संस्कृत को देश की अधिकृत भाषा बनाएं ! – भूतपूर्व सरन्यायाधीश शरद बोबडे
देश के एक भूतपूर्व सरन्यायाधीश इस प्रकार का वक्तव्य दें, यह बडी बात है ~ केंद्र सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, धर्माभिमानी हिन्दुओं को ऐसा प्रतीत होता है !
देश के एक भूतपूर्व सरन्यायाधीश इस प्रकार का वक्तव्य दें, यह बडी बात है ~ केंद्र सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, धर्माभिमानी हिन्दुओं को ऐसा प्रतीत होता है !
फर्जी दस्तावेजों से सरकारी अनुदान लेनेवाले ६०९ मदरसों के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट !
केरल उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार की कार्यवाही
बंद के समय की गई थी सरकारी संपत्ति की हानि
जब व्यवस्था अथवा उसके ठेकेदार लोगों से भयभीत होते हैं, इसका अर्थ वहां स्वतंत्रता होती है; परंतु जब लोग व्यवस्था तथा उसके ठेकेदारों से भयभीत होते हैं, तब वहां दमनचक्र (उत्पीडन) आरंभ होता है, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऐसा वक्तव्य किया ।
सरकार पूरे भारत में गोहत्याबंदी कानून बनाकर गोहत्या रोकने के लिए कठोर कदम उठाए, यही हिन्दुओं की भावना है !
७२ वर्षों उपरांत निर्णय होने को कोई ‘न्याय मिला’, ऐसा कभी कह सकता है क्या ?
एक औषधीय प्रतिष्ठान ने नवरात्रोत्सव काल में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करनेवाला विज्ञापन प्रसारित किया था । उसे देखकर एक धर्मप्रेमी ने पुलिस में परिवाद प्रविष्ट किया । इस संदर्भ में हुई न्यायालयीन प्रक्रिया के विश्लेषण से संबंधित लेख यहां दे रहे हैं ।
केंद्र सरकार को, नंबी नारायणन को मिथ्या आरोपों में फंसाने वालों को ढूंढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए और उनके विरुद्ध देशद्रोह का प्रकरण प्रविष्ट कर उन्हें मृत्यु दंड दिलाने का प्रयत्न करना चाहिए !
उच्चतम न्यायालय ने समान नागरिक संहिता की समीक्षा के लिए उत्तराखंड और गुजरात राज्यों द्वारा गठित समितियों के गठन की अनुमति दे दी है । न्यायालय में एक याचिका द्वारा इन समितियों की स्थापना को चुनौती दी गई थी ।
इससे यही समझ में आता है कि कोई एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने से वह समाप्त नहीं होता, अपितु उसे उसके विचारों के साथ जड से नष्ट करने की आवश्यकता होती है तथा उसके लिए जानबूझ कर प्रयास करना आवश्यक है !