गोवा में ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ संपन्न !
रामनाथी देवस्थान – ‘‘सनातन धर्म शब्दप्रमाण पर आधारित है; परंतु प्रत्यक्ष अनुपात भी महत्त्वपूर्ण है । हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रत्यक्ष अनुभव किया, उसी को उन्होंने शब्दबद्ध किया । अत: हमें समझना चाहिए कि हमारा शब्दप्रमाण ऋषियों का प्रत्यक्ष माप है । हमें इस शब्दप्रमाण का प्रत्यक्ष अनुभव करने का प्रयास करना चाहिए । वर्तमान समय में यद्यपि यूरोप में विज्ञान की उन्नति हो चुकी है; परन्तु विदेशों में यह ज्ञान भारत से ही पहुंचाया गया है ।’’ अमेरिका में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज में कार्यरत डॉ. नीलेश ओक ने कहा कि ‘‘पश्चिमी लोगों ने भारत के समृद्ध ग्रंथों का अनुवाद करके ही विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की है ।’’ वे ‘विश्वगुरु भारत की बलस्थान : सनातन हिन्दू धर्म’ विषय पर बोल रहे थे ।
हिन्दू विरोधी अपप्रचार को विज्ञान के आधार पर उत्तर देना सरल ! – डॉ. नीलेश ओक, अमेरिका
इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज के डॉ. नीलेश ओक ने आगे कहा कि ‘‘रामायण और महाभारत में सैकडों खगोलीय संदर्भ हैं । इससे स्पष्ट है कि महाभारत युद्ध ७ हजार ५८५ वर्ष पूर्व हुआ था, जबकि रामायण १२ हजार २९६ वर्ष पूर्व हुआ था । अमेरिका, कनाडा के ५००-६०० विश्वविद्यालयों में रामायण और महाभारत की अनेक प्रतियां हैं । वहां के लोग उनका अध्ययन करते हैं । जहां विश्वास उचित है, हम संदेह व्यक्त करते हैं, और जहां संदेह उचित है, हम विश्वास करते हैं । हमें बुद्धि के लिए सत्य, शरीर के लिए सेवा और मन के लिए संयम को अपनाना चाहिए ।’’
धर्महानि करनेवाले ‘ओटीटी प्लैटफॉर्म्स’ पर अंकुश रखने हेतु परिनिरीक्षण विभाग की आवश्यकता ! – ज्योत्स्ना गर्ग, महासचिव, ‘नेशन फर्स्ट कलेक्टिव’
(ओटीटी मंच से दर्शक फिल्म, वेब सीरीज आदि मनोरंजन के कार्यक्रम देखते हैं ।)
‘‘फिल्मों के लिए ‘फिल्म परिनिरीक्षण विभाग’ (सेंसर बोर्ड) होने से समाज के लिए हानिकारक फिल्मों पर अंकुश रखा जा सकता है; परंतु ‘ओटीटी प्लैटफॉर्म्स’ के लिए किसी प्रकार का ‘परिनिरीक्षण विभाग’ न होने से उनके द्वारा बडे स्तर पर हिन्दू धर्म एवं संस्कृतिविरोधी बातें प्रसारित होती रहती हैं । ऐसे ‘ओटीटी प्लैटफॉर्म्स’ पर अंकुश रखने हेतु ‘परिनिरीक्षण विभाग’ की स्थापना की जाए, ऐसी मांग सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन सरकार से करें’’; ऐसा प्रतिपादन ‘नेशन फर्स्ट कलेक्टिव’ की महासचिव सुश्री ज्योत्स्ना गर्ग ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन किया । ‘फिल्मों में दिखाए जानेवाले हिन्दूविरोधी दृश्य रोकने हेतु किए जानेवाले प्रयास’, इस विषय पर वे ऐसा बोल रही थीं ।
ज्योत्स्ना गर्ग ‘फिल्म परिनिरीक्षण विभाग’ के सुझाव विभाग की सदस्य हैं । उन्होंने अपने स्तर पर देश, हिन्दू धर्म एवं संस्कृति का अनादर करनेवाले विभिन्न फिल्मों का विरोध किया है, जिससे ऐसी कुछ फिल्में प्रसारित नहीं हो सकी; जबकि कुछ फिल्मों से अनादर करनेवाला भाग हटा दिया गया है । उन्होंने आगे कहा, ‘‘फिल्में तथा दूरदर्शन वाहिनियां समाज पर गहरा प्रभाव डालती हैं । भारत में फिल्में बनाने हेतु विदेशी संस्थाओं से आर्थिक सहायता मिलती है । उन्हें हिन्दू धर्म एवं संस्कृति नष्ट करनी है; इसलिए वे धर्म-संस्कृतिविरोधी फिल्मों को बडी मात्रा में आर्थिक सहायता करते हैं । सभी को संगठित होकर ऐसी फिल्मों का विरोध करना आवश्यक है । इसके साथ ही हिन्दुओं को उनके बच्चों पर ‘सेंसर’ (अंकुश) रखना आवश्यक है । बच्चे चल-दूरभाष (मोबाइल) पर क्या देखते हैं, इसकी ओर ध्यान देना चाहिए । बच्चों को बचपन से धार्मिक संस्कार दिए, तो वे लव जिहाद अथवा धर्मांतरण के शिकार नहीं होंगे । इसके साथ ही हमें अपने बच्चों को धर्म, संस्कृति तथा मंदिरों से जोडना चाहिए । उसके कारण हिन्दुओं की आधी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी ।’’
