सनातन संस्था द्वारा पूरे भारत में ‘ज्ञानशक्ति प्रसार अभियान’
ग्रंथों में सरल भाषा और संस्कृत श्लोकों का यथोचित उपयोग है तथा ये ग्रंथ दिव्य ज्ञानामृत ही हैं । ये ग्रंथ अपने मित्र, परिजन, कर्मचारियों को उपहार स्वरूप देने के लिए भी उपयुक्त हैं ।
ग्रंथों में सरल भाषा और संस्कृत श्लोकों का यथोचित उपयोग है तथा ये ग्रंथ दिव्य ज्ञानामृत ही हैं । ये ग्रंथ अपने मित्र, परिजन, कर्मचारियों को उपहार स्वरूप देने के लिए भी उपयुक्त हैं ।
अलंकार हिन्दू संस्कृति की अनमोल धरोहर है । हिन्दू संस्कृति पर पश्चिमी संस्कृति का रंग चढा । फैशन के नाम पर आजकल स्त्रियां चूडियां नहीं पहनतीं एवं कुमकुम के स्थान पर बिंदी लगाती हैं ।
सनातन संस्था में कुछ दैवी बालक हैं । उनका बोलना आध्यात्मिक स्तर का होता है । आध्यात्मिक विषय पर बोलते हुए उनके बोलने में ‘सगुण-निर्गुण’, ‘आनंद, चैतन्य, शांति’ जैसे शब्द होते हैं । ऐसे शब्द बोलने के पूर्व उन्हें रुककर विचार नहीं करना पडता ।
श्री. पराशरजी ने कहा ‘हम सनातन के ग्रंथ देहली के प्रमुख मंदिरों में रखने का प्रयास करेंगे ।’
राज्यमंत्री श्री. रविंद्र जयसवालजी ने संपर्क के विषय सुनते ही तुरंत दो संच की मांग दी । ‘हलाल अर्थव्यवस्था भारत के लिए संकट कैसे है’, यह बताने पर उन्होंने यह विषय विधानसभा में उठाने का आश्वासन दिया ।
सनातन संस्था में कुछ दैवी बालक हैं । उनका बोलना आध्यात्मिक स्तर का होता है । आध्यात्मिक विषय पर बोलते हुए उनके बोलने में ‘सगुण-निर्गुण’, ‘आनंद, चैतन्य, शांति’ जैसे शब्द होते हैं । ऐसे शब्द बोलने के पूर्व उन्हें रुककर विचार नहीं करना पडता ।
विधानसभा अध्यक्ष एवं प्रकांड विद्वान मा. श्री. हृदय नारायण दीक्षित ने बताया कि ‘‘सनातन धर्म ही जीवन का मूल आधार है ।’’ उन्होंने संस्था द्वारा प्रकाशित ग्रंथ विधानसभा के पुस्तकालय में उपलब्ध करवाने का आदेश भी दिया ।
सनातन पंचांग देखकर श्री. ओझा का भाव जागृत हुआ । वे बोले, ‘‘लगभग ६-७ वर्षाें पूर्व मुझे सनातन पंचांग मिला था । उसे मैंने अब तक सहेजकर रखा है ।’’
देवेंद्र फडणवीस द्वारा लगाए गए आरोपों पर अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री नवाब मलिक ने उठाया यह प्रश्न !