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राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्र के आरोप पत्र में उल्लेख !
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प्रतिबंध लगाने पर भी केरल में पीएफआई गुप्त रूप से सक्रिय
भाग्यनगर (तेलंगाना) – राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्र ने (एनआइए.ने) पाप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया के (पीएफआइके) आतंकवादियों के विरुद्ध यहां के न्यायालय में आरोप पत्र प्रविष्ट किया है । इसमें कहा गया है कि नियंत्रण में लिए गए ११ लोग आतंकवादी केंद्र चला रहे थे । कराटे सिखाने के नाम पर वे यहां आतंकवादी कार्यवाहियों का प्रशिक्षण दे रहे थे ।
NIA arrests PFI hit squad trainer and high court advocate Mohammed Mubarak in Kerala, weapons recoveredhttps://t.co/g4EFDIyQvH
— OpIndia.com (@OpIndia_com) December 31, 2022
१. आरोप पत्र में आगे कहा गया है कि अब्दुल कादिर राज्य में निजामाबाद में कराटे सिखाने के नाम पर आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र चला रहा था । नियंत्रण में लिए गए ११ लोग इस केंद्र में मुसलमानों की भरती कर रहे थे । यहां देशविरोधी बातें सिखाई जा रही थीं । इस प्रशिक्षण के लिए पीएफआइ विदेश से पैसे ले रही थी । इस केंद्र में किसी व्यक्ति के गला, पेट तथा सर पर चाकू तथा लोहे की सलाख आदि द्वारा किस प्रकार वार करना चाहिए, यह सिखाया जाता है । उसी प्रकार सिर तथा शरीर के अंग काटने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा था, साथ ही आतंकवादी कृत्य किस प्रकार से किया जाता है, यह भी सिखाया जा रहा था ।
२. ३० दिसंबर को एनआइए द्वारा नियंत्रण में लिया गया पीएफआइ का अधिवक्ता महम्मद मुबारक मार्शल आर्ट्स का प्रशिक्षक था । वह विविध राज्यों में आक्रमण दलों को तैयार कर रहा था ।
३. २९ दिसंबर को एनआइए ने केरल में पीएफआइ के ५६ स्थानों पर छापा मारा था । इस संगठन की दूसरी कतार के नेता तथा कार्यकर्ताओं के स्थानों पर ये छापे मारे गए थे । यद्यपि इसमें कुछ लोग सीधे कार्यकर्ता नहीं हैं, तब भी इस संगठन के लिए काम कर रहे थे ।
४. पीएफआइ पर सितंबर २०२२ में प्रतिबंध लगाया गया था । सूत्रों की जानकारी के अनुसार केरल में यह संगठन अभी तक सक्रिय है । अब तक केरल में ५ बार छापे मारे गए हैं । कहा जा रहा है कि प्रतिबंध लगाने पर भी इस संगठन की आंतरिक गतिविधियां चल रही हैं ।
५. एनआइए द्वारा कोच्ची के न्यायालय को दी गई जानकारी के अनुसार पीएफआइ के आतंकवादियाें के संबंध इस्लामिक स्टेट तथा अल् कायदा जिहादी आतंकवादी संगठनों के आतंकवादियों से भी हैं । पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने पर भी गुप्त रूप से उसकी शाखाएं कार्यरत हैं ।
संपादकीय भूमिकाइससे यही समझ में आता है कि कोई एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने से वह समाप्त नहीं होता, अपितु उसे उसके विचारों के साथ जड से नष्ट करने की आवश्यकता होती है तथा उसके लिए जानबूझ कर प्रयास करना आवश्यक है ! |