लैंड जिहाद रोकने के लिए ‘वक्फ बोर्ड’ विसर्जित करें ! – प्रशांत कोतवाल, राष्ट्रीय संगठनमंत्री, भारत रक्षा मंच
भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संगठनमंत्री श्री. प्रशांत कोतवाल ने कहा, ‘‘असम में मुसलमान घुसपैठियों की समस्या बंगाल के विभाजन के समय से है । तब ब्रिटिशों ने बंगाल का धर्म पर आधारित विभाजन किया । तब से मुसलमानबहुल पूर्व बंगाल से मुसलमानों की असम में घुसपैठ आरंभ हुई । तदुपरांत वर्ष १९७१ में बांग्लादेश का निर्माण हुआ । तब से बांग्लादेशी मुसलमानों को असम में घुसाया जाने लगा । वर्तमान में ८ से १० करोड बांग्लादेशी मुसलमान भारत के विविध राज्यों में निवास कर रहे हैं । किसी भी युद्ध के बिना ही मुसलमानों ने देश का बडा भाग अपने नियंत्रण में ले लिया है । यह भूमि ‘वक्फ बोर्ड’ के िनयंत्रण में है । यह एक प्रकार का ‘लैंड जिहाद’ है । ‘लैंड जिहाद’ रोकने के लिए ‘वक्फ बोर्ड’ विसर्जित करना आवश्यक है !’ वे ‘बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकने के लिए भारत रक्षा मंच का कार्य’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘देश में नागरिकत्व सुधार कानून लागू किया है; परंतु उसका अब तक अपेक्षित लाभ होता दिखाई नहीं दिया । पूरे देश में ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन’ लागू करना चाहिए । देश के मठ-मंदिर सरकार के नियंत्रण से मुक्त होने चाहिए । उसके लिए हिन्दुओं का दबावगुट निर्माण होना चाहिए । उसके लिए हिन्दू समाज का सशक्तिकरण और संगठन करना आवश्यक है ।’
नेपाल में समाजिक संस्था और राजनेता विदेशी लोगों के गुलाम ! – श्री. शंकर खराल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, विश्व हिन्दू महासंघ, नेपाल
‘‘नेपाल बहुसंख्यक सनातनी हिन्दुओं का देश है । यहां का राष्ट्रध्वज और दिनदर्शिका, दोनों सनातनी हैं । प्राचीन काल में भारत के ऋषि-मुनि नेपाल में तपस्या करने के लिए आते थे । इसलिए नेपाल भी एक तपोभूमि है । इस तपोभूमि पर निश्चितरूप से हिन्दू राष्ट्र आएगा । उसके लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन और धर्माभिमानी एक घोषणापत्र निकालकर नेपाल को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग करें । नेपाल पर आज भी भारत का बहुत प्रभाव है । भारत में ‘भारत’ और ‘इंडिया’, ऐसी दो विचारधाराएं हैं । भारत को लगता है कि नेपाल और भारत में मित्रता का संबंध होना चाहिए; परंतु ‘इंडिया’ को वैसा नहीं लगता । नेपाल में सामाजिक संस्थाएं और राजनेता विदेशी अनुदान की बडी राशि स्वीकारते हैं । इसलिए वे विदेशी शक्तियों के गुलाम बन गए हैं । सत्ता में उनका अधिक सहभाग होने से नेपाल का लोकतंत्र धर्मनिरपेक्ष है । नेपाल में आदिवासियों को पहले बौद्ध बनाया जाता है । फिर ईसाई पंथ में उनका धर्मांतरण किया जाता है ।’’ ऐसा प्रतिपादन नेपाल के विश्व हिन्दू महासंघ के वरिष्ठ अध्यक्ष श्री. शंकर खराल ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में द्वितीय दिन किया ।
जनवरी २०२५ के कुंभपर्व में आनेवाले प्रत्येक श्रद्धालु तक हिन्दू राष्ट्र का विचार पहुंचाएंगे ! – विश्वनाथ कुलकर्णी, हिन्दू जनजागृति समिति
‘‘प्रयागराज कुंभपर्व में सहभागी होनेवाली १० सहस्र से अधिक आध्यात्मिक संस्थाओं को लव जिहाद, हलाल प्रमाणपत्र का संकट तथा हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता के विषय में जानकारी देंगे । इसके लिए समविचारी संतों की बैठकों का आयोजन कर समानसूत्री कार्यक्रम सुनिश्चित किए जाएंगे । सभी हिन्दू संगठनों की सहायता से हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन आयोजित किया जाएगा । धर्मप्रेमी इसमें सम्मिलित हों । जिन्हें समय देना संभव नहीं, वे निवासव्यवस्था, भोजन, प्रसारसामग्री की छपाई, विद्युत सामग्री, चिकित्सकीय सामग्री आदि के लिए आर्थिक सहायता कर सकते हैं ।’’ ऐसा आवाहन समिति के पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्य समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने किया ।