़कों पर हो रहा आंदोलन… ये सब किस बात का संकेत हैं? आज भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व हिन्दू बनने को आतुर है । देश-विदेश में चर्चा में रहनेवाले युवा संत बागेश्वर धाम के स्वामी धीरेंद्र शास्त्री ने साफ कहा कि मेरा संकल्प हिन्दू राष्ट्र बनाना है ।  अगर उसके लिए संविधान में एक और संशोधन करना पड़े, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’ इस तपपूर्ति वर्ष में देश-विदेश में जो हिन्दू राष्ट्र का विचार पनप रहा है, वह इसी अधिवेशन का परिणाम है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में हिन्दुओं का संगठन और समन्वय एक महत्वपूर्ण सूत्र है । इसको लेकर वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं ।  इस वर्ष थाइलैंड में हिन्दू संगठनों के बीच एकता स्थापित करने और सनातन धर्म के शत्रुओं का विरोध करने के संकल्प के साथ आयोजित ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस’ में 61 देशों के 2 हजार 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया ।  हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मैं स्वयं और धर्म प्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी उपस्थित थे।

२. भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने में आनेवाली चुनौतियां 

हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रयास करते समय हमें चुनौतियों और संकटों के बारे में भी सोचना चाहिए । जिसमें जिहादी आतंकवाद, बढती जिहादी गतिविधियां, शहरी नक्सलवाद, ‘हेट स्पीच’ की आड में हिन्दुओं का गला घोंटना, हिन्दू विरोधी दलों का तुष्टिकरण और उत्पीडन की भूमिका एवं अराजकता की ओर बढती राजनीति, इनके बारे में हमें सोचना चाहिए ।

३.  आवाहन

भाईयो, इस वर्ष का महोत्सव मुख्य रूप से सनातन धर्म की वैचारिक सुरक्षा, हिन्दू समाज की सुरक्षा के उपाय, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संवैधानिक प्रयास, मंदिर सुरक्षा के प्रयास, वैश्विक स्तर पर हिन्दुत्व की सुरक्षा पर केंद्रित होगा । ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ एक प्रकार का लोकमंथन है ! यहां एकत्र हुई हिन्दू शक्ति हिन्दू राष्ट्र निर्माण के विश्वकल्याणकारी कार्य में सम्मिलित होगी ।

अधिवेशन का परिणाम

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी

हमने अपने सामने चुनौतियां देखी हैं । चुनौतियां अनेक हैं; परंतु ईश्वर की कृपा से हम एक-एक चुनौती पूरी कर रहे हैं, यह भी हमें याद रखना चाहिए । यह अधिवेशन हम सभी के निरंतर और गंभीर प्रयासों की उपलब्धि है । इन अधिवेशनों ने पाकिस्तानी-बांग्लादेशी शरणार्थी हिन्दुओं के लिए कानून बनाने से लेकर काशी-ज्ञानवापी की मुक्ति तक कई संघर्ष लडे और विजय पाई । इन अधिवेशनों ने हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रत्येक राज्य और क्षेत्र में हिन्दू शक्ति (बल) को संगठित किया । हिन्दू संगठनों, धर्मनिष्ठ अधिवक्ताओं, बुद्धिजीवियों, संतों, व्यवसायियों, मीडिया आदि का एक हिन्दू ‘इको-सिस्टम’ स्थापित किया है । पिछले सत्र से इस इको-सिस्टम को मजबूत करने के लिए किए गए कार्यों को हम आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं ।

अ. हिन्दू विचारक संघ अर्थात ‘हिन्दू इन्टेलेक्चुअल फोरम’ की स्थापना : आज हम देख रहे हैं कि वामपंथी स्थिति के अनुसार व्यवस्थित रूप से चयन कर रहे हैं कि किस नैरेटिव का उपयोग करना है, कैसे उपयोग करना है और इसके लिए टूल किट का उपयोग कैसे करना है । वे झूठ को सच करने और मीडिया, राजनेताओं और सभी के माध्यम से समाज को भ्रमित करने के लिए व्यवस्थित रूप से नैरेटिव का उपयोग करते हैं; परंतु हम सच्चाई को, अपने साथ हुए अन्याय को, तार्किक ढंग से, प्रमाणों के साथ समाज तक पहुंचाने में चूक जाते हैं । इस कमी को पूरा करने के लिए सम्मेलन में आए कुछ विचारकों के सहयोग से ‘हिन्दू इन्टेलेक्चुअल फोरम’ की स्थापना की गई है । इसकी तीन बैठकें मुंबई, दिल्ली और रांची में हुईं । भविष्य में इस उपक्रम को और तेज करने का प्रयास किया जा रहा है । आज हिन्दू विरोधियों द्वारा हिन्दू राष्ट्र, सनातन धर्म पर अनेक आरोप लगाए जाते हैं । इन आरोपों का जवाब भी इसी ‘इन्टेलेक्चुअल फोरम’ के माध्यम से दिया जाएगा ।

आ. हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति : पिछले अधिवेशन में हमने हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति का गठन किया । कुछ राज्यों में इसपर बहुत कम प्रयास किया गया है; परंतु अधिकांश स्थानों पर हम इस संबंध में प्रयास करने में विफल रहे हैं । हम यहां जो निश्चित करते हैं, उनके लिए पूरे वर्ष प्रयास करने की आवश्यकता है । इस कमी को हमें इसी वर्ष पूरा करना है ।

इ. मंदिर मुक्ति अभियान : मंदिर मुक्ति अभियान हिन्दू राष्ट्र की नींव है ! केवल अयोध्या का राम मंदिर ही नहीं, अपितु काशी-मथुरा-भोजशाला जैसे सभी इस्लामी अतिक्रमित मंदिरों की मुक्ति के लिए यह अधिवेशन प्रतिबद्ध होगा । सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णुशंकर जैन इस लडाई को बडी लगन से लड रहे हैं । उनकी प्रशंसा जितनी करें, कम है । साथ ही, मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इस वर्ष ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की पहल पर महाराष्ट्र, कर्नाटक और गोवा में ‘मंदिर महासंघ’ की स्थापना की गई है और इस महासंघ ने मंदिरों को सरकारीकरण से मुक्त करने की घोषणा की है और प्रयास भी किए जा रहे हैं जैसे मन्दिर को धार्मिक शिक्षा का केन्द्र बनाना ।