साम्यवादियों ने हिन्दुओं के इतिहास का विकृतिकरण कर नास्तिकतावाद फैलाया ! – कश्यप महर्षि. राज्य अध्यक्ष, धर्मवीर अध्यात्म चैतन्य वेदिका, तेलंगाना

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का सातवां दिन (30 जून) : हिन्दुत्ववादियों के अनुभव

विद्याधिराज सभागृह – तेलंगाना के ‘धर्मवीर अध्यात्म चैतन्य वेदिका’ संगठन के राज्य अध्यक्ष श्री. कश्यप महर्षि ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के अंतिम दिन उपस्थितों को संबोधित करते हुए कहा, ‘साम्यवादियों ने हिन्दुओं का इतिहास बदल दिया । सभी जानते हैं कि देश में इतिहास को तोड-मरोड कर प्रस्तुत किया गया है । तेलुगू राज्यों में भी लोग अपना इतिहास नहीं जानते । प्रोलया वेमरेड्डी, एक युद्ध नायक जिसने देश में पहली बार 1320 में इस्लाम के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध की रणनीति का उपयोग किया था । वह एक समझौतावादी और निडर हिन्दू थे । एक कट्टर हिन्दू ! इसलिए उसकी सेना में एक भी मुसलमान नहीं था । प्रोलया वेमरेड्डी की उपाधि है – म्लेच्छब्दी कुंभोद्भव ! Agasya to the Ocean of Melchas । वह इसलिए कि उन्होंने बिना किसी दया के इस्लामपंथियों का नरसंहार किया ।
दूसरे व्यक्ति के बारे में आपको बता दूं, उनका नाम था पेदाकोमति वेमारेड्डी ! यही वे व्यक्ति थे जिन्होंने अद्वैत सिद्धांत और अद्वैत दर्शन को कविताओं के रूप में समझाया, जिससे आम लोग समझ सकें । अब्राहमिक religion के लोगों ने ऐसी बातें गढीं, जो उनकी कही बातों में थी ही नहीं । उन्हें नास्तिक के रूप में प्रस्तुत किया और उनके माध्यम से नास्तिकता फैलाई ।

इतिहासकार कहलाने वाले वामपंथियों ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में प्रोलया वेमारेड्डी के बारे में कहीं नहीं लिखा है; परंतु पेदाकोमति वेमारेड्डी के बारे में उन्होंने काल्पनिक कहानियां लिखीं कि वे एक वेश्यालोलुप थे और उनके इतिहास को तोड-मरोड कर प्रस्तुत किया ।

नास्तिकता, एक ऐसी प्रक्रिया है जो देश के लोगों को भ्रमित करती है और उनकी मान्यताओं को क्षीण करती है । शत्रु हमें बाहर से नहीं जीत सकता । नास्तिकता की शुरुआत षडयंत्रकारी बुद्धिवाद से होती है । हमारे धर्मग्रंथ विकृत हैं और वही तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा समाचारपत्रों, पत्रिकाओं एवं कृतियों के रूप में प्रकाशित किए जाते हैं । इसके आधार पर फिल्में बनती हैं । फिर सभी मानते हैं कि यह हमारा इतिहास है । जिन देशों में नास्तिकता का बोलबाला है, वहां समाज का पतन हो जाता है । विवाह की प्रथा लुप्त हो जाती है । पारिवारिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है और तब अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है ।

हमारे संगठन का उद्देश्य है, इस नास्तिकता को मिटाना, जन-जन में धर्म के प्रति जागरूकता बढाना और हिन्दू संस्कृति की रक्षा करना !