‘इस्रो’ के वैज्ञानिक नंबी नारायणन पर गुप्तचरी करने के आरोप झूठे हैं !

  • केरल उच्च न्यायालय में सी.बी.आई. द्वारा प्रस्तुत जानकारी !

  • सी.बी.आई. का दावा है कि नारायणन को फंसाना, एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का भाग था !

वैज्ञानिक नंबी नारायणन (बाईं ओर)

तिरुवनंतपुरम (केरल) – भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ में १९९४  के कथित गुप्तचरी प्रकरण में जेष्ठ वैज्ञानिक नंबी नारायणन को बंदी बनाना अवैध था , इसमें किसी  वैज्ञानिक जानकारी के उजागर होने की बात नहीं आई थी। उन्हें गुप्तचरी के मिथ्या प्रकरण में फंसाया गया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) ने १३ जनवरी को केरल उच्च न्यायालय को सूचित किया कि नंबी नारायणन को गुप्तचरी प्रकरण में फंसाना एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का अंग था । नंबी नारायणन इस्रो के  प्रमुख ‘तरल प्रणोदक इंजन’ वैज्ञानिक थे।

१. नंबी नारायणन को गुप्तचरी प्रकरण में फंसाया गया था, जिसमें उन पर मालदीव के एक नागरिक के माध्यम से पाकिस्तान को ‘क्रायोजेनिक इंजन’ तकनीक बेचने का आरोप लगाया गया था। नारायणन को १९९८ में सी.बी.आई. न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने मुक्त कर दिया था, किन्तु उस समय उन्होंने वैज्ञानिक डी. शशिकुमार और ४ अन्य लोगों के साथ ५० दिवस कारागार में व्यतीत किए ।

२. नंबी नारायणन इस मिथ्या प्रकरण से अपना नाम पूर्णरूपेण अलग करना चाहते थे। इसके साथ ही उन्होंने अपने साथ धोखाधड़ी करने वाले पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध हानि भरपाई एवं वैधानिक  कार्रवाई के लिए न्यायिक संघर्ष भी किया । उन्होंने अपनी पुस्तकों में आरोप लगाया है कि षड्यंत्रकर्ता और जिन लोगों की अब जांच की जा रही है, वे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बाधित करने के लिए अमेरिकी गुप्तचर संस्था ‘सी.आई.ए.’ के लिए कार्य कर रहे थे।

३. नंबी नारायणन ने अपने जीवन पर एक पुस्तक प्रकाशित की है। कुछ दिनों पूर्व अभिनेता आर. माधवन ने नंबी के जीवन पर एक चलचित्र भी बनाया था । इसमें नंबी के जीवन के संपूर्ण संघर्ष को दिखाया गया है। इस चलचित्र का निर्देशन और अभिनय स्वयं माधवन ने किया है। चलचित्र को अब ऑस्कर २०२३ के लिए नामांकित किया गया है।

संपादकीय भूमिका

केंद्र सरकार को, नंबी नारायणन को मिथ्या आरोपों में फंसाने वालों को ढूंढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए और उनके विरुद्ध देशद्रोह का प्रकरण प्रविष्ट कर उन्हें मृत्यु दंड दिलाने का प्रयत्न करना चाहिए !